अवधेश पुरोहित @ present by - toc news
भोपाल. हाल ही में विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बड़े ही दावे और कलाकाबाजी के साथ प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की प्रगति के आंकड़े प्रस्तुत किये तो वहीं यह भी दावा किया गया कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में काकरोच ना पाये जाने की खबरें आज तक नहीं आईं लेकिन शायद वह यह भूल गये कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में चूहा मारने की एक योजना चलाई गई थी और उस पर लाखों रुपये की राशि खर्च की गई थी तो वहीं रीवा जिले में सरकारी अस्पताल में भाजपा के ही नेता पूर्व विधायक और वर्तमान जिला जनपद अध्यक्ष अभय मिश्रा क ो उपचार के दौरान चूहों ने आईसीयू में इतना परेशान किया था कि वह बीमारी हालत में सरकारी अस्पताल छोड़कर वहां से भाग खड़े हुए थे तो वहीं राज्य में कहीं सुअरों द्वारा नवजात शिशुओं को ले जाने की तो कहीं कुत्तों के द्वारा नवजात शिशुओं को उठाकर ले जाने की खबरें भी इसी शासनकाल के दौरान सुर्खियों में रहीं,
लेकिन इन सबसे मजे की बात यह है कि सरकारी अस्पताल में दो साल तक फर्जी डॉक्टर बनकर लोगों के उपचार करने की घटना का खुलासा भी प्रदेश के बड़ेे अस्पाल एमवाय में पिछले दिनों हुआ था, यही नहीं इस फर्जी डॉक्टर के द्वारा बखूबी दो साल से मरीजों का उपचार किया जा रहा है, लेकिन जिस अस्पताल पर सुरक्षा में लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं उस अस्पताल में यह फर्जी डॉक्टर मरीजों का उपचार कर रहा था लेकिन किसी को जानकारी भी नहीं थी पिछले दिनों इन्दौर के एमवाय अस्पताल में वार्ड २८ में सोनी मंसूरी भर्ती था उसका इलाज करने यह फर्जी डॉक्टर पहुंचा तो उसकी हरकतों से वहां मौजूद युवती को शक हुआ तो उसने कुछ लोगों को सूचना दी जिन्होंने दीपक को पकड़ा तो उसकी सारी पोल एक मिनट में खुल गई, दीपक उज्जैन का रहने वाला है,
एमवाय अस्पताल के वार्ड बाय से दो साल पहले उसकी दोस्ती हुई थी, तबसे वह यहां फर्जी डॉक्टर बनकर लोगों का उपचार कर रहा था हालांकि पकड़े जाने के बाद संयोगितागंज थाने में उकसी जांच पड़ताल चल रही है इस घटना से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के उस दावे पर सवाल उठता है कि प्रदेश के सरकारी अस्पताल में काकरोच होने की खबर नहीं आई लेकिन इन अस्पतालों में भारी सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद भी कोई भी फर्जी डॉक्टर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर सकता है।
दो साल पहले कैदी रामदयाल की इसी बड़े अस्पताल में उपचार के दौरान हत्या हुई थी, हत्या करने वाले मुल्जिम जितेन्द्र डॉक्टर की डे्रस में पहुंचा था और हत्या के बाद वहां से भाग खड़ा हुआ था, लेकिन इसके बाद भी इस अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ स्थिति यह है कि उसी बड़े अस्पताल में दो साल से फर्जी डॉक्टर बदस्तूर मरीजों का इलाज करता रहा। इस दौरान कितने मरीजों की जान गई होगी यह तो जांच का विषय है तो वहीं इस घटना के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के प्रदेश की राज्य की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर भी प्रश्न चिन्ह उठता है और इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में जब दो साल तक यह फर्जी डॉक्टर लोगों का उपचार करता रहा तो राज्य के और कितने अस्पतालों में इस तरह की घटनाएं घटित होती होंगी यह सर्वविदित है कि राज्य में डॉक्टरों की कमी के चलते जहां नर्सें, वार्ड बाय, सफाई कर्मचारियों द्वारा लोगों का उपचार करना और उन्हें गोलियां व इंजेक्शन लगाने तक की घटनायें आये दिन समाचार पत्र की सुर्खियां बनी रहती हैं, उसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्री के इस दावे में कितनी दम है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर हैं।
भोपाल. हाल ही में विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बड़े ही दावे और कलाकाबाजी के साथ प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की प्रगति के आंकड़े प्रस्तुत किये तो वहीं यह भी दावा किया गया कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में काकरोच ना पाये जाने की खबरें आज तक नहीं आईं लेकिन शायद वह यह भूल गये कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में चूहा मारने की एक योजना चलाई गई थी और उस पर लाखों रुपये की राशि खर्च की गई थी तो वहीं रीवा जिले में सरकारी अस्पताल में भाजपा के ही नेता पूर्व विधायक और वर्तमान जिला जनपद अध्यक्ष अभय मिश्रा क ो उपचार के दौरान चूहों ने आईसीयू में इतना परेशान किया था कि वह बीमारी हालत में सरकारी अस्पताल छोड़कर वहां से भाग खड़े हुए थे तो वहीं राज्य में कहीं सुअरों द्वारा नवजात शिशुओं को ले जाने की तो कहीं कुत्तों के द्वारा नवजात शिशुओं को उठाकर ले जाने की खबरें भी इसी शासनकाल के दौरान सुर्खियों में रहीं,
लेकिन इन सबसे मजे की बात यह है कि सरकारी अस्पताल में दो साल तक फर्जी डॉक्टर बनकर लोगों के उपचार करने की घटना का खुलासा भी प्रदेश के बड़ेे अस्पाल एमवाय में पिछले दिनों हुआ था, यही नहीं इस फर्जी डॉक्टर के द्वारा बखूबी दो साल से मरीजों का उपचार किया जा रहा है, लेकिन जिस अस्पताल पर सुरक्षा में लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं उस अस्पताल में यह फर्जी डॉक्टर मरीजों का उपचार कर रहा था लेकिन किसी को जानकारी भी नहीं थी पिछले दिनों इन्दौर के एमवाय अस्पताल में वार्ड २८ में सोनी मंसूरी भर्ती था उसका इलाज करने यह फर्जी डॉक्टर पहुंचा तो उसकी हरकतों से वहां मौजूद युवती को शक हुआ तो उसने कुछ लोगों को सूचना दी जिन्होंने दीपक को पकड़ा तो उसकी सारी पोल एक मिनट में खुल गई, दीपक उज्जैन का रहने वाला है,
एमवाय अस्पताल के वार्ड बाय से दो साल पहले उसकी दोस्ती हुई थी, तबसे वह यहां फर्जी डॉक्टर बनकर लोगों का उपचार कर रहा था हालांकि पकड़े जाने के बाद संयोगितागंज थाने में उकसी जांच पड़ताल चल रही है इस घटना से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के उस दावे पर सवाल उठता है कि प्रदेश के सरकारी अस्पताल में काकरोच होने की खबर नहीं आई लेकिन इन अस्पतालों में भारी सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद भी कोई भी फर्जी डॉक्टर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर सकता है।
दो साल पहले कैदी रामदयाल की इसी बड़े अस्पताल में उपचार के दौरान हत्या हुई थी, हत्या करने वाले मुल्जिम जितेन्द्र डॉक्टर की डे्रस में पहुंचा था और हत्या के बाद वहां से भाग खड़ा हुआ था, लेकिन इसके बाद भी इस अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ स्थिति यह है कि उसी बड़े अस्पताल में दो साल से फर्जी डॉक्टर बदस्तूर मरीजों का इलाज करता रहा। इस दौरान कितने मरीजों की जान गई होगी यह तो जांच का विषय है तो वहीं इस घटना के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के प्रदेश की राज्य की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर भी प्रश्न चिन्ह उठता है और इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में जब दो साल तक यह फर्जी डॉक्टर लोगों का उपचार करता रहा तो राज्य के और कितने अस्पतालों में इस तरह की घटनाएं घटित होती होंगी यह सर्वविदित है कि राज्य में डॉक्टरों की कमी के चलते जहां नर्सें, वार्ड बाय, सफाई कर्मचारियों द्वारा लोगों का उपचार करना और उन्हें गोलियां व इंजेक्शन लगाने तक की घटनायें आये दिन समाचार पत्र की सुर्खियां बनी रहती हैं, उसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्री के इस दावे में कितनी दम है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर हैं।
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