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भोपाल // अवधेश पुरोहित
बुंदेलखंड की एक कहावत है बुढ्ढा मरे या जवान हत्या से काम, कुछ इसी नीति का पालन करते हुए प्रदेश में मंत्री, अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेेकेदारों के सक्रिय रैकेट के तहत प्रदेश में चहुंओर भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है इस गंगोत्री का आलम यह है कि वह हर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार करने से नहीं चूकते हैं
राज्य में होनेवाले प्रत्येक १२ साल के अंतराल के बाद उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ कुंभ का आयोजन २२ अप्रैल २१ मई तक होगा, इसके सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही हैं तो वहीं ङ्क्षसहस्थ के लिए स्थाई प्रकृति के ६५४ करोड़ की लागत के विभिन्न निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं तो वहीं सिंहस्थ में आनेवाले साधु-संतों के साथ-साथ धार्मिक धर्मावलम्बियों को असुविधा न हो इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है लेकिन इस सिंहस्थ की तैयारी में जिस तरह का घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है वह भी अपनेआपमें एक अजीब बात है
हालांकि ऐसा कोई सिंहस्थ नहीं उज्जैन में आयोजित हुआ जिसकी तैयारी में लगे अधिकारियों, राजनेताओं और कर्मचारियों की पौबारह न हुई हो, एक सिंहस्थ के बाद जब एक सब-इंजीनियर के यहां छापे की कार्रवाई की गई थी तो उसे यहां अकूत सम्पत्ति तो बरामद हुई थी तो वहीं सोने की ईंटें मिलने का भी खुलासा हुआ था, इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भले ही यह सिंहस्थ साधु-संतों और धर्मावलम्बियों के लिये आयोजित होता हो मगर इसकी तैयारी में लगे अधिकारियों के लिये तो यह कुबेर का खजाना ही साबित होता है
और इस सिंहस्थ की तैयारियों में भी यही सब खेल आकस्मिक व्यय के नाम पर खेला जा रहा है मध्यप्रदेश १९५६ का कारसंचालन अधिनियम में बिना मंत्रीपरिषद के निर्णय के बिना छूट में यह लूट का खेल धड़ल्ले से चल रहा है स्थिति यह है कि सिंहस्थ की तैयारी के नाम पर जिस तरह की लूटखसोट चल रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि यह सिंहस्थ साधु संतों और धर्मावलम्बियों के लिये नहीं बल्कि इसकी तैयारी में लगे अधिकारियों कर्मचारियों राजनेताओं के लिये एक कमाई का साधन साबित हो रहा है और हर कोई सिंहस्थ की तैयारी के नाम पर की जा ही तैयारियों में अपना हित साधने में लगा हुआ है
सिंहस्थ में आकस्मिक व्यय के नाम पर जो खेल खेला जा रहा है वह भी अजीब है, मजे की बात तो यह है कि जहां राज्य सरकार के छोटे-छोटे व्यय की आडिट कैग के द्वारा कराई जाती है लेकिन सिंहस्थ की तैयारियों के लिये हो रहे समस्त व्यय का आडिट संपरीक्षकों से करवाई जाने पर उज्जैन आयुक्त जोर दे रहे हैं जिससे इस आकस्मिक व्यय के नाम पर किये जा रहे अनाप-शनाप व्यय का घोटाला सामने ना आ सके यह उल्लेखनीय है कि पिछले सिंहस्थ २००४ तैयारी के दौरान हुए घोटालों की एक लंबी चौड़ी रिपोर्ट सदन में पेश की गई थी जिसमें यह खुलासा हुआ था कि सिंहस्थ की तैयारी के दौरान करोड़ों का घोटाला हुआ था लेकिन देखना अब यह है कि इस सिंहस्थ की तैयारी में अधिकारी आकस्मिक व्यय और उसकी तैयारी के नाम पर कितने का घोटाला सामने आएगा।
भोपाल // अवधेश पुरोहित
बुंदेलखंड की एक कहावत है बुढ्ढा मरे या जवान हत्या से काम, कुछ इसी नीति का पालन करते हुए प्रदेश में मंत्री, अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेेकेदारों के सक्रिय रैकेट के तहत प्रदेश में चहुंओर भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है इस गंगोत्री का आलम यह है कि वह हर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार करने से नहीं चूकते हैं
राज्य में होनेवाले प्रत्येक १२ साल के अंतराल के बाद उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ कुंभ का आयोजन २२ अप्रैल २१ मई तक होगा, इसके सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही हैं तो वहीं ङ्क्षसहस्थ के लिए स्थाई प्रकृति के ६५४ करोड़ की लागत के विभिन्न निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं तो वहीं सिंहस्थ में आनेवाले साधु-संतों के साथ-साथ धार्मिक धर्मावलम्बियों को असुविधा न हो इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है लेकिन इस सिंहस्थ की तैयारी में जिस तरह का घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है वह भी अपनेआपमें एक अजीब बात है
हालांकि ऐसा कोई सिंहस्थ नहीं उज्जैन में आयोजित हुआ जिसकी तैयारी में लगे अधिकारियों, राजनेताओं और कर्मचारियों की पौबारह न हुई हो, एक सिंहस्थ के बाद जब एक सब-इंजीनियर के यहां छापे की कार्रवाई की गई थी तो उसे यहां अकूत सम्पत्ति तो बरामद हुई थी तो वहीं सोने की ईंटें मिलने का भी खुलासा हुआ था, इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भले ही यह सिंहस्थ साधु-संतों और धर्मावलम्बियों के लिये आयोजित होता हो मगर इसकी तैयारी में लगे अधिकारियों के लिये तो यह कुबेर का खजाना ही साबित होता है
और इस सिंहस्थ की तैयारियों में भी यही सब खेल आकस्मिक व्यय के नाम पर खेला जा रहा है मध्यप्रदेश १९५६ का कारसंचालन अधिनियम में बिना मंत्रीपरिषद के निर्णय के बिना छूट में यह लूट का खेल धड़ल्ले से चल रहा है स्थिति यह है कि सिंहस्थ की तैयारी के नाम पर जिस तरह की लूटखसोट चल रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि यह सिंहस्थ साधु संतों और धर्मावलम्बियों के लिये नहीं बल्कि इसकी तैयारी में लगे अधिकारियों कर्मचारियों राजनेताओं के लिये एक कमाई का साधन साबित हो रहा है और हर कोई सिंहस्थ की तैयारी के नाम पर की जा ही तैयारियों में अपना हित साधने में लगा हुआ है
सिंहस्थ में आकस्मिक व्यय के नाम पर जो खेल खेला जा रहा है वह भी अजीब है, मजे की बात तो यह है कि जहां राज्य सरकार के छोटे-छोटे व्यय की आडिट कैग के द्वारा कराई जाती है लेकिन सिंहस्थ की तैयारियों के लिये हो रहे समस्त व्यय का आडिट संपरीक्षकों से करवाई जाने पर उज्जैन आयुक्त जोर दे रहे हैं जिससे इस आकस्मिक व्यय के नाम पर किये जा रहे अनाप-शनाप व्यय का घोटाला सामने ना आ सके यह उल्लेखनीय है कि पिछले सिंहस्थ २००४ तैयारी के दौरान हुए घोटालों की एक लंबी चौड़ी रिपोर्ट सदन में पेश की गई थी जिसमें यह खुलासा हुआ था कि सिंहस्थ की तैयारी के दौरान करोड़ों का घोटाला हुआ था लेकिन देखना अब यह है कि इस सिंहस्थ की तैयारी में अधिकारी आकस्मिक व्यय और उसकी तैयारी के नाम पर कितने का घोटाला सामने आएगा।
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