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भोपाल। सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने सिंहस्थ के दौरान आयोजित हुए वैचारिक कुंभ में 25 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है। आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों का संयोजन करने के बाद उन्होंने बताया कि अनिल माधव दवे की अध्यक्षता में गठित हुई समिति ने इस आयोजन के नाम पर लक्झरी सेवाओं पर सरकार के करोड़ों रुपए उस समय लुटा दिया जब मप्र सूखे की चपेट में था और किसान मुआवजे का इंतजार कर रहे थे। पढ़िए अजय दुबे का यह खुलासा:
मित्रो नमस्कार,
सिंहस्थ 2016 में शिवराज सरकार द्वारा किये गये भारी भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी है। सूचना का अधिकार की मदद से मिले दस्तावेज सबसे पहले संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित वैचारिक कुंभ 12 मई -14 मई 2016 में करीब 25 करोड़ के घोटाले को सार्वजानिक करते हैं। केंद्र के वन पर्यावरण राज्य मंत्री अनिल दवे की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस कार्यक्रम में देश-विदेश के कई मेहमानों की भागीदारी का दावा किया था। प्रधानमंत्री मोदी जी और श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करायी थी।
1)जब प्रदेश सूखे की चपेट में था और बहुत बड़ी संख्या में जनता गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है तब मप्र की शिवराज सरकार बेदर्दी से 3 दिन के कार्यक्रम में करीब 1 करोड और 94 लाख रूपये खर्च कर अतिथियों को शाही भोजन करवा रही थी।
2) विभाग हमें यह सूचना देने में असफल रहा कि कितने अतिथि गण बुलाये गये। सूचना के अनुसार मेहमानों के होटलों में रूकने पर 1 करोड़ 73 लाख रूपये खर्च किए। इस हेतु करीब 1200 कमरे बुक गये थे जबकि केवल 800 कमरे ही उपयोग किये गये थे। खाने और रूकने की व्यवस्था में मप्र पर्यटन विकास निगम की जिम्मेदारी थी।
3)करीब 1 करोड़ रूपये वाहनों की सुविधा पर खर्च किये गये।
4)आपको याद होगा की इस कार्यक्रम में बड़े स्तर पर पर्यावरण प्रावधानों के उल्लंघन पर हमारी याचिका पर एनजीटी ने मप्र सरकार और अनिल दवे केंद्रीय मंत्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दवे जी ने आज तक जवाब दाखिल नहीं किया। सरकार ने झूठा जवाब दिया कि कार्यक्रम के लिए कोई पेड़ नहीं काटा गया जबकि बहुत सारे हरे वृक्षों को काटा गया। मुख्यमंत्री ने बड़े स्तर पर वृक्षारोपण की बात कही थी लेकिन आज तक एक भी पौधा नहीं लगाया गया।
5)हम जल्दी ही सिंहस्थ घोटाले के कई मामलों से पर्दा उठायेंगे। हमारी मांग है की इस पूरे महाघोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए।
भोपाल। सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने सिंहस्थ के दौरान आयोजित हुए वैचारिक कुंभ में 25 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है। आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों का संयोजन करने के बाद उन्होंने बताया कि अनिल माधव दवे की अध्यक्षता में गठित हुई समिति ने इस आयोजन के नाम पर लक्झरी सेवाओं पर सरकार के करोड़ों रुपए उस समय लुटा दिया जब मप्र सूखे की चपेट में था और किसान मुआवजे का इंतजार कर रहे थे। पढ़िए अजय दुबे का यह खुलासा:
मित्रो नमस्कार,
सिंहस्थ 2016 में शिवराज सरकार द्वारा किये गये भारी भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी है। सूचना का अधिकार की मदद से मिले दस्तावेज सबसे पहले संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित वैचारिक कुंभ 12 मई -14 मई 2016 में करीब 25 करोड़ के घोटाले को सार्वजानिक करते हैं। केंद्र के वन पर्यावरण राज्य मंत्री अनिल दवे की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस कार्यक्रम में देश-विदेश के कई मेहमानों की भागीदारी का दावा किया था। प्रधानमंत्री मोदी जी और श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करायी थी।
1)जब प्रदेश सूखे की चपेट में था और बहुत बड़ी संख्या में जनता गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है तब मप्र की शिवराज सरकार बेदर्दी से 3 दिन के कार्यक्रम में करीब 1 करोड और 94 लाख रूपये खर्च कर अतिथियों को शाही भोजन करवा रही थी।
2) विभाग हमें यह सूचना देने में असफल रहा कि कितने अतिथि गण बुलाये गये। सूचना के अनुसार मेहमानों के होटलों में रूकने पर 1 करोड़ 73 लाख रूपये खर्च किए। इस हेतु करीब 1200 कमरे बुक गये थे जबकि केवल 800 कमरे ही उपयोग किये गये थे। खाने और रूकने की व्यवस्था में मप्र पर्यटन विकास निगम की जिम्मेदारी थी।
3)करीब 1 करोड़ रूपये वाहनों की सुविधा पर खर्च किये गये।
4)आपको याद होगा की इस कार्यक्रम में बड़े स्तर पर पर्यावरण प्रावधानों के उल्लंघन पर हमारी याचिका पर एनजीटी ने मप्र सरकार और अनिल दवे केंद्रीय मंत्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दवे जी ने आज तक जवाब दाखिल नहीं किया। सरकार ने झूठा जवाब दिया कि कार्यक्रम के लिए कोई पेड़ नहीं काटा गया जबकि बहुत सारे हरे वृक्षों को काटा गया। मुख्यमंत्री ने बड़े स्तर पर वृक्षारोपण की बात कही थी लेकिन आज तक एक भी पौधा नहीं लगाया गया।
5)हम जल्दी ही सिंहस्थ घोटाले के कई मामलों से पर्दा उठायेंगे। हमारी मांग है की इस पूरे महाघोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए।
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