दो साल में 50 फीसदी से ज्यादा बढा दिए दाम, 3 बार भी टैंडर में, ठेकेदारों ने नहीं भरे टैंडर, अधिकारी पीछे—पीछे ठेकेदारों के दौड रहे है
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ग्वालियर। इस वर्ष प्रदेश में शराब के धंधे में भयंकर मंदी का दौर चल रहा है। भयंकर मंदी पहली बार शराब के कारोबार में आई है। 11 मार्च को प्रदेश में एक साथ शराब की दुकानों के टैंडर तीसरी बार बुलाए गए, लेकिन इसके बाद भी ठेकेदारों ने टैंडर नहीं डाले है। पिछले दो वर्ष में करीब 55 प्रतिशत ठेके के दाम बढाने से यह स्थिति बनी है।
आबकारी विभाग के अधिकारियों की स्थिति यह है कि ठेकेदार आगे—आगे है तो अधिकारी पीछे—पीछे टैंडर डलवाने के लिए दौड रहे है। फिर भी कोई टैंडर के लिए तैयार नहीं हो रहा है। इतनी ज्यादा राशि में कोई ठेकेदार आर्थिक नुकसान नहीं उठाने के मूड में है।
ओलावृष्टि और बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है। इसका भी असर शराब के धंधे में पडा है। अफीम की फसलें भी 99 प्रतिशत खराब हो गई है। प्रदेश में सिर्फ 25 फीसदी शराब दुकानें के टैंडर हुए है, 75 फीसदी दुकानें लेने के लिए ठेकेदार तैयार नहीं हो रहे है। ठेके पर बढाई गई राशि को कम करने पर शासन विचार कर रहा है। ठेके पर बढाई गई दर कम नहीं की गई तो ठेकेदार टैंडर डालने में दिलचस्पी नहीं दिखाऐंगे। शासन करोडों का नुकसान उठाना पडेगा।
पिछले वर्ष करीब 50 प्रतिशत अधिक दाम पर प्रदेशभर में देशी—विदेशी शराब के ठेके निलाम हुए थे। इस वर्ष भी करीब 15 प्रतिशत राशि बढाकर ठेके देने का प्रावधान आबकारी विभाग ने रखा है। पिछले दो साल में देखा जाए तो करीब 65 प्रतिशत शराब ठेके के रेट बढे है। इस स्थिति को लेकर इस वर्ष शराब ठेकेदारों ने पीछे हाथ खिंच लिए है। करीब 25 फीसदी ही शराब की दुकानो के ठेके हुए है। 75 प्रतिशत दुकानें के ठेके लेने के लिए कोई भी सामने नहीं आया है। विभाग को 7700 करोड के लक्ष्य के लाले पड गए है। प्रदेश के 51 जिले में से सिर्फ इंदौर, नीमच, छिंदवाडा में ही अधिकांश शराब की दुकानें के ठेके हुए है। बाकी जिले में ठेके लेने वाले कोई तैयार नहीं हुए है। मंदसौर जिले में करीब सात दुकानों के ठेके जेल में बंद बाबू बिल्लौद ने लिए है। बाबू बिल्लोद निम्बाहेडा के हाजी बंधु मर्डर के मामले में मंदसौर जेल में बंद है, वह जेल में खर्चा पानी चलाने के लिए शराब के धंधे में उतर गया है।
बॉक्स
अपराधियों—तस्करों से भी डलवा रहे है टैंडर, जेल से बाबू बिल्लोद ने मंदसौर में लिए शराब ठेके———————
प्रदेशभर में करीब 25 फीसदी ही शराब की दुकानों के ठेके हुए है। नुकसानी का धंधा साबित होने के कारण ठेकेदार जोखिम नहीं उठा रहे है। स्थिति तो यह है कि तस्करो और अपराधियों से आबकारी विभाग के अधिकारी शराब के ठेके डलवा रहे है। बाबू बिल्लोद मंदसौर जेल में बंद है। दो डोडाचूरा व्यापारी हाजी बंधुओं की हत्या के मामले में बाबू बिल्लोद जेल में बंद है। बताया जा रहा है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बाबू बिल्लोद से जेल में संपर्क किया और करीब सात शराब ठेके के टेंडर डलवाए। बाबू बिल्लोद गांधीसागर जलाशय में मछली का ठेकेदार भी है। उसके बेटे रईस और शाहिद डोडाचूरा तस्करी के मामले में लिप्त है। बताया जा रहा है कि मौसम खराब की वजह से अफीम की फसल खराब हुई है। डोडाचूरा में मंदीवाडे के चलते बाबू बिल्लोद शराब के कारोबार में उतरा लेकिन शराब में तो चूरे से भी बुरी स्थिति बन गई है और जेल में बंद बाबू बिल्लोद के सपने चकानूर होने की कगार पर है।
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ग्वालियर। इस वर्ष प्रदेश में शराब के धंधे में भयंकर मंदी का दौर चल रहा है। भयंकर मंदी पहली बार शराब के कारोबार में आई है। 11 मार्च को प्रदेश में एक साथ शराब की दुकानों के टैंडर तीसरी बार बुलाए गए, लेकिन इसके बाद भी ठेकेदारों ने टैंडर नहीं डाले है। पिछले दो वर्ष में करीब 55 प्रतिशत ठेके के दाम बढाने से यह स्थिति बनी है।
आबकारी विभाग के अधिकारियों की स्थिति यह है कि ठेकेदार आगे—आगे है तो अधिकारी पीछे—पीछे टैंडर डलवाने के लिए दौड रहे है। फिर भी कोई टैंडर के लिए तैयार नहीं हो रहा है। इतनी ज्यादा राशि में कोई ठेकेदार आर्थिक नुकसान नहीं उठाने के मूड में है।
ओलावृष्टि और बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है। इसका भी असर शराब के धंधे में पडा है। अफीम की फसलें भी 99 प्रतिशत खराब हो गई है। प्रदेश में सिर्फ 25 फीसदी शराब दुकानें के टैंडर हुए है, 75 फीसदी दुकानें लेने के लिए ठेकेदार तैयार नहीं हो रहे है। ठेके पर बढाई गई राशि को कम करने पर शासन विचार कर रहा है। ठेके पर बढाई गई दर कम नहीं की गई तो ठेकेदार टैंडर डालने में दिलचस्पी नहीं दिखाऐंगे। शासन करोडों का नुकसान उठाना पडेगा।
पिछले वर्ष करीब 50 प्रतिशत अधिक दाम पर प्रदेशभर में देशी—विदेशी शराब के ठेके निलाम हुए थे। इस वर्ष भी करीब 15 प्रतिशत राशि बढाकर ठेके देने का प्रावधान आबकारी विभाग ने रखा है। पिछले दो साल में देखा जाए तो करीब 65 प्रतिशत शराब ठेके के रेट बढे है। इस स्थिति को लेकर इस वर्ष शराब ठेकेदारों ने पीछे हाथ खिंच लिए है। करीब 25 फीसदी ही शराब की दुकानो के ठेके हुए है। 75 प्रतिशत दुकानें के ठेके लेने के लिए कोई भी सामने नहीं आया है। विभाग को 7700 करोड के लक्ष्य के लाले पड गए है। प्रदेश के 51 जिले में से सिर्फ इंदौर, नीमच, छिंदवाडा में ही अधिकांश शराब की दुकानें के ठेके हुए है। बाकी जिले में ठेके लेने वाले कोई तैयार नहीं हुए है। मंदसौर जिले में करीब सात दुकानों के ठेके जेल में बंद बाबू बिल्लौद ने लिए है। बाबू बिल्लोद निम्बाहेडा के हाजी बंधु मर्डर के मामले में मंदसौर जेल में बंद है, वह जेल में खर्चा पानी चलाने के लिए शराब के धंधे में उतर गया है।
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अपराधियों—तस्करों से भी डलवा रहे है टैंडर, जेल से बाबू बिल्लोद ने मंदसौर में लिए शराब ठेके———————
प्रदेशभर में करीब 25 फीसदी ही शराब की दुकानों के ठेके हुए है। नुकसानी का धंधा साबित होने के कारण ठेकेदार जोखिम नहीं उठा रहे है। स्थिति तो यह है कि तस्करो और अपराधियों से आबकारी विभाग के अधिकारी शराब के ठेके डलवा रहे है। बाबू बिल्लोद मंदसौर जेल में बंद है। दो डोडाचूरा व्यापारी हाजी बंधुओं की हत्या के मामले में बाबू बिल्लोद जेल में बंद है। बताया जा रहा है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बाबू बिल्लोद से जेल में संपर्क किया और करीब सात शराब ठेके के टेंडर डलवाए। बाबू बिल्लोद गांधीसागर जलाशय में मछली का ठेकेदार भी है। उसके बेटे रईस और शाहिद डोडाचूरा तस्करी के मामले में लिप्त है। बताया जा रहा है कि मौसम खराब की वजह से अफीम की फसल खराब हुई है। डोडाचूरा में मंदीवाडे के चलते बाबू बिल्लोद शराब के कारोबार में उतरा लेकिन शराब में तो चूरे से भी बुरी स्थिति बन गई है और जेल में बंद बाबू बिल्लोद के सपने चकानूर होने की कगार पर है।
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