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नई दिल्ली -केंद्र की मोदी सरकार और िशेषकर प्रधानमंत्री मोदी ने लेंड बिल को अपनी प्रतिष्ष्ठा से जोड़ लिया है इसलिए वे हर कीमत पर इस बिल को पारित करवाना चाहते है जबकि राज्यसभा में उनके पास बहुमत नहीं है एक बार फिर केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादास्पद ऑर्डिनेंस को फिर से लागू करने की सिफारिश कर दी है। 3 जून को इसकी मियाद खत्म होने जा रही थी। पिछला अध्यादेश मार्च में लाया गया था।
एक ओर जहां राज्यसभा में लैंड बिल को लेकर राजनीतिक गतिरोध जारी है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार ने तीसरी बार इस अध्यादेश का सहारा लिया है। हालांकि लैंड बिल को लोकसभा ने पहले ही पारित कर दिया है लेकिन सरकार इसे राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण पेश नहीं कर रही है। दिसंबर में पहली बार सरकार भूमि अधिग्रहण पर अध्यादेश लाई थी।
कैबिनेट की सिफारिश के बाद लैंड ऑर्डिनेंस को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। हाल में खत्म हुए संसद सत्र के दौरान सरकार ने लैंड बिल को संसद की जॉइंट कमिटी के पास भेजने की सहमति दी थी। जॉइंट कमिटी की कल हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने 2013 के कानून में बदलाव के औचित्य पर सवाल उठाया।
भूमि अधिग्रहण राजनीतिक रूप से एक ऐसा संवेदनशील मुद्दा बन गया है जिस पर BJP सरकार अड़ी हुई लगती है और विपक्ष ने इस विषय पर समझौता न करने की ठान रखी है। हाल ही के दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कई बार मोदी सरकार को इस मसले पर घेरने की पूरी कोशिश की है।कांग्रेस नेता आरएस सुरजेवाला ने कैबिनेट के इस फैसले के विरोध में कहा, ‘लैंड ऑर्डिनेंस को तीसरी बार ला कर सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है, मजाक किया है।’ उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही प्रधानमंत्री का दोहरापन खुल कर सामने आ गया। कल ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह इस ऑर्डिनेंस पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हैं।’
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