तिहाड जेल में सीसीटीवी सर्विलांस केबिन के सामने और सुपरिंटेंडेंट ऑफिस के अपोजिट एक रूम है, जिसमें अच्छी रोशनी रहती है। इस कमरे में कोई खिडकी नहीं है। इसी में सोफे पर बैठे सहारा के चीफ सुब्रत रॉय अपने वकीलों और डायरेक्टरों से मिलते हैं। मीटगतिहाड जेल में सीसीटीवी सर्विलांस केबिन के सामने और सुपरिंटेंडेंट ऑफिस के अपोजिट एक रूम है, जिसमें अच्छी रोशनी रहती है।
इस कमरे में कोई खिडकी नहीं है। इसी में सोफे पर बैठे सहारा के चीफ सुब्रत रॉय अपने वकीलों और डायरेक्टरों से मिलते हैं। मिटिंग के दौरान ढोकला और छाछ सर्व की जाती है।
सुब्रत रॉय पहले से दुबले हो गए हैं और उम्र कुछ ज्यादा लगने लगी है। उनकी सुबह कुछ इसी तरह गुजरती है। मीटिग में कानूनी पैतरों पर बात होती है। रॉय को रिहा कराने के लिए फंड जुटाने पर चर्चा की जाती है। देश के मशहूर उद्योगपति सुब्रत रॉय पिछले करीब १४ महीनों से तिहाड जेल में बंद हैं और उनकी इस कैद ने उनके सहारा इंडिया परिवार को मौजूदा हालात में बेसहारा सा बना दिया है। किलेनुा सहारा हाउस जितना आलीशान नजर आता है, उतने ही बुलंद और मजबूत इसके दरवाजे भी हैं लेकिन जब इस बुलंद दरवाजे पर कानून के मजबूत हाथों ने दस्तक दी थी तो पूरे सहारा साम्राज्य में खलबली मच गई थी।
लखनऊ में सहारा सिटी का इलाका सुब्रत रॉय का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और यहीं पर उनका किलेनुा आशियाना भी साकार किया गया है। इस सहारा स्टेट में बडे-बडे नेता से लेकर खिलाडी और फिल्मी सितारे तक अपनी चमक बिखेर कर सुब्रत रॉय के दबदबे का अहसास भी कराते रहे हैं लेकिन बदले हालात ने सुब्रत रॉय को तिहाड जेल की ऊंची और मजबूत दीवारों के पीछे ढकेल दिया है। जिस कारोबार की दुनिया ने उन्हें जमीन से आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया उसी कारोबार की हेराफेरी में फंस कर वो पिछले १४ महीने से जेल में बंद हैं।
एक लाख करोड रुपये से ज्यादा की मिल्कियत वाले सहारा समूह के मालिक सुब्रत राय के राजसी ठाठ-बाट के किस्से अक्सर सामने आते रहे हैं। सुब्रत रॉय का दबदबा कुछ ऐसा रहा है कि राजनेता जहां उनकी दहलीज तक qखचे आते थे वहीं खेल औμर सिनो के सितारे उनकी महफिल की रौनक बढाते थे, लेकिन २४ हजार करोड रुपये की धोखाधडी के मामले ने उन्हें पहुंचा दिया जेल।
दिल्ली की तिहाड जेल में कैद सुब्रत रॉय की रिहाई को लेकर तमाम तरह की कोशिशें होती चली आ रही हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों के २४ हजार करोड रुपये लौटाने का आदेश दिया था, लेकिन जब इस पर अमल नहीं हुआ तो कोर्ट के आदेश पर पिछले साल मार्च महीने में सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वे जेल में ही बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, सहारा समूह को सुब्रत रॉय की जमानत के लिए १०००० करोड रुपए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी के पास जमा कराने हैं, लेकिन सहारा समूह ये पैसा जमा नहीं करा पाया है।
सवाल ये है कि हजारों करोड रुपये के साम्राज्य वाला सहारा समूह अपने मालिक को जेल से रिहा कराने में अभी तक नाकाम क्यों रहा है? इस बात की पडताल भी हम आगे करेंगे, लेकिन उससे पहले सुब्रत रॉय की कहानी।
स्कूटर में बेचते थे साबुन, दालमोठ
पूर्वी उत्तर प्रदेश का शहर गोरखपुर गुरु गोरखनाथ के सदियों पुराने मंदिर के लिए पहचाना जाता रहा है, लेकिन एक और पहचान सहारा ग्रुप को जन्म देने वाले शहर के तौर पर भी है। सहारा ग्रुप की शुरुआत तो गोरखपुर में हुई थी मगर इस ग्रुप के फाउंडर सुब्रत रॉय का जन्म १९४८ में बिहार के अररिया जिले में हुआ था। सुब्रत ने स्कूली शिक्षा कोलकाता के होली चाइल्ड स्कूल में हासिल की, फिर वे इंजीनियरिंग की पढाई करने यूपी के शहर गोरखपुर आ गए। गोरखपुर के राजकीय पॉलीटेकनिक कॉलेज से सुब्रत राय ने इंजीनियरिंग की पढाई की है।
सुब्रत के दोस्त और उनके बैडमिटन कोच रह चुके हेचंद्र श्रीवास्तव कॉलेज के दिनों को याद कर बताते हैं कि सुब्रत राय की खेलों में खास दिलचस्पी थी इसलिए वो शहर के हर टूर्नाेंट में जरूर नजर आते थे। गोरखपुर के तुर्कमानपुर इलाके में बने मकान की शक्लोसूरत तो अब काफी हद तक बदल चुकी है, लेकिन आज भी शहर में एक मकान सुब्रत रॉय के निवास के तौर पर पहचाना जाता है।
८० के दशक में इंद्रावती निवास के इसी कमरे में सुब्रत रॉय ने अपनी qजदगी का एक लंबा वक्त गुजारा है। यहां के लोगों को आज भी सुब्रत की वो लेम्ब्रेटा स्कूटर याद है जिस पर बैठकर उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत की थी। यहां की सडकों पर भटकते हुए सुब्रत रॉय ने qजदगी में संघर्ष का अपना पहला सबक सीखा था। अपने करियर की शुरुआत रोजमर्रा के छोटे- मोटे सामान बेचने से की थी। वे अपने लेम्ब्रेटा स्कूटर पर साबुन और दालमोठ जैसी छोटी-छोटी चीजें रख कर बेचा करते थे, लेकिन उनकी qजदगी में उस वक्त टर्निंग प्वाइंट आया जब उन्होंने १९७८ में गोरखपुर में अपनी चिट फंड कंपनी की शुरुआत की थी और उस चिट फंड कंपनी का नाम था सहारा।
पियरलेस की तर्ज पर उगाहे पैसे
सुब्रत रॉय ने १९७८ में पैराबैंकिग के क्षेत्र में कदम रखा था। उस वक्त देश में मौजूद नॉन बैंqकग क के दौरान ढोकला और छाछ सर्व की जाती है। सुब्रत रॉय पहले से दुबले हो गए हैं और उम्र कुछ ज्यादा लगने लगी है। उनकी सुबह कुछ इसी तरह गुजरती है। मीqटग में कानूनी पैतरों पर बात होती है। रॉय को रिहा कराने के लिए फंड जुटाने पर चर्चा की जाती है। देश के मशहूर उद्योगपति सुब्रत रॉय पिछले करीब १४ महीनों से तिहाड जेल में बंद हैं और उनकी इस कैद ने उनके सहारा इंडिया परिवार को मौजूदा हालात में बेसहारा सा बना दिया है। किलेनुा सहारा हाउस जितना आलीशान नजर आता है, उतने ही बुलंद और मजबूत इसके दरवाजे भी हैं लेकिन जब इस बुलंद दरवाजे पर कानून के मजबूत हाथों ने दस्तक दी थी तो पूरे सहारा साम्राज्य में खलबली मच गई थी।
लखनऊ में सहारा सिटी का इलाका सुब्रत रॉय का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और यहीं पर उनका किलेनुा आशियाना भी साकार किया गया है। इस सहारा स्टेट में बडे-बडे नेता से लेकर खिलाडी और फिल्मी सितारे तक अपनी चमक बिखेर कर सुब्रत रॉय के दबदबे का अहसास भी कराते रहे हैं लेकिन बदले हालात ने सुब्रत रॉय को तिहाड जेल की ऊंची और मजबूत दीवारों के पीछे ढकेल दिया है। जिस कारोबार की दुनिया ने उन्हें जमीन से आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया उसी कारोबार की हेराफेरी में फंस कर वो पिछले १४ महीने से जेल में बंद हैं।
एक लाख करोड रुपये से ज्यादा की मिल्कियत वाले सहारा समूह के मालिक सुब्रत राय के राजसी ठाठ-बाट के किस्से अक्सर सामने आते रहे हैं। सुब्रत रॉय का दबदबा कुछ ऐसा रहा है कि राजनेता जहां उनकी दहलीज तक qखचे आते थे वहीं खेल औμर सिनो के सितारे उनकी महफिल की रौनक बढाते थे, लेकिन २४ हजार करोड रुपये की धोखाधडी के मामले ने उन्हें पहुंचा दिया जेल। दिल्ली की तिहाड जेल में कैद सुब्रत रॉय की रिहाई को लेकर तमाम तरह की कोशिशें होती चली आ रही हैं।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों के २४ हजार करोड रुपये लौटाने का आदेश दिया था, लेकिन जब इस पर अमल नहीं हुआ तो कोर्ट के आदेश पर पिछले साल मार्च महीने में सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वे जेल में ही बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, सहारा समूह को सुब्रत रॉय की जमानत के लिए १०००० करोड रुपए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी के पास जमा कराने हैं, लेकिन सहारा समूह ये पैसा जमा नहीं करा पाया है।सवाल ये है कि हजारों करोड रुपये के साम्राज्य वाला सहारा समूह अपने मालिक को जेल से रिहा कराने में अभी तक नाकाम क्यों रहा है? इस बात की पडताल भी हम आगे करेंगे, लेकिन उससे पहले सुब्रत रॉय की कहानी।
साभार: राष्ट्र पत्रिका
इस कमरे में कोई खिडकी नहीं है। इसी में सोफे पर बैठे सहारा के चीफ सुब्रत रॉय अपने वकीलों और डायरेक्टरों से मिलते हैं। मिटिंग के दौरान ढोकला और छाछ सर्व की जाती है।
सुब्रत रॉय पहले से दुबले हो गए हैं और उम्र कुछ ज्यादा लगने लगी है। उनकी सुबह कुछ इसी तरह गुजरती है। मीटिग में कानूनी पैतरों पर बात होती है। रॉय को रिहा कराने के लिए फंड जुटाने पर चर्चा की जाती है। देश के मशहूर उद्योगपति सुब्रत रॉय पिछले करीब १४ महीनों से तिहाड जेल में बंद हैं और उनकी इस कैद ने उनके सहारा इंडिया परिवार को मौजूदा हालात में बेसहारा सा बना दिया है। किलेनुा सहारा हाउस जितना आलीशान नजर आता है, उतने ही बुलंद और मजबूत इसके दरवाजे भी हैं लेकिन जब इस बुलंद दरवाजे पर कानून के मजबूत हाथों ने दस्तक दी थी तो पूरे सहारा साम्राज्य में खलबली मच गई थी।
लखनऊ में सहारा सिटी का इलाका सुब्रत रॉय का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और यहीं पर उनका किलेनुा आशियाना भी साकार किया गया है। इस सहारा स्टेट में बडे-बडे नेता से लेकर खिलाडी और फिल्मी सितारे तक अपनी चमक बिखेर कर सुब्रत रॉय के दबदबे का अहसास भी कराते रहे हैं लेकिन बदले हालात ने सुब्रत रॉय को तिहाड जेल की ऊंची और मजबूत दीवारों के पीछे ढकेल दिया है। जिस कारोबार की दुनिया ने उन्हें जमीन से आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया उसी कारोबार की हेराफेरी में फंस कर वो पिछले १४ महीने से जेल में बंद हैं।
एक लाख करोड रुपये से ज्यादा की मिल्कियत वाले सहारा समूह के मालिक सुब्रत राय के राजसी ठाठ-बाट के किस्से अक्सर सामने आते रहे हैं। सुब्रत रॉय का दबदबा कुछ ऐसा रहा है कि राजनेता जहां उनकी दहलीज तक qखचे आते थे वहीं खेल औμर सिनो के सितारे उनकी महफिल की रौनक बढाते थे, लेकिन २४ हजार करोड रुपये की धोखाधडी के मामले ने उन्हें पहुंचा दिया जेल।
दिल्ली की तिहाड जेल में कैद सुब्रत रॉय की रिहाई को लेकर तमाम तरह की कोशिशें होती चली आ रही हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों के २४ हजार करोड रुपये लौटाने का आदेश दिया था, लेकिन जब इस पर अमल नहीं हुआ तो कोर्ट के आदेश पर पिछले साल मार्च महीने में सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वे जेल में ही बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, सहारा समूह को सुब्रत रॉय की जमानत के लिए १०००० करोड रुपए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी के पास जमा कराने हैं, लेकिन सहारा समूह ये पैसा जमा नहीं करा पाया है।
सवाल ये है कि हजारों करोड रुपये के साम्राज्य वाला सहारा समूह अपने मालिक को जेल से रिहा कराने में अभी तक नाकाम क्यों रहा है? इस बात की पडताल भी हम आगे करेंगे, लेकिन उससे पहले सुब्रत रॉय की कहानी।
स्कूटर में बेचते थे साबुन, दालमोठ
पूर्वी उत्तर प्रदेश का शहर गोरखपुर गुरु गोरखनाथ के सदियों पुराने मंदिर के लिए पहचाना जाता रहा है, लेकिन एक और पहचान सहारा ग्रुप को जन्म देने वाले शहर के तौर पर भी है। सहारा ग्रुप की शुरुआत तो गोरखपुर में हुई थी मगर इस ग्रुप के फाउंडर सुब्रत रॉय का जन्म १९४८ में बिहार के अररिया जिले में हुआ था। सुब्रत ने स्कूली शिक्षा कोलकाता के होली चाइल्ड स्कूल में हासिल की, फिर वे इंजीनियरिंग की पढाई करने यूपी के शहर गोरखपुर आ गए। गोरखपुर के राजकीय पॉलीटेकनिक कॉलेज से सुब्रत राय ने इंजीनियरिंग की पढाई की है।
सुब्रत के दोस्त और उनके बैडमिटन कोच रह चुके हेचंद्र श्रीवास्तव कॉलेज के दिनों को याद कर बताते हैं कि सुब्रत राय की खेलों में खास दिलचस्पी थी इसलिए वो शहर के हर टूर्नाेंट में जरूर नजर आते थे। गोरखपुर के तुर्कमानपुर इलाके में बने मकान की शक्लोसूरत तो अब काफी हद तक बदल चुकी है, लेकिन आज भी शहर में एक मकान सुब्रत रॉय के निवास के तौर पर पहचाना जाता है।
८० के दशक में इंद्रावती निवास के इसी कमरे में सुब्रत रॉय ने अपनी qजदगी का एक लंबा वक्त गुजारा है। यहां के लोगों को आज भी सुब्रत की वो लेम्ब्रेटा स्कूटर याद है जिस पर बैठकर उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत की थी। यहां की सडकों पर भटकते हुए सुब्रत रॉय ने qजदगी में संघर्ष का अपना पहला सबक सीखा था। अपने करियर की शुरुआत रोजमर्रा के छोटे- मोटे सामान बेचने से की थी। वे अपने लेम्ब्रेटा स्कूटर पर साबुन और दालमोठ जैसी छोटी-छोटी चीजें रख कर बेचा करते थे, लेकिन उनकी qजदगी में उस वक्त टर्निंग प्वाइंट आया जब उन्होंने १९७८ में गोरखपुर में अपनी चिट फंड कंपनी की शुरुआत की थी और उस चिट फंड कंपनी का नाम था सहारा।
पियरलेस की तर्ज पर उगाहे पैसे
सुब्रत रॉय ने १९७८ में पैराबैंकिग के क्षेत्र में कदम रखा था। उस वक्त देश में मौजूद नॉन बैंqकग क के दौरान ढोकला और छाछ सर्व की जाती है। सुब्रत रॉय पहले से दुबले हो गए हैं और उम्र कुछ ज्यादा लगने लगी है। उनकी सुबह कुछ इसी तरह गुजरती है। मीqटग में कानूनी पैतरों पर बात होती है। रॉय को रिहा कराने के लिए फंड जुटाने पर चर्चा की जाती है। देश के मशहूर उद्योगपति सुब्रत रॉय पिछले करीब १४ महीनों से तिहाड जेल में बंद हैं और उनकी इस कैद ने उनके सहारा इंडिया परिवार को मौजूदा हालात में बेसहारा सा बना दिया है। किलेनुा सहारा हाउस जितना आलीशान नजर आता है, उतने ही बुलंद और मजबूत इसके दरवाजे भी हैं लेकिन जब इस बुलंद दरवाजे पर कानून के मजबूत हाथों ने दस्तक दी थी तो पूरे सहारा साम्राज्य में खलबली मच गई थी।
लखनऊ में सहारा सिटी का इलाका सुब्रत रॉय का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और यहीं पर उनका किलेनुा आशियाना भी साकार किया गया है। इस सहारा स्टेट में बडे-बडे नेता से लेकर खिलाडी और फिल्मी सितारे तक अपनी चमक बिखेर कर सुब्रत रॉय के दबदबे का अहसास भी कराते रहे हैं लेकिन बदले हालात ने सुब्रत रॉय को तिहाड जेल की ऊंची और मजबूत दीवारों के पीछे ढकेल दिया है। जिस कारोबार की दुनिया ने उन्हें जमीन से आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया उसी कारोबार की हेराफेरी में फंस कर वो पिछले १४ महीने से जेल में बंद हैं।
एक लाख करोड रुपये से ज्यादा की मिल्कियत वाले सहारा समूह के मालिक सुब्रत राय के राजसी ठाठ-बाट के किस्से अक्सर सामने आते रहे हैं। सुब्रत रॉय का दबदबा कुछ ऐसा रहा है कि राजनेता जहां उनकी दहलीज तक qखचे आते थे वहीं खेल औμर सिनो के सितारे उनकी महफिल की रौनक बढाते थे, लेकिन २४ हजार करोड रुपये की धोखाधडी के मामले ने उन्हें पहुंचा दिया जेल। दिल्ली की तिहाड जेल में कैद सुब्रत रॉय की रिहाई को लेकर तमाम तरह की कोशिशें होती चली आ रही हैं।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों के २४ हजार करोड रुपये लौटाने का आदेश दिया था, लेकिन जब इस पर अमल नहीं हुआ तो कोर्ट के आदेश पर पिछले साल मार्च महीने में सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वे जेल में ही बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, सहारा समूह को सुब्रत रॉय की जमानत के लिए १०००० करोड रुपए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी के पास जमा कराने हैं, लेकिन सहारा समूह ये पैसा जमा नहीं करा पाया है।सवाल ये है कि हजारों करोड रुपये के साम्राज्य वाला सहारा समूह अपने मालिक को जेल से रिहा कराने में अभी तक नाकाम क्यों रहा है? इस बात की पडताल भी हम आगे करेंगे, लेकिन उससे पहले सुब्रत रॉय की कहानी।
साभार: राष्ट्र पत्रिका
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