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नरसिंहपुर, 06 जनवरी 2017. नर्मदा के तटों पर समूची साभ्यता और संस्कृति विकसित हुई है। नदी के किनारों पर देसज संस्कृति ने आकार गृहण किया है। पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए निकाली जा रही नर्मदा सेवा यात्रा आज 27 वें दिन नरसिंहपुर जिले के ग्राम समनापुर से प्रारंभ हुई। यह यात्रा चिनकी- उमरिया, राम पिपरिया, देव कछार होते हुये बरमान घाट (रेत घाट) पहुंची। यहां ग्रामीणों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया।
यात्रा का रास्ते में रंग- विरंगे परिधानों में सजे- संवरे बच्चों, छात्र, नौजवानों, वृद्धजनों आदि ने परंपरागत रूप से स्वागत किया। ग्रामों में जगह- जगह बच्चियां और महिलायें मंगल कलश लिये हुये हर्ष व उल्लास के साथ नर्मदा महिमा का बखान कर रहीं थीं। महिलाओं द्वारा मंगल गीत गा रही थी। गांव में जगह- जगह रास्ते में और घरों के सामने महिलाओ व बच्चों ने रांगोली सजाई हुई थीं। सड़क के किनारे बच्चें और महिलायें कतारबद्ध खड़े होकर नर्मदा सेवा यात्रियों का पुष्पवर्षा कर स्वागत कर रहे थे।
यात्रा में साथ चल रहे जनप्रतिनिधियों, संत- महत्मांओं ने ग्रामीणों से चर्चा करते हुये कहा कि सभ्यता और संस्कृति का गहरा नाता होता है। विचारों की पवित्रता के साथ ही आसपास के वातावरण की स्वच्छता भी उतनी ही आवश्यक है। ग्रामीणों से पर्यावरण की शुद्धता के लिए पौधारोपण, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ अभियान, नर्मदा के जल को प्रदूषण से मुक्त रखने आदि के संबंध में चर्चा हुई। ग्रामीणों ने इस अभियान में सक्रियता से अपनी सहभागिता निभाने का संकल्प लिया।
बरमान घाट का धार्मिक महत्व
बरमान को भगवान ब्राम्हा की तपोस्थली माना जाता है। तपोस्थली होने के कारण इस घाट का धार्मिक रूप से अत्याधिक महत्व है। नरसिंहपुर जिला ही नहीं आसपास के जिलों और दूसरे प्रदेश के लोग भी यहां मां नर्मदा के स्नान व पूजा- अर्चना के लिए आते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर एक बड़ा मेला यहां लगता है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बरमान को पर्यटन स्थल घोषित किया है। नर्मदा के दक्षिण तट पर ग्राम बरमान खुर्द और उत्तरी तट पर ग्राम बरमानकलां बसा है। आज यात्रा का पड़ाव बरमानखुर्द में है।
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