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नई दिल्ली. अभिनेता से बीजेपी राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही उनके भी 'अच्छे दिन' आएंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं नहीं है कि उन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाकर क्यों नहीं शामिल किया। लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई है कि हो सकता है कि इसके पीछे बिहार चुनाव के दौरान उन्हें किसी तरह की भूमिका दिए जाने की सोच हो।
सरकार के रहते आ ही जाएंगे 'अच्छे दिन'
सिन्हा ने कहा कि लोगों ने मुझसे पूछा कि आप बीजेपी में सीनियर नेता हैं, आपको पहले भी मंत्रालय संभालने का अनुभव रहा है और खासे लोकप्रिय हैं, लेकिन आपको मंत्रिमंडल में शामिल क्यों नहीं किया गया? सिन्हा ने कहा, 'इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं है। मुझे लगता है कि हमारे प्रधानमंत्री और पार्टी की सीनियर लीडरशिप के पास इस सवाल का जवाब हो सकता है।' हालांकि सिन्हा ने कहा, 'पिछले एक साल से इस बात को महसूस कर रहा हूं कि मेरे भी अच्छे दिन आएंगे।' उन्होंने कहा कि अभी हमारी सरकार के 4 साल भी बाकी हैं और तब तक अच्छे दिन आ जाएंगे।
'पार्टी कहेगी तो विधानसभा चुनाव में प्रचार करूंगा'
जब शत्रुघ्न से सवाल किया कि गया कि बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी, इस पर सिन्हा का जवाब था कि यह बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करता है वह मेरे अनुभव और मेरी छवि का चुनावों में कैसे उपयोग करता है।
'खराब लगा जब पार्टी ने मीटिंग में नहीं बुलाया'
लंबे समय तक बीजेपी के स्टार कैंपेनर और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और जहाजरानी मंत्री रहे शत्रुघ्न सिन्हा को इस बात का मलाल है कि अप्रैल महीने में बिहार में हुई पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मीटिंग के लिए उन्हें कोई औपचारिक निर्देश भी नहीं भेजा गया। यहां तक कि बीजेपी के पोस्टर और बैनर से भी उनके नाम नदारद था।
'बीजेपी को चुनौती दे सकता है लालू-नीतिश का गठबंधन'
जेडीयू-आरजेडी गठबंधन और जनता परिवार के मर्जर के मुद्दे पर सिन्हा का कहना था कि उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि बिहार में पहले से अजमाए जा चुके और मुख्यमंत्री रह चुके दो बड़े नेताओं का साथ आना उनकी पार्टी के लिए चुनौती जरूर पेश कर सकता है।
नई दिल्ली. अभिनेता से बीजेपी राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही उनके भी 'अच्छे दिन' आएंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं नहीं है कि उन्हें केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाकर क्यों नहीं शामिल किया। लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई है कि हो सकता है कि इसके पीछे बिहार चुनाव के दौरान उन्हें किसी तरह की भूमिका दिए जाने की सोच हो।
सरकार के रहते आ ही जाएंगे 'अच्छे दिन'
सिन्हा ने कहा कि लोगों ने मुझसे पूछा कि आप बीजेपी में सीनियर नेता हैं, आपको पहले भी मंत्रालय संभालने का अनुभव रहा है और खासे लोकप्रिय हैं, लेकिन आपको मंत्रिमंडल में शामिल क्यों नहीं किया गया? सिन्हा ने कहा, 'इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं है। मुझे लगता है कि हमारे प्रधानमंत्री और पार्टी की सीनियर लीडरशिप के पास इस सवाल का जवाब हो सकता है।' हालांकि सिन्हा ने कहा, 'पिछले एक साल से इस बात को महसूस कर रहा हूं कि मेरे भी अच्छे दिन आएंगे।' उन्होंने कहा कि अभी हमारी सरकार के 4 साल भी बाकी हैं और तब तक अच्छे दिन आ जाएंगे।
'पार्टी कहेगी तो विधानसभा चुनाव में प्रचार करूंगा'
जब शत्रुघ्न से सवाल किया कि गया कि बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी, इस पर सिन्हा का जवाब था कि यह बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करता है वह मेरे अनुभव और मेरी छवि का चुनावों में कैसे उपयोग करता है।
'खराब लगा जब पार्टी ने मीटिंग में नहीं बुलाया'
लंबे समय तक बीजेपी के स्टार कैंपेनर और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और जहाजरानी मंत्री रहे शत्रुघ्न सिन्हा को इस बात का मलाल है कि अप्रैल महीने में बिहार में हुई पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मीटिंग के लिए उन्हें कोई औपचारिक निर्देश भी नहीं भेजा गया। यहां तक कि बीजेपी के पोस्टर और बैनर से भी उनके नाम नदारद था।
'बीजेपी को चुनौती दे सकता है लालू-नीतिश का गठबंधन'
जेडीयू-आरजेडी गठबंधन और जनता परिवार के मर्जर के मुद्दे पर सिन्हा का कहना था कि उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि बिहार में पहले से अजमाए जा चुके और मुख्यमंत्री रह चुके दो बड़े नेताओं का साथ आना उनकी पार्टी के लिए चुनौती जरूर पेश कर सकता है।
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