दरअसल, सीएम शिवराज रतलाम उपचुनाव को लेकर पिछले चार दिनों से लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं. इस दौरान वो सभास्थल तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर का प्रयोग कर रहे हैं.
इस हेलिकॉप्टर को कैप्टन सोनल वर्मा उड़ा रही हैं. जिनकी काबिलियत सबके सामने उस वक्त आई जब उन्होंने सतर्कता दिखाते हुए हेलिकॉप्टर को बिजली के तारों से बचाते हुए सीएम की जान बचाई.
मंगलवार को भी सीएम के हेलिकॉप्टर की कमान एक बार फिर सोनल वर्मा के हाथ में ही थी. इस दौरान वो उन्हें रतलाम लेकर गईं. जहां शिवराज ने भरी चुनाव सभा में सोनल को बर्थडे विश किया.
जबलपुर में हुआ था सोनल का जन्म
कैप्टन सोनल वर्मा का जन्म जबलपुर में हुआ था. यहीं के लिटिल वर्ल्ड हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पायलेट बनने की ट्रेनिंग अमेरिका के हवाई में स्थित एक पायलट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट से ली.
जिसके बाद वो पंजाब सरकार में बतौर ऑपरेशन ऑफिसर और हेलिकॉप्टर पायलेट के रूप में जुड़ीं. इसके बाद वो इंडिया एयरलाइन्स/एवियेशन से जुड़ीं और इन दिनों वो फास्ट हेलिचार्टर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत हैं. जिसके अंतर्गत वो इन दिनों सीएम शिवराज के चुनावी दौरों में हेलिकॉप्टर उड़ा रही हैं
एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सुरक्षा में एक बड़ी चूक सामने आई है. रतलाम जिले में शिवराज के हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिए बिजली के तारों के बेहद करीब ही हेलीपैड बना दिया गया. पायलट ने सतर्कता दिखाते हुए हेलीकॉप्टर की सुरक्षित तरीके से लैंडिंग कराई.
सीएम शिवराज की सुरक्षा में बड़ी चूक, बिजली के तारों के पास बना दिया हेलीपैड
दरअसल, सीएम शिवराज को रविवार को रतलाम उपचुनाव के लिए बिरमाल में एक रैली को संबोधित करना था. इस दौरान उनकी सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान नहीं रखा गया और बिजली के तारों के पास ही हेलीपैड का निर्माण किया गया था.
इस वजह से लैडिंग के दौरान सीएम का हेलीकॉप्टर बिजली के तारों के बेहद नजदीक से गुजरा. इसे देखकर कुछ पलों के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं और अधिकारियों की भी सांसे थम गई थीं.
कौन है लापरवाही का जिम्मेदार..?
सीएम की सुरक्षा का जिम्मा एएसपी प्रशांत दुबे को सौंपा गया था, जबकि इंजीनियर धर्मेंद्र पाटीदार पर सारी व्यवस्था करने की जवाबदारी थीं. सीएम की सुरक्षा में चूक सामने आने के बाद इन दोनों के अलावा बड़े अफसरों ने भी चुप्पी साध ली हैं.
कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि वो हेलीपेड पर नहीं गए थे. उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर ने क्लीयरेंस सर्टिफिकेट दिया था. उसके बाद ही हेलीकॉप्टर को उतरने की अनुमति दी गई थी.
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