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आम लीची कटहल द्वन्द में अंततः लालू भी कूद ही पड़े .... बोले सभी फलों पर पहला अधिकार तो उनका ही है - क्योंकि पेड़ तो राबड़ी ने लगाए थे .... अब समझ में आया - लालू चारा क्यों खा गए थे .... शायद उन्होंने सबसे ज्यादा चारा फेंका था - चारे से चारा उगा होगा .... सो खा लिया ....
तो ये तो हुई फलों की बात - पर अब फलों के पीछे की राजनीती की बात भी हो जाए ....
अभी अभी घोषणा हो गई है कि नितीश और लालू मिलकर चुनाव लड़ेंगे - और जनता परिवार की तरफ से नितीश ही गठबंधन के नेता और मुख्यमंत्री के दावेदार होंगे ....
ये बात सही है कि लालू चारा खा गए थे और इसलिए नितीश का अकेले चुनाव लड़ना ही बेहतर होता .... पर राजनीतिक नफ़ा नुक्सान - वोटों के बंटवारे के गुणा-भाग से तो यदि नितीश और लालू मिलकर चुनाव नहीं लड़ते तो फ़ायदा भाजपा का हो जाता ....
इसलिए शायद नितीश ने सोचा होगा कि पूरी-पूरी जमीन ही हथियाने वालों से तो बेहतर है जमीन पर लगने वाला चारा खाने वाले .... और ठीक भी है अभी तो भाजपा को हराना ही ज्यादा आवश्यक लगता है !!!!
तो अब बिहार का राजनीतिक परिदृश्य काफी साफ़ हो गया है .... JDU - RJD - CONGRESS मिलकर चुनाव लड़ेंगे .... और उधर अब भाजपा और मांझी और पप्पू यादव के बीच बातचीत होगी - फिर सीटों की संख्या को लेकर चर्चा - फिर चर्चा विफल होगी - फिर भाजपा और LJP ही मिलकर चुनाव लड़ेगी - और मांझी और पप्पू यादव तालमेल कर कुटुर-पुटुर करेंगे ....
और अंततः नितीश बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे !!!!
अभी मेरा अनुमान यहीं तक - आगे भाजपा कैसे हारेगी इसका बखान फिर कभी ....
आम लीची कटहल द्वन्द में अंततः लालू भी कूद ही पड़े .... बोले सभी फलों पर पहला अधिकार तो उनका ही है - क्योंकि पेड़ तो राबड़ी ने लगाए थे .... अब समझ में आया - लालू चारा क्यों खा गए थे .... शायद उन्होंने सबसे ज्यादा चारा फेंका था - चारे से चारा उगा होगा .... सो खा लिया ....
तो ये तो हुई फलों की बात - पर अब फलों के पीछे की राजनीती की बात भी हो जाए ....
अभी अभी घोषणा हो गई है कि नितीश और लालू मिलकर चुनाव लड़ेंगे - और जनता परिवार की तरफ से नितीश ही गठबंधन के नेता और मुख्यमंत्री के दावेदार होंगे ....
ये बात सही है कि लालू चारा खा गए थे और इसलिए नितीश का अकेले चुनाव लड़ना ही बेहतर होता .... पर राजनीतिक नफ़ा नुक्सान - वोटों के बंटवारे के गुणा-भाग से तो यदि नितीश और लालू मिलकर चुनाव नहीं लड़ते तो फ़ायदा भाजपा का हो जाता ....
इसलिए शायद नितीश ने सोचा होगा कि पूरी-पूरी जमीन ही हथियाने वालों से तो बेहतर है जमीन पर लगने वाला चारा खाने वाले .... और ठीक भी है अभी तो भाजपा को हराना ही ज्यादा आवश्यक लगता है !!!!
तो अब बिहार का राजनीतिक परिदृश्य काफी साफ़ हो गया है .... JDU - RJD - CONGRESS मिलकर चुनाव लड़ेंगे .... और उधर अब भाजपा और मांझी और पप्पू यादव के बीच बातचीत होगी - फिर सीटों की संख्या को लेकर चर्चा - फिर चर्चा विफल होगी - फिर भाजपा और LJP ही मिलकर चुनाव लड़ेगी - और मांझी और पप्पू यादव तालमेल कर कुटुर-पुटुर करेंगे ....
और अंततः नितीश बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे !!!!
अभी मेरा अनुमान यहीं तक - आगे भाजपा कैसे हारेगी इसका बखान फिर कभी ....
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