जालंधर, पंजाब सरकार ने विवादों में घिरी एम्टा कंपनी को फिर से झारखंड के पच्छवाड़ा सेंट्रल ब्लॉक कोल माइन से कोयले की खनन की मंजूरी दे दी है। यह कंपनी 2006 से पंजाब को कोयले की आपूर्ति करती थी लेकिन अग्रिम भुगतान संबंधी कारणों से पानम ने 2014 में कोयला देना बंद कर दिया था, जिसके कारण पंजाब में ब्लैकआउट जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। इस मंजूरी से पंजाब को पावर संयंत्रों को कोयला मिलने का रास्ता साफ हो गया है लेकिन कंपनी की पिछली कारगुजारी को देखते हुए पावरकॉम और सरकार के फैसले पर भी सवाल खड़ा हो गया है।
कंपनी ने जमा नहीं करवाई राशि : अक्तूबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कई कॉल ब्लॉक रद्द किए थे जिनमें पंजाब की पछवाड़ा कोल माइन भी एक थी। लेकिन कोयले के संकट को देखते हुए कोर्ट ने 2015 तक माइनिंग की इजाजत दे दी थी। कोर्ट ने 2006 से लेकर 31 मार्च 2015 तक माइनिंग किए गए कोयले पर 2.85 रुपए प्रति टन के हिसाब से लाभ की वसूली करने के निर्देश दिए ।
इसमें 26 फीसदी शेयर पावरकॉम का था जिसके 400 करोड़ रुपए पावरकॉम ने जमा करवा दिए लेकिन एम्टा कंपनी ने अपने हिस्से का 74 फीसदी शेयर जमा नहीं करवाया।
कोल ब्लॉक रद्द होने के साथ ही एम्टा का अनुबंध भी खत्म हो गया था, मगर 20 मई को कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इसी कंपनी को फिर से पावरकॉम की पछवाड़ा कोयला खान से खनन की मंजूरी दे दी है तथा इस संबंध में 23 मई को सरकार ने पत्र भी जारी कर निर्देश दिया है कि जब तक पावरकॉम किसी के साथ स्थाई तौर पर एमओयू साइन नहीं करती, तब तक यही कंपनी खनन का काम देखेगी।
पहले कम भेजा था कोयला
पावरकॉम ने पच्छवाड़ा कोल माइन से कोयला निकालने के लिए 2006 में एम्टा से एमओयू साइन किया था। पावरकॉम और एम्टा ने इसके लिए पानम कंपनी बनाई जो कई सालों से पंजाब को कोयला निकालकर भेजती थी। पानम ने पंजाब को सालाना 70 लाख टन कोयला भेजना था लेकिन 2013-14 में पानम ने पंजाब को मात्र 59 लाख टन कोयला ही भेजा। 2014-15 में अप्रैल से लेकर अगस्त तक पांच महीने में मात्र 14़ 5 लाख टन कोयला ही पंजाब को भेजा, जबकि करार के मुताबिक 29 लाख टन कोयला भेजना था। इससे 2014 में पंजाब के बिजली तापघर बंद हो गए थे।
कंपनी ने जमा नहीं करवाई राशि : अक्तूबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कई कॉल ब्लॉक रद्द किए थे जिनमें पंजाब की पछवाड़ा कोल माइन भी एक थी। लेकिन कोयले के संकट को देखते हुए कोर्ट ने 2015 तक माइनिंग की इजाजत दे दी थी। कोर्ट ने 2006 से लेकर 31 मार्च 2015 तक माइनिंग किए गए कोयले पर 2.85 रुपए प्रति टन के हिसाब से लाभ की वसूली करने के निर्देश दिए ।
इसमें 26 फीसदी शेयर पावरकॉम का था जिसके 400 करोड़ रुपए पावरकॉम ने जमा करवा दिए लेकिन एम्टा कंपनी ने अपने हिस्से का 74 फीसदी शेयर जमा नहीं करवाया।
कोल ब्लॉक रद्द होने के साथ ही एम्टा का अनुबंध भी खत्म हो गया था, मगर 20 मई को कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इसी कंपनी को फिर से पावरकॉम की पछवाड़ा कोयला खान से खनन की मंजूरी दे दी है तथा इस संबंध में 23 मई को सरकार ने पत्र भी जारी कर निर्देश दिया है कि जब तक पावरकॉम किसी के साथ स्थाई तौर पर एमओयू साइन नहीं करती, तब तक यही कंपनी खनन का काम देखेगी।
पहले कम भेजा था कोयला
पावरकॉम ने पच्छवाड़ा कोल माइन से कोयला निकालने के लिए 2006 में एम्टा से एमओयू साइन किया था। पावरकॉम और एम्टा ने इसके लिए पानम कंपनी बनाई जो कई सालों से पंजाब को कोयला निकालकर भेजती थी। पानम ने पंजाब को सालाना 70 लाख टन कोयला भेजना था लेकिन 2013-14 में पानम ने पंजाब को मात्र 59 लाख टन कोयला ही भेजा। 2014-15 में अप्रैल से लेकर अगस्त तक पांच महीने में मात्र 14़ 5 लाख टन कोयला ही पंजाब को भेजा, जबकि करार के मुताबिक 29 लाख टन कोयला भेजना था। इससे 2014 में पंजाब के बिजली तापघर बंद हो गए थे।
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