अवधेश पुरोहित
Present by - Toc News
भोपाल। यूं तो मध्यप्रदेश की स्थापना के बाद इस एमपी में कई इतिहास बने हैं और आज भी नये-नये इतिहास रचे जा रहे हैं, इसी अजब एमपी में जहां सत्ता के मुखिया शिवराज सिंह के मंत्रीमण्डल के एक मंत्री के वाहन चालक के पास से करोड़ों की राशि प्राप्त होती है और उन पर कोई कार्यवाही नहीं होना यह भी अजब है?
तो वहीं सदी के सबसे बड़े महाघोटाला व्यापमं के कारण हजारों नौजवानों का भविष्य बर्बाद हो गया तो वहीं कई आज भी सलाखों के पीछे है? तो उसी व्यापमं की जांच को लेकर भी अब तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। तो शिवराज मंत्री मण्डल के एक नाते रिश्तेदार की कहानी भी बड़ी अजब और गजब है इस मंत्री के नातेदार जब तत्कालीन कलेक्टर रायसेन हुआ करते थे तो इनकी कार्यप्रणाली और उनके बंगले पर बंधे हुए कुत्ते के किस्से भी रायसेन तो क्या पूरे आईएएस बिरादरी चर्चे आम थे।
लेकिन यह सब चर्चे दिग्विजय सिंह के शासनकाल के हैं, इन प्रमोटी आईएएस अधिकारी के इस कुत्ते के बारे में उन दिनों यह चर्चा आम थी कि साहब के बंगले में हर घुसने वाले व्यक्ति पर यह कुत्ता जब तक भोंकता था तब तक उसे १०० रुपये के नोट के दर्शन नहीं कराये जाते थे? इन शिवराज मंत्री मण्डल के मंत्री के नातेदार की कहानी भी बड़ी अजब है, उस समय विदिशा के सांसद शिवराज सिंह चौहान हुआ करते थे,
तब रायसेन सहित पूरे क्षेत्र में और वल्लभ भवन के गलियारे में यह चर्चा आम थी कि रायसेन कलेक्टर के कुत्ते को १०० रुपये के नोट का दर्शन कराने के बाद भी कोई बंगले में प्रवेश कर सकता है, मामला जो भी हो लेकिन है ना अजब और गजब का? समय का चक्र चलता रहा और यह प्रमोटी आईएएस अधिकारी ग्वालियर, रीवा और उज्जैन आदि शहरों में अपनी कार्यप्रणाली का झण्डा गाड़ते उखाड़ते आखिर प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुछ दिनों पहले पहुंच गए और मलाईदार विभाग के प्रमुख की हैसियत से इनकी पदस्थापना भी हो गई।
इन आईएएस अधिकारी की रायसेन से लेकर रीवा, उज्जैन व ग्वालियर आदि के इस सफरनामे के दौरान कुत्ते के नोटदर्शन करने के फेर में भी परिवर्तन होता रहा। वह जब तत्कालीन रायसेन कलेक्टर के उस दौर में जब शिवराज सिंह चौहान भी विदिशा के सांसद हुआ करते थे जब इन आईएएस महोदय का कुत्ता १०० का नोट देखकर भौंकना बंद कर देता था। आज वह प्रमोटी आईएएस अधिकारी के बंगले में प्रवेश करने वालों के हाथ में हजार और ५०० का नोट देखकर भोंकना ही बंद करता होगा।
पता नहीं इस कुत्ते की अब कितने के नोटों के दर्शन करने की आदत है लेकिन जहां तक उक्त अधिकारियों की कार्यप्रणाली का सवाल है तो उनके बारे में यह च चर्चा आम है कि वह अपनी आदत के अनुसार अपने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आयेदिन नोटिस थमाकर लक्ष्मी दर्शन के खेल में लगे हुए हैं, मजे की बात यह है चूंकि मामला मंत्री के नातेदार का होने की वजह से उक्त प्रमोटी आईएएस के अधिकारी के बारे में विभाग के मंत्री भी कुछ नहीं कर पाते हैं और वह भी मूकदर्शक यह सब नजारा देखने में लगे हैं।
इस स्थिति का पता लगाने की काफी कोशिश की गई और रायसेन और विदिशा के साथ-साथ राजधानी के कई उन परिचित अधिकारियों और राजनेताओं से उस कुत्ते के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई मगर अब कोई यह नहीं बताने को तैयार है कि कुत्ता हजार या ५०० का नोट देखकर भोंकना बंद करता है या फिर सीधे नोटों की गड्डियां देखने की आदत में शुमार हो गया। यह है एमपी अजब और $गज़ब की सच्चाई जिसको समझो बूझो भाई?
तभी तो मंत्री और अधिकारी, सत्ता के दलाल और ठेकेदारों का प्रदेश में सक्रिय रैकेट हर सरकारी योजनाओं में परखी लगाकर करने में लगा है कमाई, ऐसा नहीं है भाई प्रदेश का गौरव बढ़ाने में जहां लोग भी आगे हैं तो मोड़ा-मोड़ी और लुगाईयां भी पीछे नहीं हैं, तो यही वजह है कि हमेशा खबरों में बनी रहती हैं........?
तो सत्ताधीशों से लेकर पटवारी तक सभी को दिख रही है लक्ष्मी दर्शन करने में ज्यादा भलाई? यही है $गज़ब और अजब मध्यप्रदेश भाई, जिसमें घटित होता है व्यापमं और प्रदेश ही नहीं देश के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी कारनामों की हो रही बढ़ाई
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भोपाल। यूं तो मध्यप्रदेश की स्थापना के बाद इस एमपी में कई इतिहास बने हैं और आज भी नये-नये इतिहास रचे जा रहे हैं, इसी अजब एमपी में जहां सत्ता के मुखिया शिवराज सिंह के मंत्रीमण्डल के एक मंत्री के वाहन चालक के पास से करोड़ों की राशि प्राप्त होती है और उन पर कोई कार्यवाही नहीं होना यह भी अजब है?
तो वहीं सदी के सबसे बड़े महाघोटाला व्यापमं के कारण हजारों नौजवानों का भविष्य बर्बाद हो गया तो वहीं कई आज भी सलाखों के पीछे है? तो उसी व्यापमं की जांच को लेकर भी अब तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। तो शिवराज मंत्री मण्डल के एक नाते रिश्तेदार की कहानी भी बड़ी अजब और गजब है इस मंत्री के नातेदार जब तत्कालीन कलेक्टर रायसेन हुआ करते थे तो इनकी कार्यप्रणाली और उनके बंगले पर बंधे हुए कुत्ते के किस्से भी रायसेन तो क्या पूरे आईएएस बिरादरी चर्चे आम थे।
लेकिन यह सब चर्चे दिग्विजय सिंह के शासनकाल के हैं, इन प्रमोटी आईएएस अधिकारी के इस कुत्ते के बारे में उन दिनों यह चर्चा आम थी कि साहब के बंगले में हर घुसने वाले व्यक्ति पर यह कुत्ता जब तक भोंकता था तब तक उसे १०० रुपये के नोट के दर्शन नहीं कराये जाते थे? इन शिवराज मंत्री मण्डल के मंत्री के नातेदार की कहानी भी बड़ी अजब है, उस समय विदिशा के सांसद शिवराज सिंह चौहान हुआ करते थे,
तब रायसेन सहित पूरे क्षेत्र में और वल्लभ भवन के गलियारे में यह चर्चा आम थी कि रायसेन कलेक्टर के कुत्ते को १०० रुपये के नोट का दर्शन कराने के बाद भी कोई बंगले में प्रवेश कर सकता है, मामला जो भी हो लेकिन है ना अजब और गजब का? समय का चक्र चलता रहा और यह प्रमोटी आईएएस अधिकारी ग्वालियर, रीवा और उज्जैन आदि शहरों में अपनी कार्यप्रणाली का झण्डा गाड़ते उखाड़ते आखिर प्रदेश की राजधानी भोपाल में कुछ दिनों पहले पहुंच गए और मलाईदार विभाग के प्रमुख की हैसियत से इनकी पदस्थापना भी हो गई।
इन आईएएस अधिकारी की रायसेन से लेकर रीवा, उज्जैन व ग्वालियर आदि के इस सफरनामे के दौरान कुत्ते के नोटदर्शन करने के फेर में भी परिवर्तन होता रहा। वह जब तत्कालीन रायसेन कलेक्टर के उस दौर में जब शिवराज सिंह चौहान भी विदिशा के सांसद हुआ करते थे जब इन आईएएस महोदय का कुत्ता १०० का नोट देखकर भौंकना बंद कर देता था। आज वह प्रमोटी आईएएस अधिकारी के बंगले में प्रवेश करने वालों के हाथ में हजार और ५०० का नोट देखकर भोंकना ही बंद करता होगा।
पता नहीं इस कुत्ते की अब कितने के नोटों के दर्शन करने की आदत है लेकिन जहां तक उक्त अधिकारियों की कार्यप्रणाली का सवाल है तो उनके बारे में यह च चर्चा आम है कि वह अपनी आदत के अनुसार अपने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आयेदिन नोटिस थमाकर लक्ष्मी दर्शन के खेल में लगे हुए हैं, मजे की बात यह है चूंकि मामला मंत्री के नातेदार का होने की वजह से उक्त प्रमोटी आईएएस के अधिकारी के बारे में विभाग के मंत्री भी कुछ नहीं कर पाते हैं और वह भी मूकदर्शक यह सब नजारा देखने में लगे हैं।
इस स्थिति का पता लगाने की काफी कोशिश की गई और रायसेन और विदिशा के साथ-साथ राजधानी के कई उन परिचित अधिकारियों और राजनेताओं से उस कुत्ते के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई मगर अब कोई यह नहीं बताने को तैयार है कि कुत्ता हजार या ५०० का नोट देखकर भोंकना बंद करता है या फिर सीधे नोटों की गड्डियां देखने की आदत में शुमार हो गया। यह है एमपी अजब और $गज़ब की सच्चाई जिसको समझो बूझो भाई?
तभी तो मंत्री और अधिकारी, सत्ता के दलाल और ठेकेदारों का प्रदेश में सक्रिय रैकेट हर सरकारी योजनाओं में परखी लगाकर करने में लगा है कमाई, ऐसा नहीं है भाई प्रदेश का गौरव बढ़ाने में जहां लोग भी आगे हैं तो मोड़ा-मोड़ी और लुगाईयां भी पीछे नहीं हैं, तो यही वजह है कि हमेशा खबरों में बनी रहती हैं........?
तो सत्ताधीशों से लेकर पटवारी तक सभी को दिख रही है लक्ष्मी दर्शन करने में ज्यादा भलाई? यही है $गज़ब और अजब मध्यप्रदेश भाई, जिसमें घटित होता है व्यापमं और प्रदेश ही नहीं देश के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी कारनामों की हो रही बढ़ाई
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