TOC NEWS // 29 APRIL 2017
ग्वालियर| विद्युत वितरण कम्पनी की लापरवाही के कारण ठेकेदार का परिवार कितने बुरे दौर से गुजर रहा था। इसका अंदाजा सुसाइड नोट में व्यक्त किए गए दर्द को पढ़कर लगाया जा सकता है। सुसाइड नोट में मृतक ने अपने शरीर को सरकारी खर्चे पर ठिकाने लगाने की फरियाद करते हुए लिखा है कि उसकी पत्नी के पास एक पैसा भी नहीं है।
गदाईपुरा में किराए से रहने वाले ठेकेदार रविन्द्र सिंह जादौन की माली हालत कितनी खराब थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट लिखा है। रविन्द्र सिंह ने लिखा है कि मेरे मृत शरीर को सरकारी खर्चे पर ठिकाने लगाया जाए क्योंकि मेरी पत्नी के पास एक भी पैसा नहीं है। यदि वह किसी रिश्तेदार से उधार लेगी तो फिर वापस करने की कोई व्यवस्था नहीं है। नौ साल पहले काम करने के बाद साढ़े चार लाख रुपए के भुगतान के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख चुके रविन्द्र को जब भुगतान होने की कोई उम्मीद नहीं दिखी तो उन्होंने उस स्थान पर (मुख्य महाप्रबंधक) कार्यालय जाकर आत्महत्या कर ली, जहां पर वह नौ साल से पैसों के लिए चक्कर काट रहे थे। इस संबंध में विद्युत वितरण कम्पनी का कोई भी अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं था।
पिता की चप्पलें घिस चुकी थीं कार्यालय के चक्कर लगाते-लगाते: राघवेन्द्र
मृतक ठकेदार के पुत्र राघवेन्द्र जादौन ने जानकारी देते हुए बताया कि अपने पिता के साथ मैंने भी विद्युत खम्बे लगाने के ठेकेदारी के काम में मदद की थी। काम पूर्ण होने के बाद भुगतान के लिए मेरे पिता नौ साल से लगातार मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय मोतीझील से लेकर अन्य कई अधिकारियों के चक्कर लगाकर परेशान हो चुके थे। मेरे पिता की मौत के जिम्मेदार विद्युत वितरण कम्पनी के वे अधिकारी हैं, जो कमीशन के रूप में बीस प्रतिशत राशि मांग रहे थे। अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगाते-लगाते मेरे पिता की चप्पलें घिंस गई थीं। बावजूद इसके भुगतान नहीं किया गया।
मृतक ठकेदार के पुत्र राघवेन्द्र जादौन ने जानकारी देते हुए बताया कि अपने पिता के साथ मैंने भी विद्युत खम्बे लगाने के ठेकेदारी के काम में मदद की थी। काम पूर्ण होने के बाद भुगतान के लिए मेरे पिता नौ साल से लगातार मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय मोतीझील से लेकर अन्य कई अधिकारियों के चक्कर लगाकर परेशान हो चुके थे। मेरे पिता की मौत के जिम्मेदार विद्युत वितरण कम्पनी के वे अधिकारी हैं, जो कमीशन के रूप में बीस प्रतिशत राशि मांग रहे थे। अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगाते-लगाते मेरे पिता की चप्पलें घिंस गई थीं। बावजूद इसके भुगतान नहीं किया गया।
बर्तन बेचकर कर रहे थे गुजारा
गरीबी और पत्नी की बीमारी से परेशान ठेकेदार रविन्द्र बुढ़ापे में पूरी तरह टूट चुके थे। उनके बेटे राघवेन्द्र ने बताया कि हमने परिवार का गुजारा चलाने के लिए अपने घर के बर्तन तक बेच डाले। राघवेन्द्र की बूढ़ी मां किसी तरह लोगों के घरों में काम करके गुजर-बसर कर रही है।
पत्नी की बड़ी बहनें कर रही थीं मदद
विद्युत ठेकेदार रविन्द्र की पत्नी की दो बड़ी बहनें उनकी काफी मदद कर रही थीं। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि जिन लोगों ने मेरे साथ धोखाधड़ी कर मुझे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया है, उसके दस्तावेज दो पॉलीथिन में रखे हुए हैं। काफी दिनों से आत्महत्या करने का प्रयास करने वाले रविन्द्र के बेटे राघवेन्द्र का कहना है कि पिता की लड़ाई अब मैं लडूंगा।
विद्युत ठेकेदार रविन्द्र की पत्नी की दो बड़ी बहनें उनकी काफी मदद कर रही थीं। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि जिन लोगों ने मेरे साथ धोखाधड़ी कर मुझे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया है, उसके दस्तावेज दो पॉलीथिन में रखे हुए हैं। काफी दिनों से आत्महत्या करने का प्रयास करने वाले रविन्द्र के बेटे राघवेन्द्र का कहना है कि पिता की लड़ाई अब मैं लडूंगा।
No comments:
Post a Comment