नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने को उस समय नाराजगी जताई जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने निवेशकों का धन नहीं लौटाने पर सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को जेल भेजे जाने के न्यायालय के अधिकार पर ही सवाल उठा दिया और सिब्बल से तथ्यों और कानून के आधार पर जिरह करने को कहा।
मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर ने सिब्बल से कहा, ‘‘आप इस अदालत के आदेश पर जेल में हैं। यह आदेश सही या गलत हो सकता है। हम इस आदेश की अपील की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। केवल एक ही रास्ता है जिससे वह (रॉय) बाहर आ सकते हैं कि वह अदालत के आदेश का पालन करे।’’सिब्बल सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की तरफ से न्यायालय में पेश हुये थे। उच्चतम न्यायालय की तरफ से यह टिप्पणी उस समय की गई जब सिब्बल ने शीर्ष अदालत की शक्तियों को लेकर सवाल उठाया और कहा, ‘‘कानून और सचाई सहारा की तरफ हैं। दुनिया में कहीं भी इस तरह व्यक्ति को जेल में नहीं रखा जाता। किस अधिकारक्षेत्र के तहत उन्हें :अदालत को: मुझे जेल भेजने का अधिकार मिला है। सेबी की अवमानना याचिका पर अभी फैसला होना बाकी है।’’
सिब्बल के इस सवाल पर पीठ ने कहा, ‘‘हमने कई वकीलों को इस विषय पर सुना है। वकील आये और चले गये। हमने आपको कभी भी कानूनी जिरह करने से नहीं रोका है लेकिन आप तथ्यों पर जिरह कीजिये। हमें भाषण मत दीजिये। दुनिया में कहीं भी कोई व्यक्ति यह नहीं कहता कि मेरे पास 1,87,000 करोड़ रुपए की संपत्ति है। मैं कभी भी भुगतान कर सकता हूं लेकिन 10,000 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं कर सकता।’’
सिब्बल ने इसके बाद अदालत से कहा कि सहारा समूह संपत्ति बेचने में मुश्किलों का सामना कर रहा है। बाजार की हालत ठीक नहीं है और संपत्ति के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम आपको प्राप्तकर्ता नियुक्त करने पर सुनेंगे। आप बेचने में असमर्थ हैं। तो फिर रिसीवर: नियुक्त करना ही इसका समाधान है। उन्हें बेचो और जो धन आता है वह आने दो।’’
सिब्बल ने जब सुब्रत रॉय को संचार और अन्य सुविधाायें उपलब्ध कराने को कहा तो तुरंत अदालत ने कहा ‘‘किस लिये? आपने कहा कि बाजार की हालत ठीक नहीं है, कोई खरीदार नहीं मिल रहा है।’’
मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर ने सिब्बल से कहा, ‘‘आप इस अदालत के आदेश पर जेल में हैं। यह आदेश सही या गलत हो सकता है। हम इस आदेश की अपील की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। केवल एक ही रास्ता है जिससे वह (रॉय) बाहर आ सकते हैं कि वह अदालत के आदेश का पालन करे।’’सिब्बल सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की तरफ से न्यायालय में पेश हुये थे। उच्चतम न्यायालय की तरफ से यह टिप्पणी उस समय की गई जब सिब्बल ने शीर्ष अदालत की शक्तियों को लेकर सवाल उठाया और कहा, ‘‘कानून और सचाई सहारा की तरफ हैं। दुनिया में कहीं भी इस तरह व्यक्ति को जेल में नहीं रखा जाता। किस अधिकारक्षेत्र के तहत उन्हें :अदालत को: मुझे जेल भेजने का अधिकार मिला है। सेबी की अवमानना याचिका पर अभी फैसला होना बाकी है।’’
सिब्बल के इस सवाल पर पीठ ने कहा, ‘‘हमने कई वकीलों को इस विषय पर सुना है। वकील आये और चले गये। हमने आपको कभी भी कानूनी जिरह करने से नहीं रोका है लेकिन आप तथ्यों पर जिरह कीजिये। हमें भाषण मत दीजिये। दुनिया में कहीं भी कोई व्यक्ति यह नहीं कहता कि मेरे पास 1,87,000 करोड़ रुपए की संपत्ति है। मैं कभी भी भुगतान कर सकता हूं लेकिन 10,000 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं कर सकता।’’
सिब्बल ने इसके बाद अदालत से कहा कि सहारा समूह संपत्ति बेचने में मुश्किलों का सामना कर रहा है। बाजार की हालत ठीक नहीं है और संपत्ति के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम आपको प्राप्तकर्ता नियुक्त करने पर सुनेंगे। आप बेचने में असमर्थ हैं। तो फिर रिसीवर: नियुक्त करना ही इसका समाधान है। उन्हें बेचो और जो धन आता है वह आने दो।’’
सिब्बल ने जब सुब्रत रॉय को संचार और अन्य सुविधाायें उपलब्ध कराने को कहा तो तुरंत अदालत ने कहा ‘‘किस लिये? आपने कहा कि बाजार की हालत ठीक नहीं है, कोई खरीदार नहीं मिल रहा है।’’
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