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सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। यहां हुए 100 करोड़ के लकड़ी तस्करी मामले में भले ही शासन स्तर पर कलेक्टर का तबादला कर उन्हे पुलिस कार्रवाई से बचा लिया गया हो परंतु दस्तावेज आज भी कलेक्टर और कमिश्नर की कार्रवाई को संदिग्ध बता रहे हैं। दोनों जिम्मेदार अफसरों ने जानबूझकर कार्रवाई में ढिलाई बरती और तस्करी को जारी रखने में एक प्रकार से मदद की।
इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर व्ही किरण गोपाल की भूमिका संदेह के दायरे मेें है क्योंकि इस मामले के संज्ञान में आते ही उन्हें तत्काल कड़े कदम उठाकर कार्रवाई करने के बजाए उन्होने मामलों की पुन जांच करवाने के लिये तत्कालीन कमिश्नर श्री दीपक खाडेकर से अनुमति मांगी। अनुमति मांगे जाने की दिनांक 4 महीने बाद अनुमति मिली। तत्कालीन कमिश्नर श्री दीपक खाडेकर प्रमुख सचिव वन विभाग बनाये गये। उन्होने भी इस मामले की जानकारी रहने के बाद शासन को इस संबंध में क्यों नही अवगत कराया? यह जांच का विषय है।
पुलिस महानिरीक्षक श्री डीसी सागर ने जिनके मार्गदर्शन में वनसम्पदा की अवैध कटाई की सबसे बडे़ मामले की जांच के लिये विशेष जांच दल का गठन किया गया था अब तक की जांच में चौकाने वाले तथ्य प्रकाश में आये हैं।
अवैध कटाई एवं फर्जी टीपी कांड के चलते 100 करोड रूपये से अधिक के राजस्व की क्षति प्रदेश शासन को पहुचाई है। एसपी गौरव तिवारी ने बताया की बालाघाट जिले के अलग अलग थानों में अब तक 40 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं जिसमें 64 लोगों को आरोपी बनाया गया है। 30 आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके है 34 आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनकी गिरफतारी के लिये हर संभव प्रयास किये जा रहे है। उन्होने यह भी बताया की फरार अपराधियों को पकडवाने के लिये 10 हजार रूपये का इनाम भी घोषित किये है।
श्री तिवारी के अनुसार अनेक तथ्य सामने आये जिसमें नियमों की घोर अनदेखी की गई है और गलत रिपोर्ट दी गई है। उन्होने बताया की किडगीटोला, चारघाट के जंगलों से पेड कटे जिसमें राजस्व विभाग ने वनमाफियों को एक साथ 1220 पेडों की अनुमति दे दी।
पटवारियों ने भी 1220 पेडों का पंचनामा बनाकर दे दिया जब मामले की जांच एसआईटी ने की और मौके का भौतिक सत्यापन किया गया तो मात्र 281 पेडों के ठूंठ पाये गये बाकि पेड़ अन्य जगह से कटे गये।
आदिवासियों की निजी भूमि के पेड अवैध रूप से कटे जाने के इस मामले में रूपझर पुलिस ने वनमाफिया सरगना राकेश डहरवाल सहित 3 लोगों के विरूद्ध धारा 420 आईपीसी तथा 9-1 मध्यप्रदेश आदिम जातियों का सरक्षण वृक्षों के हित अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की। श्री तिवारी जी ने अवगत कराया की थाना बालाघाट कोतवाली में 155 फर्जी टीपी जप्त की गई है जिनके माध्यम से वनमाफियाओं ने राजस्व वन एवं निजी भूमि स्वामी के हक की जमीनों से पेडों की अन्धाधुंध कटाई की और करोडो रूपयों का आर्थिक लाभ अर्जित किया। इतना ही नही कान्हा नेशनल पार्क से लगे हुये वन क्षेत्र बफरजोन से भी अन्धाधुंध अवैध कटाई की गई जिसके कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पडा और वनप्राणियों के सरक्षण और विचरण के लिये बनाया गया गलीयारा खतरे में पड गया।
इस तरह वरिष्ट प्रशासन अधिकारियों एवं वनमाफियाओं की सांठगांठ के चलते पिछले 4 वर्षो के अंतराल में 10 हजार पेडों की अवैध कटाई कर दी गई। जिससे शासन को 100 करोड रूपये से अधिक का नुकसान पंहुचा। पुलिस महानिरीक्षक श्री डीसी सागर से हुई चर्चा के दौरान अवैध कटाई का ऐसा मामला केवल बालाघाट जिले तक सीमित नही है। अगर सूक्ष्मता से गहन छानबीन की जाये तो सिवनी छिदवाडा, मण्डला, होशंगाबाद बैतूल सहित प्रदेश के उन जिलों में जहां वनो की बहुयात है इसी तरह से अवैध कटाई की गई हो।
सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। यहां हुए 100 करोड़ के लकड़ी तस्करी मामले में भले ही शासन स्तर पर कलेक्टर का तबादला कर उन्हे पुलिस कार्रवाई से बचा लिया गया हो परंतु दस्तावेज आज भी कलेक्टर और कमिश्नर की कार्रवाई को संदिग्ध बता रहे हैं। दोनों जिम्मेदार अफसरों ने जानबूझकर कार्रवाई में ढिलाई बरती और तस्करी को जारी रखने में एक प्रकार से मदद की।
इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर व्ही किरण गोपाल की भूमिका संदेह के दायरे मेें है क्योंकि इस मामले के संज्ञान में आते ही उन्हें तत्काल कड़े कदम उठाकर कार्रवाई करने के बजाए उन्होने मामलों की पुन जांच करवाने के लिये तत्कालीन कमिश्नर श्री दीपक खाडेकर से अनुमति मांगी। अनुमति मांगे जाने की दिनांक 4 महीने बाद अनुमति मिली। तत्कालीन कमिश्नर श्री दीपक खाडेकर प्रमुख सचिव वन विभाग बनाये गये। उन्होने भी इस मामले की जानकारी रहने के बाद शासन को इस संबंध में क्यों नही अवगत कराया? यह जांच का विषय है।
पुलिस महानिरीक्षक श्री डीसी सागर ने जिनके मार्गदर्शन में वनसम्पदा की अवैध कटाई की सबसे बडे़ मामले की जांच के लिये विशेष जांच दल का गठन किया गया था अब तक की जांच में चौकाने वाले तथ्य प्रकाश में आये हैं।
अवैध कटाई एवं फर्जी टीपी कांड के चलते 100 करोड रूपये से अधिक के राजस्व की क्षति प्रदेश शासन को पहुचाई है। एसपी गौरव तिवारी ने बताया की बालाघाट जिले के अलग अलग थानों में अब तक 40 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं जिसमें 64 लोगों को आरोपी बनाया गया है। 30 आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके है 34 आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनकी गिरफतारी के लिये हर संभव प्रयास किये जा रहे है। उन्होने यह भी बताया की फरार अपराधियों को पकडवाने के लिये 10 हजार रूपये का इनाम भी घोषित किये है।
श्री तिवारी के अनुसार अनेक तथ्य सामने आये जिसमें नियमों की घोर अनदेखी की गई है और गलत रिपोर्ट दी गई है। उन्होने बताया की किडगीटोला, चारघाट के जंगलों से पेड कटे जिसमें राजस्व विभाग ने वनमाफियों को एक साथ 1220 पेडों की अनुमति दे दी।
पटवारियों ने भी 1220 पेडों का पंचनामा बनाकर दे दिया जब मामले की जांच एसआईटी ने की और मौके का भौतिक सत्यापन किया गया तो मात्र 281 पेडों के ठूंठ पाये गये बाकि पेड़ अन्य जगह से कटे गये।
आदिवासियों की निजी भूमि के पेड अवैध रूप से कटे जाने के इस मामले में रूपझर पुलिस ने वनमाफिया सरगना राकेश डहरवाल सहित 3 लोगों के विरूद्ध धारा 420 आईपीसी तथा 9-1 मध्यप्रदेश आदिम जातियों का सरक्षण वृक्षों के हित अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की। श्री तिवारी जी ने अवगत कराया की थाना बालाघाट कोतवाली में 155 फर्जी टीपी जप्त की गई है जिनके माध्यम से वनमाफियाओं ने राजस्व वन एवं निजी भूमि स्वामी के हक की जमीनों से पेडों की अन्धाधुंध कटाई की और करोडो रूपयों का आर्थिक लाभ अर्जित किया। इतना ही नही कान्हा नेशनल पार्क से लगे हुये वन क्षेत्र बफरजोन से भी अन्धाधुंध अवैध कटाई की गई जिसके कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पडा और वनप्राणियों के सरक्षण और विचरण के लिये बनाया गया गलीयारा खतरे में पड गया।
इस तरह वरिष्ट प्रशासन अधिकारियों एवं वनमाफियाओं की सांठगांठ के चलते पिछले 4 वर्षो के अंतराल में 10 हजार पेडों की अवैध कटाई कर दी गई। जिससे शासन को 100 करोड रूपये से अधिक का नुकसान पंहुचा। पुलिस महानिरीक्षक श्री डीसी सागर से हुई चर्चा के दौरान अवैध कटाई का ऐसा मामला केवल बालाघाट जिले तक सीमित नही है। अगर सूक्ष्मता से गहन छानबीन की जाये तो सिवनी छिदवाडा, मण्डला, होशंगाबाद बैतूल सहित प्रदेश के उन जिलों में जहां वनो की बहुयात है इसी तरह से अवैध कटाई की गई हो।
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