भोपाल // अवधेश पुरोहित
(Toc news)। एक समय था जब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी और इस यूपीए की सरकार पर प्रदेश की योजनाओं में राशि की कटौती और भेदभाव का आरोप लगाने से राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों और भाजपा का राजधानी से लेकर कस्बे तक का नेता यूपीए सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया करते थे, यही नहीं लाखों रुपये खर्च करके आलीशान एसी युक्त टेंट लगाकर मुख्यमंत्री धरने पर बैठने की नैटंकी किया करते थे, लेकिन यदि वर्तमान मोदी सरकार और यूपीए सरकार द्वारा दिये गये प्रदेश की योजनाओं के लिये राशि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए तो यह स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि भाजपा की मोदी सरकार की तुलना में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा अपने पूरे कार्यकाल मेें प्रदेश की योजनाओं के लिये पर्याप्त और भरपूर राशि उपलब्ध कराई गई कई बार तो स्थिति यह भी आई कि प्रदेश की भाजपा सरकार केन्द्र की यूपीए सरकार द्वारा दी गई राशि का ठीक से उपयोग भी नहीं कर पाई और कई बार राशि लैप्स हो गई या फिर शासन ने उक्त राशि को अलग मद में खर्च कर दी गई या अपने खजाने में जमा करते रहे, इस स्थिति से यह तो साफ हो जाता है कि २०१४ लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रदेश की जनता को केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने से राज्य का चहुंमुखी विकास होगा लेकिन मुख्यमंत्री के इस वादेकी पोल केन्द्र में भाजपा सरकार आने के बाद खुल गई और इसका उदाहरण प्रदेश की अधिकांश योजनाएं इन दिनों बंद पड़ी हुई हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार अपनी जरूरी कामकाज के लिये बाजार से कर्ज लेने में लगी हुई है अब स्थिति यह तक हो गई है कि जो प्रदेश की माली हालत अच्छी होने का दावा करने वाले वित्तमंत्री भी अब यह स्वीकारने लगे हैं कि राज्य की हालत खस्ता है, तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ भेदभाव का आरोप, धरना प्रदर्शन और रैलियों की नौटंकी करने वाली सरकार के मुखिया के चुनाव के पूर्व इस तरह के दावे के बाद कि केन्द्र और प्रदेश में जब भाजपा की सरकार होगी तो यूपीए सरकार की तरह प्रदेश के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा और राज्य का चहुंओर विकास होगा के दावे की भी पोल खुलती नजर आ रही है हालांकि इसके पीछे लोग मुंख्यमंत्री के प्रधानमंत्री के दावेदार होने की सजा इस प्रदेश को भुगतनी पड़ रही है, ऐसा मानकर चल रहे हैं तभी तो प्रदेश की अन्य योजनाओं की बात छोडिय़े राज्य के दन्नदाता जिसके लिये मोदी सरकार द्वारा फसल बीमा योजना की घोषणा इसी मध्यप्रदेश की धरती पर की गई लेकिन पीएम और भाजपा के नेता अन्नदाताओं के प्रति कितने संवेदनशील हैं इसका जीता जागता उदाहरण है प्रदेश सूखे की त्रासदी से पीडि़त किसानों के द्वारा आये दिन आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और सरकार है जो किसानों को राहत के नाम पर वायदों की लोरी सुनाने में लगी हुई है तो वहीं केन्द्र सरकार राज्य को २०३३ करोड़ की मदद देने को तैयार नहीं है, हालांकि इस तरह की स्वीकृति राज्य के राजस्व मंत्री ने की है, तो वहीं राज्य के ५१ जिलों में २३ जिलों की १४१ तहसीलों के निवासी सूखाग्रस्त स्थिति से जूझ रहे हैं इन्हें लाखों में हुए नुकसान के लिये राज्य सरकार ने केन्द्र से ४८२१ करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राहत देने के लिये गुहार लगाई थी तो वहीं इस संबंध में ज्ञापन केन्द्र सरकार को सौंपा गया था तो वहीं केन्द्रीय दल द्वारा सूखे से हुई फसल क्षति का आंकलन भी किया गया था इस दल की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र सरकार ने २०२३.६८ करोड़ की राशि देने की अनुशंसा की गई थी लेकिन नवम्बर के बाद राज्य सरकार को केन्द्र सरकार द्वारा २०२३.६८ करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध नहीं कराई गई तो वहीं राजस्व मंत्री रामपाल के अनुसार प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों के हुए नुकसान के एवज में कलेक्टरों ने राज्य सरकार से ४६११ करोड़ की राशि की आवंटन की मांग की गई थी इस पर जिलों को कुल ३८२२ करोड़ रुपये की राशि आवंटित की जा चुकी है। राज्य के राजस्व मंत्री के इस तरह के खुलासे के बाद यह साफ हो जाता है कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के साथ भेदभाव का बर्ताव किया जा रहा है जिसकी वजह से प्रदेश का अन्नदाता संकट से जूझ रहा है, लेकिन इन सब स्थितियों के बाद सवाल यह उठता है कि तत्कालीन यूपीए सरकार के समय उस पर भेदभाव का आरोप लगाने के साथ ही धरना, प्रदर्शन, रैलियां और अनशन की जो नौटंकी की जाती रही है अब यह सरकार केन्द्र की वर्तमान मोदी सरकार के खिलाफ यह नीति क्यों नहीं अपना रही है। इस स्थिति को देखकर यह लगता है कि अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ यूपीए सरकार की तरह विरोधी नीति न अपनाने की वजह जो भी हो लेकिन ऐसा लगता है कि अब राज्य सरकार किसानों के प्रति हमदर्दी दिखाने की केवल नौटंकी कर रही है यदि वह सच में किसानों के हमदर्द होती तो केन्द्र सरकार से किसी भी तरह से राशि प्राप्त कर किसानों को भरपूर राहत पहुंचाती। अभी तक प्रदेश का अन्नदाता पहले से ही समस्या से जूझ रहा था ऐसे में हाल ही में प्रदेश में ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात से भी उसकी फसलें नष्ट होने की स्थिति में है जिससे उसकी कमर टूटती नजर आ रही है, इसके बावजूद भी राजस्व मंत्री का यह दावा कि केन्द्र से मांगे गये २०२३.६८ करोड़ रुपये की राशि उसे प्राप्त नहीं होने का रोना कब तक चलता रहेगा।
(Toc news)। एक समय था जब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी और इस यूपीए की सरकार पर प्रदेश की योजनाओं में राशि की कटौती और भेदभाव का आरोप लगाने से राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर उनके मंत्रीमण्डल के सदस्यों और भाजपा का राजधानी से लेकर कस्बे तक का नेता यूपीए सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया करते थे, यही नहीं लाखों रुपये खर्च करके आलीशान एसी युक्त टेंट लगाकर मुख्यमंत्री धरने पर बैठने की नैटंकी किया करते थे, लेकिन यदि वर्तमान मोदी सरकार और यूपीए सरकार द्वारा दिये गये प्रदेश की योजनाओं के लिये राशि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए तो यह स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि भाजपा की मोदी सरकार की तुलना में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा अपने पूरे कार्यकाल मेें प्रदेश की योजनाओं के लिये पर्याप्त और भरपूर राशि उपलब्ध कराई गई कई बार तो स्थिति यह भी आई कि प्रदेश की भाजपा सरकार केन्द्र की यूपीए सरकार द्वारा दी गई राशि का ठीक से उपयोग भी नहीं कर पाई और कई बार राशि लैप्स हो गई या फिर शासन ने उक्त राशि को अलग मद में खर्च कर दी गई या अपने खजाने में जमा करते रहे, इस स्थिति से यह तो साफ हो जाता है कि २०१४ लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रदेश की जनता को केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने से राज्य का चहुंमुखी विकास होगा लेकिन मुख्यमंत्री के इस वादेकी पोल केन्द्र में भाजपा सरकार आने के बाद खुल गई और इसका उदाहरण प्रदेश की अधिकांश योजनाएं इन दिनों बंद पड़ी हुई हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार अपनी जरूरी कामकाज के लिये बाजार से कर्ज लेने में लगी हुई है अब स्थिति यह तक हो गई है कि जो प्रदेश की माली हालत अच्छी होने का दावा करने वाले वित्तमंत्री भी अब यह स्वीकारने लगे हैं कि राज्य की हालत खस्ता है, तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ भेदभाव का आरोप, धरना प्रदर्शन और रैलियों की नौटंकी करने वाली सरकार के मुखिया के चुनाव के पूर्व इस तरह के दावे के बाद कि केन्द्र और प्रदेश में जब भाजपा की सरकार होगी तो यूपीए सरकार की तरह प्रदेश के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा और राज्य का चहुंओर विकास होगा के दावे की भी पोल खुलती नजर आ रही है हालांकि इसके पीछे लोग मुंख्यमंत्री के प्रधानमंत्री के दावेदार होने की सजा इस प्रदेश को भुगतनी पड़ रही है, ऐसा मानकर चल रहे हैं तभी तो प्रदेश की अन्य योजनाओं की बात छोडिय़े राज्य के दन्नदाता जिसके लिये मोदी सरकार द्वारा फसल बीमा योजना की घोषणा इसी मध्यप्रदेश की धरती पर की गई लेकिन पीएम और भाजपा के नेता अन्नदाताओं के प्रति कितने संवेदनशील हैं इसका जीता जागता उदाहरण है प्रदेश सूखे की त्रासदी से पीडि़त किसानों के द्वारा आये दिन आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और सरकार है जो किसानों को राहत के नाम पर वायदों की लोरी सुनाने में लगी हुई है तो वहीं केन्द्र सरकार राज्य को २०३३ करोड़ की मदद देने को तैयार नहीं है, हालांकि इस तरह की स्वीकृति राज्य के राजस्व मंत्री ने की है, तो वहीं राज्य के ५१ जिलों में २३ जिलों की १४१ तहसीलों के निवासी सूखाग्रस्त स्थिति से जूझ रहे हैं इन्हें लाखों में हुए नुकसान के लिये राज्य सरकार ने केन्द्र से ४८२१ करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राहत देने के लिये गुहार लगाई थी तो वहीं इस संबंध में ज्ञापन केन्द्र सरकार को सौंपा गया था तो वहीं केन्द्रीय दल द्वारा सूखे से हुई फसल क्षति का आंकलन भी किया गया था इस दल की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र सरकार ने २०२३.६८ करोड़ की राशि देने की अनुशंसा की गई थी लेकिन नवम्बर के बाद राज्य सरकार को केन्द्र सरकार द्वारा २०२३.६८ करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध नहीं कराई गई तो वहीं राजस्व मंत्री रामपाल के अनुसार प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों के हुए नुकसान के एवज में कलेक्टरों ने राज्य सरकार से ४६११ करोड़ की राशि की आवंटन की मांग की गई थी इस पर जिलों को कुल ३८२२ करोड़ रुपये की राशि आवंटित की जा चुकी है। राज्य के राजस्व मंत्री के इस तरह के खुलासे के बाद यह साफ हो जाता है कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के साथ भेदभाव का बर्ताव किया जा रहा है जिसकी वजह से प्रदेश का अन्नदाता संकट से जूझ रहा है, लेकिन इन सब स्थितियों के बाद सवाल यह उठता है कि तत्कालीन यूपीए सरकार के समय उस पर भेदभाव का आरोप लगाने के साथ ही धरना, प्रदर्शन, रैलियां और अनशन की जो नौटंकी की जाती रही है अब यह सरकार केन्द्र की वर्तमान मोदी सरकार के खिलाफ यह नीति क्यों नहीं अपना रही है। इस स्थिति को देखकर यह लगता है कि अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ यूपीए सरकार की तरह विरोधी नीति न अपनाने की वजह जो भी हो लेकिन ऐसा लगता है कि अब राज्य सरकार किसानों के प्रति हमदर्दी दिखाने की केवल नौटंकी कर रही है यदि वह सच में किसानों के हमदर्द होती तो केन्द्र सरकार से किसी भी तरह से राशि प्राप्त कर किसानों को भरपूर राहत पहुंचाती। अभी तक प्रदेश का अन्नदाता पहले से ही समस्या से जूझ रहा था ऐसे में हाल ही में प्रदेश में ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात से भी उसकी फसलें नष्ट होने की स्थिति में है जिससे उसकी कमर टूटती नजर आ रही है, इसके बावजूद भी राजस्व मंत्री का यह दावा कि केन्द्र से मांगे गये २०२३.६८ करोड़ रुपये की राशि उसे प्राप्त नहीं होने का रोना कब तक चलता रहेगा।
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