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जेसा कि हम।सब जानते कि जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार लोकतंत्र मे सर्वच हे (जनता का जनता के लिए जनता द्वारा शासन) फिर जंग कि ये केसी तानाशाही ? ये साफ हो गया हे कि नजीब जंग या तो तानाशाहा या फिर मोदी कि कठपुतली हे जो मोदी के इशारों पर नाच रहा हे जो सविधान ओर लोकतंत्र को चुनोती दे रहा हे।
कोन सही हे जंग या दिल्ली सरकार कुछ सविधानिक, इतिहासिक ओर उच्चतम न्यायालय के तथ्यों के आधार पर explanation :-
1. मध्यकाल मे राजा सर्वोच्च होता था ओर उसका निर्णय जनता को हर तरह से स्वीकार करना होता था। परन्तु 1688 Glorious क्रान्ति के बाद इंग्लैण्ड मे संसदीय व्यवस्था सिद्धान्तो की स्थापना की गई अब राजा नामात्र का ओर जनता सर्वोच्च होगी ओर जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि सर्वोच्च होगे। अब राजा के तीन अधिकार हे (1) right to be consulted (2) right to encourage (3) right to warn यानी अब राजा के पास प्राशासनिक अधिकार कम हो गये ओर अब जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार के पास सभी अधिकार आ गये थे ओर राजा केवल मन्त्रीपरिषद सुझाव के अनुसार कार्य करेगा ।
2. सर्वोच्च न्यायालय कि सात न्यायधीसो वाली बेन्च ने 1974 मे शमशेर बनाम पंजाब राज्य पर अपना इतिहासिक निर्णय दिया था कि भारत का राष्ट्रपति ओर गवर्नर ब्रिटेन के राजा के समान हे। दोनो (राष्ट्रपति व गवर्नर) मन्त्री परिषद सुझाव के अनुसार कार्य करेगे ओर दोनो को स्वतन्त्र रुप निर्णय लेना का अधिकार नही हे । ओर इसी आधार पर सविधान के 42वे संशोधन पर ये साफ कर दिया गया कि राष्ट्रपति ओर गवर्नर केवल मन्त्री परिषद सुझाव के आधर पर ही कार्य करेगे । एक फिर से ये महसूस करने कि जरुरत हे कि भारत मे लोकतंत्र हे जहा सरकार जनता द्वारा चुनी हूई हे ओर राष्ट्रपति ओर गवर्नर केवल ब्रिटेन के राजा के समान हे ।
3. सविधान के 69वे सन्सोधन अनुच्छेद 239AA NCT एक्ट 1991के तहत दिल्ली अब केन्द्र शासित प्रदेश ही नही बल्कि यहा पर जनता द्वारा चुनी हुई सरकार जिसमे एक मन्त्री परिषद् ओर एक मुख्यमंत्री भी होगा इसके साथ दिल्ली का एक उप राज्यपाल भी होगा जो मन्त्री परिषद कि सलाह के अनुसार कार्य करेगा परन्तु दिल्ली की पुलिस ओर भुमि केन्द्र सरकार के अधीन होगी। अनुच्छेद 239 AA (4) के अनुसार दिल्ली कि मन्त्री परिषद उप राज्यपाल के साथ कानून बनाने मे सहायता करेगी। ओर अनुच्छेद 239. AA(6) के अनुसार मन्त्री परिषद विधान सभा के प्रति पूर्ण रुप से जिम्मवार होगी। लेकिन नजीब जंग यहा पर सविधानिक रुप से गलत साबित होते हे।
4. नजीब जंग जब मध्य प्रदेश के इन्दोर जिले मे जिलाधिकरी के रुप मे थे तो इन्होंने वहा पर भी आदिवासीयो के अमानवीय व्यहार किया ओर उन गरीब लोगो कि जमीन Reliance को सस्ते दामो पर दी थी ओर उसका परिणाम ये हे कि नजीब जंग का Reliance मे आज भी share हे। अगर बात करे जिस समय नजीब जंग जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति थे तो उस समय राष्ट्रीय मण्डल खेल आयोजित समीति ने जामिया सुधार के लिए करीबन 26 करोड रुपये दिए थे तो जंग ने आधा पसे वापस कर दिया जिसके बदले उस समय कि सरकार ने जंग को दिल्ली का उप राज्यपाल बना दिया ओर अाज नजीब जंग मोदी सरकार की हिमायत करते नजर करते आ रहे हे जो लोकतांत्रिक व्यवस्था से भी हटकर हे।
5. नजीब जंग का (दिल्ली के उप राज्यपाल) यह तर्क हे कि उसे दिल्ली मे अधिकारियो को नियुक्त करने के अधिकार हे जबकि केजरीवाल का भी तर्क हे कि दिल्ली सरकार को अपने अधिकारी नियुक्ति करने का अधिकार हे फिर गलत कोन जंग या केजरी? जबकि इसका कानूनी प्रवधान कुछ भी हो परन्तु एक लोकतांत्रिक शासन मे सभी प्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते ओर जनता द्वारा चुनी हुई को सरकार को अपने अधिकारी नियुक्ति करने की पूर्ण स्वतंत्रता हे। केजरीवाल जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि हे जबकि नजीब जंग नही ओर जंग लोकतांत्रिक सरकार पर एक मास्टर कि तरह व्यवहार कर रहे हे।
विचारक
इमरान खान मेव
रिसर्च स्कालर
जामिया मिलिया इस्लामिया
जेसा कि हम।सब जानते कि जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार लोकतंत्र मे सर्वच हे (जनता का जनता के लिए जनता द्वारा शासन) फिर जंग कि ये केसी तानाशाही ? ये साफ हो गया हे कि नजीब जंग या तो तानाशाहा या फिर मोदी कि कठपुतली हे जो मोदी के इशारों पर नाच रहा हे जो सविधान ओर लोकतंत्र को चुनोती दे रहा हे।
कोन सही हे जंग या दिल्ली सरकार कुछ सविधानिक, इतिहासिक ओर उच्चतम न्यायालय के तथ्यों के आधार पर explanation :-
1. मध्यकाल मे राजा सर्वोच्च होता था ओर उसका निर्णय जनता को हर तरह से स्वीकार करना होता था। परन्तु 1688 Glorious क्रान्ति के बाद इंग्लैण्ड मे संसदीय व्यवस्था सिद्धान्तो की स्थापना की गई अब राजा नामात्र का ओर जनता सर्वोच्च होगी ओर जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि सर्वोच्च होगे। अब राजा के तीन अधिकार हे (1) right to be consulted (2) right to encourage (3) right to warn यानी अब राजा के पास प्राशासनिक अधिकार कम हो गये ओर अब जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार के पास सभी अधिकार आ गये थे ओर राजा केवल मन्त्रीपरिषद सुझाव के अनुसार कार्य करेगा ।
2. सर्वोच्च न्यायालय कि सात न्यायधीसो वाली बेन्च ने 1974 मे शमशेर बनाम पंजाब राज्य पर अपना इतिहासिक निर्णय दिया था कि भारत का राष्ट्रपति ओर गवर्नर ब्रिटेन के राजा के समान हे। दोनो (राष्ट्रपति व गवर्नर) मन्त्री परिषद सुझाव के अनुसार कार्य करेगे ओर दोनो को स्वतन्त्र रुप निर्णय लेना का अधिकार नही हे । ओर इसी आधार पर सविधान के 42वे संशोधन पर ये साफ कर दिया गया कि राष्ट्रपति ओर गवर्नर केवल मन्त्री परिषद सुझाव के आधर पर ही कार्य करेगे । एक फिर से ये महसूस करने कि जरुरत हे कि भारत मे लोकतंत्र हे जहा सरकार जनता द्वारा चुनी हूई हे ओर राष्ट्रपति ओर गवर्नर केवल ब्रिटेन के राजा के समान हे ।
3. सविधान के 69वे सन्सोधन अनुच्छेद 239AA NCT एक्ट 1991के तहत दिल्ली अब केन्द्र शासित प्रदेश ही नही बल्कि यहा पर जनता द्वारा चुनी हुई सरकार जिसमे एक मन्त्री परिषद् ओर एक मुख्यमंत्री भी होगा इसके साथ दिल्ली का एक उप राज्यपाल भी होगा जो मन्त्री परिषद कि सलाह के अनुसार कार्य करेगा परन्तु दिल्ली की पुलिस ओर भुमि केन्द्र सरकार के अधीन होगी। अनुच्छेद 239 AA (4) के अनुसार दिल्ली कि मन्त्री परिषद उप राज्यपाल के साथ कानून बनाने मे सहायता करेगी। ओर अनुच्छेद 239. AA(6) के अनुसार मन्त्री परिषद विधान सभा के प्रति पूर्ण रुप से जिम्मवार होगी। लेकिन नजीब जंग यहा पर सविधानिक रुप से गलत साबित होते हे।
4. नजीब जंग जब मध्य प्रदेश के इन्दोर जिले मे जिलाधिकरी के रुप मे थे तो इन्होंने वहा पर भी आदिवासीयो के अमानवीय व्यहार किया ओर उन गरीब लोगो कि जमीन Reliance को सस्ते दामो पर दी थी ओर उसका परिणाम ये हे कि नजीब जंग का Reliance मे आज भी share हे। अगर बात करे जिस समय नजीब जंग जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति थे तो उस समय राष्ट्रीय मण्डल खेल आयोजित समीति ने जामिया सुधार के लिए करीबन 26 करोड रुपये दिए थे तो जंग ने आधा पसे वापस कर दिया जिसके बदले उस समय कि सरकार ने जंग को दिल्ली का उप राज्यपाल बना दिया ओर अाज नजीब जंग मोदी सरकार की हिमायत करते नजर करते आ रहे हे जो लोकतांत्रिक व्यवस्था से भी हटकर हे।
5. नजीब जंग का (दिल्ली के उप राज्यपाल) यह तर्क हे कि उसे दिल्ली मे अधिकारियो को नियुक्त करने के अधिकार हे जबकि केजरीवाल का भी तर्क हे कि दिल्ली सरकार को अपने अधिकारी नियुक्ति करने का अधिकार हे फिर गलत कोन जंग या केजरी? जबकि इसका कानूनी प्रवधान कुछ भी हो परन्तु एक लोकतांत्रिक शासन मे सभी प्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते ओर जनता द्वारा चुनी हुई को सरकार को अपने अधिकारी नियुक्ति करने की पूर्ण स्वतंत्रता हे। केजरीवाल जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि हे जबकि नजीब जंग नही ओर जंग लोकतांत्रिक सरकार पर एक मास्टर कि तरह व्यवहार कर रहे हे।
विचारक
इमरान खान मेव
रिसर्च स्कालर
जामिया मिलिया इस्लामिया
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