खजुराहो से देवेन्द्र चतुर्वेदी की रिपोर्ट पत्रिका न्यूज़
Toc news
खजुराहो स्थित आयुष विभाग के अस्पताल में करोड़ों रुपयों की लागत से आई चालू हालत में मशीने कबाड़खाने की तरह एक कमरे की शोभा बड़ा रही है...यही नहीं किसी भी इमारत में बुनियादी सुविधाएं जैसे वाथरुम की व्यवस्था मुख्य होती है। लेकिन यहां पर तो यह भी नहीं हैं ... जब हमने चालू हालत में पड़ी कबाड़ में मशीनों की बात की चर्चा वहां पदस्थ डाँ. श्रृद्धा नामदेव से बात की तो उन्होने स्टाफ की कमी बताकर और बुनियादी सुविधाए जैसी इन परेशानियों को स्वीकार तो किया लेकिन विभाग का दामन पकड़कर अपना बचाव किया... यहीं स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी हमने सोचा हालात का जायजा लिया जाए ...
तभी हमें एक मरीज मिला और उसने डाँक्टर द्वारा लिखी दवाइयां वहां पर स्थित दवा विक्रय केंद्र से प्राप्त न होने की बात कही... इस बात की चर्चा हमने यहां के बीएमओ से बात यहां के बीएमओ से की तो उन्होने आयुष को अपने से अलग और जांच के बजाय दन शिकायतों को वेवुनियाद बताया। अब जनता के लिए बनाई गई सुविधाएं जनता को ही न मिले तो एसी सरकारी सुविधाओं को सरकार अपनी पींठ ठोककर कैसे वाहवाही लूट लेती है... पता नहीं आज लाज और शर्म कहां गई...
अभी सभी पाटियों के प्रत्याशी जनता को अपना बाप तक बनाने से परहेज नहीं करेंगीं... और चुनाव खत्म होते ही जनता को पींठ दिखाकर अपने विकास के दावे भी गिनाती है... रही बात आज के नेताओं की तो जब बोलते हैं तो इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि अपनी वाणी की सभी सीमाएं तोड़ देते हैं और जब वहीं बयान विवादों में आ जाता है। तो उसे मीडिया की उनके प्रति वेरुखी बताने लगते है। या फिर किसी विक्ष की चाल बताकर... मीडिया को दोषी बता देते हैं... कभी अपने गिरेवान में झांककर नेता देखें तो पहली खाई तो उनके अंदर और आसपास ही हैं... बुन्देलखंड में एक कहावत के अनुसार-
कानी टैट न अपनो देखे,दूसरन को पर-पर देखे।
अर्थात् अपने आप को देखते नहीं दूसरों की हर बात पकड़ते है।
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खजुराहो स्थित आयुष विभाग के अस्पताल में करोड़ों रुपयों की लागत से आई चालू हालत में मशीने कबाड़खाने की तरह एक कमरे की शोभा बड़ा रही है...यही नहीं किसी भी इमारत में बुनियादी सुविधाएं जैसे वाथरुम की व्यवस्था मुख्य होती है। लेकिन यहां पर तो यह भी नहीं हैं ... जब हमने चालू हालत में पड़ी कबाड़ में मशीनों की बात की चर्चा वहां पदस्थ डाँ. श्रृद्धा नामदेव से बात की तो उन्होने स्टाफ की कमी बताकर और बुनियादी सुविधाए जैसी इन परेशानियों को स्वीकार तो किया लेकिन विभाग का दामन पकड़कर अपना बचाव किया... यहीं स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी हमने सोचा हालात का जायजा लिया जाए ...
तभी हमें एक मरीज मिला और उसने डाँक्टर द्वारा लिखी दवाइयां वहां पर स्थित दवा विक्रय केंद्र से प्राप्त न होने की बात कही... इस बात की चर्चा हमने यहां के बीएमओ से बात यहां के बीएमओ से की तो उन्होने आयुष को अपने से अलग और जांच के बजाय दन शिकायतों को वेवुनियाद बताया। अब जनता के लिए बनाई गई सुविधाएं जनता को ही न मिले तो एसी सरकारी सुविधाओं को सरकार अपनी पींठ ठोककर कैसे वाहवाही लूट लेती है... पता नहीं आज लाज और शर्म कहां गई...
अभी सभी पाटियों के प्रत्याशी जनता को अपना बाप तक बनाने से परहेज नहीं करेंगीं... और चुनाव खत्म होते ही जनता को पींठ दिखाकर अपने विकास के दावे भी गिनाती है... रही बात आज के नेताओं की तो जब बोलते हैं तो इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि अपनी वाणी की सभी सीमाएं तोड़ देते हैं और जब वहीं बयान विवादों में आ जाता है। तो उसे मीडिया की उनके प्रति वेरुखी बताने लगते है। या फिर किसी विक्ष की चाल बताकर... मीडिया को दोषी बता देते हैं... कभी अपने गिरेवान में झांककर नेता देखें तो पहली खाई तो उनके अंदर और आसपास ही हैं... बुन्देलखंड में एक कहावत के अनुसार-
कानी टैट न अपनो देखे,दूसरन को पर-पर देखे।
अर्थात् अपने आप को देखते नहीं दूसरों की हर बात पकड़ते है।
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