आर टी आई toc @ rti news
श्योपुर। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) श्योपुर में मजाक बनकर रह गया है। नियम तो यह है कि आवेदक को एक महीने में चाही गई जानकारी देना होगी, लेकिन डेढ से दो-दो साल बाद भी अफसर आरटीआई का जवाब नहीं दे रहे।
सरकारी योजनाओं पर खर्च, उनके संचालन, विभागों में होने वाली खरीदी और कर्मचारियों की भर्ती के संबंध में जानकारी तो मिलती ही नहीं है। विजयपुर कस्बे के वार्ड 2 के पूर्व पार्षद बृजेश भारद्वाज ने 29 जून 2013 को नगर पंचायत में आरटीआई का आवेदन लगाकर नपं की कैशबुक की नकल, पेंशन का रिकार्ड, निर्माण कार्यों का लेखा-जोखा और पीआईसी की बैठकों में हुए निर्णयों के दस्तावेज मांगे थे। श्री भारद्वाज के इस आवेदन को सवा साल से ज्यादा हो गए, लेकिन आज तक उन्हें नगर पंचायत ने मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है। श्री भारद्वाज अकेले नहीं हैं। श्योपुर में लगभग हर सरकारी विभाग में सूचना के अधिकार के तहत लंबित आवेदनों की फेहरिस्त दिनों-दिन लंबी होती जा रही है। आरटीओ, जिला पंचायत, जनपद, नगर पालिका, जिला अस्पताल, पीडब्ल्यूडी और पीएचई जैसे विभागों में डेढ़ से दो-दो साल तक के आवेदन पेंिडंग पड़े हैं।
सूचना लगाने पर भी राहत नहीं
आरटीआई के नियमानुसार यदि संबंधित विभाग समय पर जानकारी नहीं दें तो उसकी अपील वरिष्ठ अफसर से कर सकते हैं। अपीलीय अधिकारियों में एसडीएम से लेकर जिला पंचायत के सीईओ और कलेक्टर होते हैं। यदि यह अधिकारी भी जानकारी न दिला पाएं तो भोपाल में सूचना आयोग में अंतिम अपील होती है।
श्योपुर। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) श्योपुर में मजाक बनकर रह गया है। नियम तो यह है कि आवेदक को एक महीने में चाही गई जानकारी देना होगी, लेकिन डेढ से दो-दो साल बाद भी अफसर आरटीआई का जवाब नहीं दे रहे।
सरकारी योजनाओं पर खर्च, उनके संचालन, विभागों में होने वाली खरीदी और कर्मचारियों की भर्ती के संबंध में जानकारी तो मिलती ही नहीं है। विजयपुर कस्बे के वार्ड 2 के पूर्व पार्षद बृजेश भारद्वाज ने 29 जून 2013 को नगर पंचायत में आरटीआई का आवेदन लगाकर नपं की कैशबुक की नकल, पेंशन का रिकार्ड, निर्माण कार्यों का लेखा-जोखा और पीआईसी की बैठकों में हुए निर्णयों के दस्तावेज मांगे थे। श्री भारद्वाज के इस आवेदन को सवा साल से ज्यादा हो गए, लेकिन आज तक उन्हें नगर पंचायत ने मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है। श्री भारद्वाज अकेले नहीं हैं। श्योपुर में लगभग हर सरकारी विभाग में सूचना के अधिकार के तहत लंबित आवेदनों की फेहरिस्त दिनों-दिन लंबी होती जा रही है। आरटीओ, जिला पंचायत, जनपद, नगर पालिका, जिला अस्पताल, पीडब्ल्यूडी और पीएचई जैसे विभागों में डेढ़ से दो-दो साल तक के आवेदन पेंिडंग पड़े हैं।
सूचना लगाने पर भी राहत नहीं
आरटीआई के नियमानुसार यदि संबंधित विभाग समय पर जानकारी नहीं दें तो उसकी अपील वरिष्ठ अफसर से कर सकते हैं। अपीलीय अधिकारियों में एसडीएम से लेकर जिला पंचायत के सीईओ और कलेक्टर होते हैं। यदि यह अधिकारी भी जानकारी न दिला पाएं तो भोपाल में सूचना आयोग में अंतिम अपील होती है।
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