Friday, November 6, 2015

अवैध धर्म स्थलों के नियमितीकरण हेतु सरकार ने जारी किये प्रारुप नियम

28 नवम्बर के बाद लागू हो जायेंगे नये नियम
डॉ नवीन जोशी

भोपाल। राज्य सरकार ने 29 सितम्बर,2009 के पूर्व भूमि पर अतिक्रमण बने अवैध धर्मस्थलों को हटाने या उनके नियमितीकरण हेतु चौदह साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में बने मप्र सार्वजनिक स्थान धार्मिक भवन एवं गतिविधियों का विनियमन अधिनियम,2001 के तहत पहली बार प्रारुप नियम जारी किये हैं जिन्हें ''मप्र सार्वजनिक स्थान धार्मिक भवन एवं गतिविधियों का विनियमन नियम,2015ÓÓ नाम दिया गया है। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग द्वारा जारी ये नये नियम अगले माह 28 नवम्बर के बाद पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो जायेंगे।
प्रारुप नियमों के अनुसार, अवैध धर्मस्थलों के मामलों में जांच हेतु प्रत्येक जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति गठित की जायेगी जिसमें जिले के एसपी, उप संचालक टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग, आयुक्त नगर निगम/मुख्य नगर पालिक अधिकारी सदस्य होंगे जबकि राजस्व विभाग का उपखण्ड स्तरीय अधिकारी सदस्य सचिव होगा। यह समिति समीक्षा के बाद सम्बन्धित अवैध धर्मस्थल के नियमितीकरण हेतु अपनी अनुशंसायें संभागीय आयुक्त के माध्यम से राज्य सरकार को भेजेंगे। परन्तु यह जिला समिति सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण कर बने धार्मिक संरचना को नियमित करने की अनुशंसा नहीं करेगी और अप्राधिकृत धार्मिक संरचना को हटाने/पुन:स्थापित करने/नियमित करने के ऐसे मामले, प्रकरणवार आधार पर समीक्षा में लेगी तथा समस्त पुरानी और सार्वजनिक स्वरुप की धार्मिक संरचनायें, विशेष रुप से वे संरचनायें जो 29 सितम्बर,2009 से 30 वर्ष से अधिक पुरानी हैं, नियमितीकरण के लिये पहले विचार में लेगी।

प्रारुप नियमों में ये भी प्रावधान :
- धार्मिक संरचना को हटाने स्थानीय समुदाय के बीच व्यापक सर्वसम्मति बनाने का प्रयत्न होगा।
- ऐसे धार्मिकस्थल को हटाने में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होने पर मामला राज्य सरकार को निर्दिष्ट किया जायेगा।
- यदि अवैध धर्मस्थल भारत सरकार या उसके सार्वजनिक उपक्रम की भूमि पर है तो उसे नियमित करने के पूर्व भारत सरकार या उसके सार्वजनिक उपक्रम से पूर्व सहमति प्राप्त की जायेगी।
- किसी प्रकरण में शंका उत्पन्न होने पर जिला समिति सचिव धार्मिक न्यास को मामला निर्दिष्ट करेगी तथा राज्य सरकार ऐसे मामलों को अंतर विभागीय समिति गठित कर निपटायेगी तथा इस अंतरविभागीय समिति का निर्णय अंतिम होगा।
- किसी व्यक्ति द्वारा उसके स्वयं के हितों/अभिलाभों के लिये उपयोग वाले या वाणिज्यिक गतिविधियों के उपयोग वाले अवैध धर्मस्थल को नियमित नहीं किया जायेगा।
- सार्वजनिक श्रृध्दा से जुड़ी धार्मिक संरचनाओं को नियमित किया जा सकेगा।
- धर्मस्थल क्षेत्र में उसके अनुयायिओं की विपुल संख्या होने पर भी नियमितीकरण हेतु विचार किया जायेगा।
- यदि जिला समिति की नियमितीकरण संबंधी कोई अनुशंसा अस्वीकार कर दी जाती है तो ऐसी धार्मिक संरचना अस्वीकृति की तिथि से 30 दिन के भीतर हटा दी जायेगी।
- नियमित किये गये धर्मस्थल पर कोई भू-राजस्व प्रभारित नहीं किया जायेगा।
53 हजार धर्मस्थल हैं अवैध :
धर्मस्व विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में लगभग 53 हजार धार्मिक संस्थान ऐसे हैं जो सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से बने हुए हैं। सार्वजनिक स्थलों एवं सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक संस्थानों को हटाने को लेकर 2006 सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी। याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में सभी राज्यों से कहा कि सड़क मार्ग एवं सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाकर अन्यत्र स्थापित किया जाए एवं जिन धार्मिक स्थलों से किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो रही है उन्हें वैध करने की कार्यवाही की जाए।


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