TOC NEWS
रंगे हाथों पकड़ा था लोकायुक्त टीम ने
-रमेश जाटव ने कीनल त्रिपाठी को रुपए दिए, उसने लपेटकर टेबल की दराज में रख लिए। रमेश जाटव और कीनल त्रिपाठी बात ही कर रहे थे, कि लोकायुक्त पुलिस ने छापा मार दिया और नोट बरामद कर लिए।
-कीनल ने रिश्वत के रूप में 100 के नोटों की एक गड्डी और 2 हजार के पांच नए नोट लिए थे। इसके बाद मिडडे मील प्रभारी से कीनल को हटा दिया था।
-अब सरकार ने रिश्वत का दोषी मानते हुए कीनल को नौकरी से हटा दिया है।
शिवपुरी। शिवपुरी में पदस्थी के साथ ही विवादों में रहीं मध्या- भोजन की संविदा टास्क मैनेजर कीनल त्रिपाठी को अंततः मध्या- भोजन परिषद भोपाल ने बर्खास्त करते हुए 31 मार्च 2017 से उनकी सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया है। टास्क मैनेजर त्रिपाठी को 1 दिसंबर 2016 को जिला पंचायत स्थित उनके चैंबर से उस समय लोकायुक्त टीम ने रंगे हाथों दबोचा था जब वे एमडीएम बांटने वाले इंदिरा गांधी स्व सहायता समूह के रमेश जाटव निवासी बडौरा से 20 हजार रुपए ले रही थीं। तत्समय लोकायुक्त ने उन्हें गिरफ्तार कर जमानत पर छोड़ दिया था।
इस मामले में कलेक्टर ने सेवा समाप्ति का प्रस्ताव मध्या- भोजन परिषद भोपाल भेज दिया था और परिषद ने 22 मार्च 2017 को कीनल त्रिपाठी को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया था। इसके बाद कीनल त्रिपाठी ने 13 अप्रैल 2017 को ई-मेल के जरिए अपना जवाब परिषद को भेजा लेकिन उनके जवाब से परिषद संतुष्ट नहीं हुई और राज्य समन्वयक जसवीर सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के तहत टास्क मैनेजर कीनल त्रिपाठी संविदा सेवा समाप्त कर दी। कीनल त्रिपाठी पर पूर्व में भी जिले में गंभीर आरोप लगते रहे हैं और वे विवादों में बनी हुईं थीं।
3 सदस्यीय जांच दल ने भी पाया था दोषी पर नहीं हुई थी कार्रवाई
शिवपुरी जिले में कीनल त्रिपाठी करीब 4 साल से पदस्थ थीं और अप्रैल 2013 में मध्या- भोजन योजना में भ्रष्टाचार को लेकर वे सुर्खियों में रही थीं। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने डीपीसी शिरोमणी दुबे, सहायक सीईओ गोपाल अग्रवाल व लेखा अधिकारी नीरज विजयवर्गीय का तीन सदस्यीय जांच दल बनाया था। जांच दल ने भी कीनल पर आरोपित अधिकांश मामलों में दोष सिद्घ पाया था। इस मामले की जांच रिपोर्ट तत्समय कलेक्टर द्वारा मध्या- भोजन परिषद को भेजी गई लेकिन 19 मई 2014 को राज्य स्तरीय छानबीन समिति की बैठक में निर्णय ले लिया गया कि त्रिपाठी पर आरोप तो सिद्घ पाए जाते हैं लेकिन उनके गोपनीय प्रतिवेदन में दर्ज टिप्पणियों को देखते हुए मानवीय दृष्टिकोण से सेवा समाप्त न करते हुए अन्य वैकल्पिक दंड दिया जाए और इसी निर्णय के चलते तत्समय उनके खिलाफ यह आदेश दिया गया कि 1 अप्रैल 2014 से 31 अक्टूबर 2014 तक एक मुश्त 13 हजार 50 रुपए वेतन निर्धारित रहेगा। साथ ही भविष्य में पुनरावृत्ति होने पर त्रिपाठी की सेवाएं अगले वित्तीय वर्ष में नहीं बढ़ाई जाएंगी लेकिन विवादों के बावजूद त्रिपाठी की सेवाएं जारी चली आ रहीं थीं।
इसे भी पढियें :- ओवैसी के नेता बोले- कमजोर पड़ गया है आपका धर्म, इसलिए लोगों को हिन्दू बनाने की फ़िक्र
उज्जैन में भी विवादास्पद रहा था कार्यकाल
शिवपुरी में पदस्थी से पहले कीनल त्रिपाठी पहली बार उज्जैन जिला पंचायत में संविदा टास्क मैनेजर के रूप में पदस्थ हुई थीं। यहां भी तत्कालीन उज्जैन कलेक्टर एम गीता द्वारा त्रिपाठी के विरुद्घ भ्रष्टाचार, मनमानी व नियम विरुद्घ कार्य करने के चलते एमडीएम परिषद को 4 अगस्त 2011 को प्रतिवेदन भेजा था। इस मामले में निर्देशों की अवहेलना किया जाना स्पष्ट हुआ था और मध्या- भोजन परिषद ने उन्हें अंतिम अवसर देते हुए 30 मई 2014 को संविदा सेवा वृद्घि कर शिवपुरी जिला पंचायत में रिक्त संविदा टास्क मैनेजर के पद पर पदस्थ कर दिया था यानी शिवपुरी में पदस्थी से पहले ही कीनल विवादों में रहीं थीं।
No comments:
Post a Comment