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नई दिल्ली: देशभर में समाचार पत्रों की बढ़ती संख्या और इनकी आड़ में चलाए जा रहे गोरखधंधे को ध्यान में रखते हुए सरकार अखबारों के पंजीकरण पर लगाम कसने की तैयारी कर चुकी है। इस क्रम में पंजीकरण प्रक्रिया को और जटिल बनाने का काम शुरू हो रहा है। नए नियम में मुताबिक अखबार पंजीकरण के दौरान मुद्रक-स्वामी का किसी भी विश्वविद्यालय या संस्था से मास मीडिया में डिग्री या डिप्लोमा होना जरूरी होगा। साथ ही पंजीकरण के लिए सरकारी शुल्क भी लागू किया जाएगा। बता दें कि अब तक सरकार अखबार का पंजीकरण मुफ्त में देती थी।
दिल्ली में ही अब तक 15 हजार 696 अखबार रजिस्टर्ड किए जा चुके हैं। दरअसल, अखबारों की आड़ में हर कोई खुद को पत्रकार कहलाने के लिए ऐसा कर रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक आरएनआई में रजिस्टर्ड सभी अखबारों का आॅडिट कराया गया है जिसमें अधिकांश पंजीकरण तय मानकों के विरूद्ध पाए गए है।
नए नियमों के मुताबिक सरकार उपयुक्त पत्रकारों को ही अखबार संचालन करने की स्वीकृति देगी। जिनके पास इससे संबंधित डिग्री या डिप्लोमा होगा, उन्हीं के नाम अखबार का पंजीकरण किया जाएगा। बता दें कि अब तक अशिक्षित भी अखबार का पंजीकरण कराकर खुद को पत्रकार घोषित कर देते थे। इससे समाज में भ्रम फैल रहा है। लोग यह तय नहीं कर पाते कि सामने वाला पत्रकार है या नहीं! पत्रकार बनकर ऐसे लोग सरकारी कार्यालयों में रौब दिखाते हैं।
इस बाबत केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल (रि.) राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि अखबारों के पंजीकरण को लेकर नए सिरे से समीक्षा की जा रही है। लोकल अखबारों की आड़ में लोग अशोभनीय काम करते हैं इसलिए अब उपयुक्त लोगों को ही अखबार का रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा।
दूसरी ओर एसएम खान रजिस्ट्रार, आरएनआई, भारत सरकार के मुताबिक, आरएनआई को सरकार ने मानक तय करने व सभी अखबारों की जांच का मसौदा भेजा है जिस पर काम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि आरएनआई में रजिस्टर्ड लाखों अखबारों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका के माध्यम से पूछा गया है कि आरएनआई में पंजीकृत सभी स्वामी व मुद्रक की योग्यता बताई जाए। याचिकाकर्ता ने सरकार से सवाल किया है कि एक अखबार चलाने के लिए योग्य व्यक्ति के पास मास मीडिया संबंधित डिग्री या डिप्लोमा होना चाहिए लेकिन इस समय आरएनआई में पंजीकृत 90 प्रतिशत मुद्रकों के पास पत्रकारिता की योग्यता नहीं है।
नई दिल्ली: देशभर में समाचार पत्रों की बढ़ती संख्या और इनकी आड़ में चलाए जा रहे गोरखधंधे को ध्यान में रखते हुए सरकार अखबारों के पंजीकरण पर लगाम कसने की तैयारी कर चुकी है। इस क्रम में पंजीकरण प्रक्रिया को और जटिल बनाने का काम शुरू हो रहा है। नए नियम में मुताबिक अखबार पंजीकरण के दौरान मुद्रक-स्वामी का किसी भी विश्वविद्यालय या संस्था से मास मीडिया में डिग्री या डिप्लोमा होना जरूरी होगा। साथ ही पंजीकरण के लिए सरकारी शुल्क भी लागू किया जाएगा। बता दें कि अब तक सरकार अखबार का पंजीकरण मुफ्त में देती थी।
दिल्ली में ही अब तक 15 हजार 696 अखबार रजिस्टर्ड किए जा चुके हैं। दरअसल, अखबारों की आड़ में हर कोई खुद को पत्रकार कहलाने के लिए ऐसा कर रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक आरएनआई में रजिस्टर्ड सभी अखबारों का आॅडिट कराया गया है जिसमें अधिकांश पंजीकरण तय मानकों के विरूद्ध पाए गए है।
नए नियमों के मुताबिक सरकार उपयुक्त पत्रकारों को ही अखबार संचालन करने की स्वीकृति देगी। जिनके पास इससे संबंधित डिग्री या डिप्लोमा होगा, उन्हीं के नाम अखबार का पंजीकरण किया जाएगा। बता दें कि अब तक अशिक्षित भी अखबार का पंजीकरण कराकर खुद को पत्रकार घोषित कर देते थे। इससे समाज में भ्रम फैल रहा है। लोग यह तय नहीं कर पाते कि सामने वाला पत्रकार है या नहीं! पत्रकार बनकर ऐसे लोग सरकारी कार्यालयों में रौब दिखाते हैं।
इस बाबत केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल (रि.) राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि अखबारों के पंजीकरण को लेकर नए सिरे से समीक्षा की जा रही है। लोकल अखबारों की आड़ में लोग अशोभनीय काम करते हैं इसलिए अब उपयुक्त लोगों को ही अखबार का रजिस्ट्रेशन दिया जाएगा।
दूसरी ओर एसएम खान रजिस्ट्रार, आरएनआई, भारत सरकार के मुताबिक, आरएनआई को सरकार ने मानक तय करने व सभी अखबारों की जांच का मसौदा भेजा है जिस पर काम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि आरएनआई में रजिस्टर्ड लाखों अखबारों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका के माध्यम से पूछा गया है कि आरएनआई में पंजीकृत सभी स्वामी व मुद्रक की योग्यता बताई जाए। याचिकाकर्ता ने सरकार से सवाल किया है कि एक अखबार चलाने के लिए योग्य व्यक्ति के पास मास मीडिया संबंधित डिग्री या डिप्लोमा होना चाहिए लेकिन इस समय आरएनआई में पंजीकृत 90 प्रतिशत मुद्रकों के पास पत्रकारिता की योग्यता नहीं है।
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