TOC NEWS @ बबलू मेहरा की रिपोर्ट
नरंसिहपुर। जिला मुख्यालय से कुछेक किमी. की दूरी पर आमगांव बड़ा के समीप करेली वन परिक्षेत्र के अंतर्गत सिमरिया बीट में सैकड़ों सगौन के व्यस्क पेड़ों समेत अन्य प्रजापति की इमारती लकड़ी की अवैध कटाई वन अधिकारी की उदासीनता के कारण वर्षो से जारी है। जिसमें इसकी संलिप्तता अब जगजाहिर हो चुकी है। अनेक कर्मचारियों द्वारा करेली एवं गाडरवारा तहसीलों में अपने रिश्तेदारों को फर्नीचर की दुकानें खुलवाकर मोटा लाभ कमाया जा रहा है। इसकी जानकारी वन महकमे व आला अधिकारियों को है और वे दबी जुबान में स्वीकार भी करते हैं लेकिन कार्यवाही नहीं की जा रही है।
ऐसे चला पता
शहर में व्याप्त जनचर्चा के आधार पर प्राप्त जानकारी के अनुसार हमारी टीम अनेक दुर्गम रास्तों से होते हुये सिमरिया बीट में पहुंची एवं स्थानीय निवासियों के सहयोग से वीट में भ्रमण किया तो जगह-जगह सागौन की कटाई देखकर दंग रह गये। देखने में आया कि सैकड़ों की संख्या में इमारती लकड़ी की आवश्यकता के अनुमान में कई सिल्ली सागौन के ठूंठ एवं कुछ दिन पूर्व कटाई व सिल्ली निर्माण किये गये कार्य नजर आये। जिसे टीम ने अपने कैमरों में कैद कर लिये। एवं कुछ स्थानीय निवाससियों के बयान भी अपने कैमरों में सुरक्षित कर लिये। हमारा यह अभियान करीब 8-9 घंटे चला।
डीएफओ को दी सूचना
भ्रमण के तीसरे दिन जब इस पूरे प्रकरण की मौखिक सूचना हमने डीएफओ एन.के.सनोडिया के कार्यालय जाकर दी एवं फोटोग्राफ एवं वीडियो क्लिपिंग दिखाई तब डीएफओ महोदय ने मुश्किल से सच्चाई स्वीकार करते हुये संबंधित उपवनमंडला अधिकारी सी.एस.सिंग को 18 नवंबर 2016 को पत्र क्रमांक स्टेनो 6940 के माध्यम से उपयुक्त बीट का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात कही। लेकिन हमारे बार-बार आग्रह के बाद इन्होंने डेढ़ साल बाद निरीक्षण किया जबकि पत्र में एक सप्ताह में रिपोर्ट देने की बात कही गई थी।
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एसडीओ को निरीक्षण में नहीं दीखी अवैध कटाई
इस बारे में जब हमने एसडीओ सी.एस.सिंग से बात की तो उन्होंने बताया कि चर्चित सिमरिया बीट में किसी भी प्रकार की अवैध सागौन कटाई नहीं हो रहीहै। जबकि हमने डीएफओ महोदय निरीक्षण में साथ चलने की बात कही थी।
ऐसा होता है यह अवैध व्यापार
अवैध सागौन व्यापार के लिए चर्चित सिमरिया बीट आमगांव बड़ा के नजदीक है एवं तहसील करेली यहां से मात्र 8 किमी. की दूरी पर स्थित है। जहां पर अनेक फर्नीचर की दुकानें है जिनके मालिक किसी न किसी रूप में वन विभाग के कर्मचारियों के रिश्तेदार है। या फिर दूसरे अर्थो में पर्दे के पीछे से ये ही इनके असली मालिक है। जो कि इस अवैध कारोबार को संचित करते हैं। सागौन तस्कर करेली, आमगांव एवं बीट से लगे आसपास के गांव के निवासियों के माध्यम से इस काम को अंजाम देते हैं। ये स्थानीय निवासी दिन एवं रात में उपयुक्त लकड़ी को काट कर वहीं इसे लटठै का आकार देते हैं इसकी पुष्टि वहीं जाकर हुये कार्य के अवशेषों से हमारे वीडियो फुटेजों से समझी जा सकती है। तदुपरांत सुबह 3 बजे से 6 बजे के बीच बैल गाडियों एवं साईकिल पर इसका अवैध परिवहन किया जाता है। इस पूरे कार्य की जानकारी समूचे वनविभाग को होती है पूर्व में भी हमने करेली रेंजर सनोडिया को इसकी जानकारी दी थी लेकिन आज तक इनके द्वारा सागौन तस्करों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। ताजा जाकनारी के अनुसार सिमरिया बीट में अभी भी भारी अवैध कटाई वन अमले के संरक्षण में की जा रही है। हमने डीएफओ, एसडीओ एवं रेंजर को इसकी जानकारी दी है लेकिन इनके द्वारा किसी भी įकार की कार्यवाही न करना इस कार्य को संरक्षण देने का प्र प्रमाण है।
क्यों नही हो रही कार्रवाई
उक्त बीटों के रक्षक जिन्हें वन रक्षा करना है और उनके वरिष्ठ अधिकारी डिप्टी रेंजर तक सभी के सभी स्थानीय है। स्थानीय होने के कारण किसी न किसी नेता से जुड़े हैं जो नेता जी की सेवा भी समय समय पर करते रहते हैं। जिसका उदाहरण अभी वन मंडल कार्यालय में जमे फील्ड कर्मचारियों की पदस्थापना और उनमें गुटबाजी और नेताजी के पत्रों पर भी कार्यवाही न होना यह साबित करता है कि सभी मिले जुले हैं।
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