' इंडिया न्यूज़ ' के तत्कालीन संवाददाता सुरेन्द्र तिवारी ने उजागर किया था महाघोटाला
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रीवा - साढे सत्रह करोड के बहुचर्चित डभौरा सहकारी बैंक महाघोटाला का मामला का अब और सुर्खियों में आना शुरू हो गया , इस घोटाले को लेकर सबसे पहले ' इंडिया न्यूज़ ' के तत्कालीन संवाददाता सुरेन्द्र तिवारी ने उजागर किया था , जिसके बाद सहकारी बैंक महाप्रबंधक सहित अपेक्स बैंक भोपाल की नींद उड गई और फिर अनन-फनन मे टीम गठित कर जांच शुरू की गई .... जाच के दौरान कई राज खुले ...कैसे और किन किन लोगो ने इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया , जांच के दौरान घोटाले की राशि साढे सत्रह करोड से बढ कर 21 करोड़ रुपए से अधिक पहुच गई , तत्कालीन डभौरा सहकारी बैंक के प्रभारी शाखा प्रबंधक रामकृष्ण मिश्रा सहित पूरे स्टाफ पर फर्जी तरीके से गमन के आरोप लगे ..... विभागीय जांच के बाद पूरा मामला डभौरा थाने को सुपुर्द कर दिया गया, थाने मे मामला जाते ही सभी आरोपी फरार हो गये , फरार मुख्य आरोपी निलंबित शाखा प्रभारी रामकृष्ण मिश्रा, पूर्व शाखा प्रबंधक अरूण प्रताप सिंह,निलंबित लेखापाल,कैशियर सहित सभी 19 आरोपियो के विरूध 15 मार्च को आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत एक एफआईआर दर्ज कर ली गई, मामले की जाज शुरू कर दी गई, पुलिस जाच के दौरान सभी आरोपी फरार रहे , अब तत्कालीन डभौरा सहकारी बैंक के प्रभारी शाखा प्रबंधक रामकृष्ण मिश्रा गिरफ़्तारी के बाद कई एहम राज सामने आने शुरू हो गए .. सफेद पोस धारी सहित पुलिस के आला अधिकारी भी इस घोटाले में सामिल होने की बात सामने आ रही है , सूत्रों की माने तो जब तत्कालीन डभौरा सहकारी बैंक के प्रभारी शाखा प्रबंधक रामकृष्ण मिश्रा को पहले यूपी पुलिस ने गिरप्तार किया और फिर रीवा पूलिस को सुपुर्द कर दिया ... यूपी से जब गिरफ्तार किया गया था तो उनके पास 60 लाख रुपए से अधिक की राशि थी लेकिन पुलिस ने केवल 14 लाख रुपए का खुलासा किया..... बाकी राशि कहां गई इसका कोई अता-पता नहीं है ,
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रीवा - साढे सत्रह करोड के बहुचर्चित डभौरा सहकारी बैंक महाघोटाला का मामला का अब और सुर्खियों में आना शुरू हो गया , इस घोटाले को लेकर सबसे पहले ' इंडिया न्यूज़ ' के तत्कालीन संवाददाता सुरेन्द्र तिवारी ने उजागर किया था , जिसके बाद सहकारी बैंक महाप्रबंधक सहित अपेक्स बैंक भोपाल की नींद उड गई और फिर अनन-फनन मे टीम गठित कर जांच शुरू की गई .... जाच के दौरान कई राज खुले ...कैसे और किन किन लोगो ने इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया , जांच के दौरान घोटाले की राशि साढे सत्रह करोड से बढ कर 21 करोड़ रुपए से अधिक पहुच गई , तत्कालीन डभौरा सहकारी बैंक के प्रभारी शाखा प्रबंधक रामकृष्ण मिश्रा सहित पूरे स्टाफ पर फर्जी तरीके से गमन के आरोप लगे ..... विभागीय जांच के बाद पूरा मामला डभौरा थाने को सुपुर्द कर दिया गया, थाने मे मामला जाते ही सभी आरोपी फरार हो गये , फरार मुख्य आरोपी निलंबित शाखा प्रभारी रामकृष्ण मिश्रा, पूर्व शाखा प्रबंधक अरूण प्रताप सिंह,निलंबित लेखापाल,कैशियर सहित सभी 19 आरोपियो के विरूध 15 मार्च को आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत एक एफआईआर दर्ज कर ली गई, मामले की जाज शुरू कर दी गई, पुलिस जाच के दौरान सभी आरोपी फरार रहे , अब तत्कालीन डभौरा सहकारी बैंक के प्रभारी शाखा प्रबंधक रामकृष्ण मिश्रा गिरफ़्तारी के बाद कई एहम राज सामने आने शुरू हो गए .. सफेद पोस धारी सहित पुलिस के आला अधिकारी भी इस घोटाले में सामिल होने की बात सामने आ रही है , सूत्रों की माने तो जब तत्कालीन डभौरा सहकारी बैंक के प्रभारी शाखा प्रबंधक रामकृष्ण मिश्रा को पहले यूपी पुलिस ने गिरप्तार किया और फिर रीवा पूलिस को सुपुर्द कर दिया ... यूपी से जब गिरफ्तार किया गया था तो उनके पास 60 लाख रुपए से अधिक की राशि थी लेकिन पुलिस ने केवल 14 लाख रुपए का खुलासा किया..... बाकी राशि कहां गई इसका कोई अता-पता नहीं है ,
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