हमें गर्व है इंदौर पुलिस पर 📝📝📝📝
हमें गर्व है इंदौर पुलिस … जी हाँ में बात कर रहा हू इंदौर पुलिस की जिस पर मुझे कल हुई घटना बाद यकीन हो गया की पुलिस पत्रकारों को किसी भी झूठे मामले में फंसा सकती है । ये इंदौर पुलिस ने मंगलवार रात साबित कर दिखाया । इसके साथ ही इंदौर पुलिस के दो चेहरे भी मीडिया के सामने आये ।
पूरा वाक्या मंगलवार रात छत्रीपुरा थाना क्षेत्र का है । पत्रकार आदिल खान महू नाका की तरफ से जा रहे तभी उन्हें ट्रैफिक थाने पर पदस्थ एक पुलिसकर्मी चार सवारी जाते दिखा तो आदिल ने अपने मोबाईल से फोटो ले लिया ताकि उसे अखबार में लगा सके । लेकिन पुलिसकर्मी ने जब आदिल को फोटो लेते देखा तो उसने आदिल की पिटाई कर उसे छत्रीपुरा पुलिस को सौप दिया । जब मामले की जानकारी सीएसपी नीरज चौरसिया को लगी तो वो तुरंत थाने पहुंचे और फिर शुरू किया पत्रकार आदिल को उलझाने का खेल … चौरसिया जी वरिष्ठ अधिकारियो को गलत जानकारी देते रहे और रच दिया एक पत्रकार को उलझाने का खेल। … लेकिन ऐसा क्यों किया इसके लिए आपको पांच महीने पहले जाना होगा ।
7 जनवरी 2015 को जब नीरज चौरसिया सेन्ट्रल कोतवाली सीएसपी हुआ करते थे तब यूनिवर्सिटी ने एमबीए की परीक्षा में नकल करते पकड़ाये थे । तब अखबारों और चैनलों पर सीएसपी साहब की खूब खबरे चली थी और गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने तुरंत आदेश देकर उन्हें हटाया था बस तभी नीरज चौरसिया जी को हर पत्रकार दुश्मन नजर आता है और वो पत्रकारों को किसी भी मामले में उलझाने की फिराक में घूमते रहते है । तमाम साबुत और चिट पकड़ाने के बाद सीएसपी साहब को जाँच में क्लीन चिट मिल गई जो आज भी सवाल बना हुआ है ? ओर सीएसपी साहब फिर फिल्ड मे आ गये ।
👉 हमें क्यों गर्व है इंदौर पुलिस पर
हमें इसलिए इंदौर पुलिस पर गर्व है की पुलिस एक और कहती है की तीन सवारी वाहन चालकों के फोटो खींचकर आप म साईट पर डालो पुलिस कार्यवाही करेगी और फोटो भेजने वालो को इनाम मिलेगा लेकिन जब एक पत्रकार चार सवारी का फोटो करता है तो इंदौर पुलिस का वादा ही बदल जाता है और उल्टा पुलिस पत्रकार की पिटाई कर उसके खिलाफ मामला दर्ज करती है । वाह रे इंदौर पुलिस ये तो एक पत्रकार का हाल है यदि आम आदमी होता तो पता नहीं उसका क्या होता ?????
अब सवाल यहाँ उठता है की सीएसपी अपने निजी स्वार्थो के लिए पत्रकारो से ऐसा व्यवहार कैसे क्यों कर रहे है । यदि सीएसपी नक़ल कांड को लेकर पत्रकारों के पीछे पड़े है तो बहुत अच्छी बात है कम कम से यहाँ तो साबित हो गया की पुलिस कुछ भी कर सकती है धन्य इंदौर पुलिस की और मुझे गर्व है इंदौर पुलिस पर
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हमें गर्व है इंदौर पुलिस … जी हाँ में बात कर रहा हू इंदौर पुलिस की जिस पर मुझे कल हुई घटना बाद यकीन हो गया की पुलिस पत्रकारों को किसी भी झूठे मामले में फंसा सकती है । ये इंदौर पुलिस ने मंगलवार रात साबित कर दिखाया । इसके साथ ही इंदौर पुलिस के दो चेहरे भी मीडिया के सामने आये ।
पूरा वाक्या मंगलवार रात छत्रीपुरा थाना क्षेत्र का है । पत्रकार आदिल खान महू नाका की तरफ से जा रहे तभी उन्हें ट्रैफिक थाने पर पदस्थ एक पुलिसकर्मी चार सवारी जाते दिखा तो आदिल ने अपने मोबाईल से फोटो ले लिया ताकि उसे अखबार में लगा सके । लेकिन पुलिसकर्मी ने जब आदिल को फोटो लेते देखा तो उसने आदिल की पिटाई कर उसे छत्रीपुरा पुलिस को सौप दिया । जब मामले की जानकारी सीएसपी नीरज चौरसिया को लगी तो वो तुरंत थाने पहुंचे और फिर शुरू किया पत्रकार आदिल को उलझाने का खेल … चौरसिया जी वरिष्ठ अधिकारियो को गलत जानकारी देते रहे और रच दिया एक पत्रकार को उलझाने का खेल। … लेकिन ऐसा क्यों किया इसके लिए आपको पांच महीने पहले जाना होगा ।
7 जनवरी 2015 को जब नीरज चौरसिया सेन्ट्रल कोतवाली सीएसपी हुआ करते थे तब यूनिवर्सिटी ने एमबीए की परीक्षा में नकल करते पकड़ाये थे । तब अखबारों और चैनलों पर सीएसपी साहब की खूब खबरे चली थी और गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने तुरंत आदेश देकर उन्हें हटाया था बस तभी नीरज चौरसिया जी को हर पत्रकार दुश्मन नजर आता है और वो पत्रकारों को किसी भी मामले में उलझाने की फिराक में घूमते रहते है । तमाम साबुत और चिट पकड़ाने के बाद सीएसपी साहब को जाँच में क्लीन चिट मिल गई जो आज भी सवाल बना हुआ है ? ओर सीएसपी साहब फिर फिल्ड मे आ गये ।
👉 हमें क्यों गर्व है इंदौर पुलिस पर
हमें इसलिए इंदौर पुलिस पर गर्व है की पुलिस एक और कहती है की तीन सवारी वाहन चालकों के फोटो खींचकर आप म साईट पर डालो पुलिस कार्यवाही करेगी और फोटो भेजने वालो को इनाम मिलेगा लेकिन जब एक पत्रकार चार सवारी का फोटो करता है तो इंदौर पुलिस का वादा ही बदल जाता है और उल्टा पुलिस पत्रकार की पिटाई कर उसके खिलाफ मामला दर्ज करती है । वाह रे इंदौर पुलिस ये तो एक पत्रकार का हाल है यदि आम आदमी होता तो पता नहीं उसका क्या होता ?????
अब सवाल यहाँ उठता है की सीएसपी अपने निजी स्वार्थो के लिए पत्रकारो से ऐसा व्यवहार कैसे क्यों कर रहे है । यदि सीएसपी नक़ल कांड को लेकर पत्रकारों के पीछे पड़े है तो बहुत अच्छी बात है कम कम से यहाँ तो साबित हो गया की पुलिस कुछ भी कर सकती है धन्य इंदौर पुलिस की और मुझे गर्व है इंदौर पुलिस पर
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