TOC NEWS // 30 APRIL 2017
छेड़छाड़ के मामले में हो सख्त कार्रवाई, दो माह में करूंगा समीक्षा
विनय जी डेविड
भोपाल। महिला अपराध को लेकर प्रदेश की स्थिति ठीक नहीं है , आए दिन छेड़छाड़ के मामले सामने आ रहे हैं। महिला अपराधों को लेकर पुलिस की कार्रवाई से मुखिया भी संतुष्ट नहीं हैं। कई मामलों में पुलिस की लापरवाही से पीड़िताओं द्वारा गंभीर कदम तक उठा लिए जाते हैं। ऐसे मामले पुलिस के मुखिया यानी की पुलिस महानिदेशक ऋषिकुमार शुक्ला के सामने आने के बाद उन्होंने महिला अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए सख्त कार्रवाई करने के निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों को दिए हैं। साथ ही हर दो माह के अंतराल में सभी जिलों की महिला अपराधों को लेकर समीक्षा किए जाने की बात भी कही है।
बताया जा रहा हैं कि पुलिस महानिदेशक ऋषिकुमार शुक्ला ने छेड़छाड़ को लेकर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में सबसे ज्यादा कमियां निकाली हैं। उनका मानना है कि पूरे प्रदेश में छेड़छाड़ के मामले में पुलिस का काम सही तरीके से नहीं हो रहा हैं। इस तरह के मामलों में न तो विवेचना ठीक ढंग से हो रही है और न ही घटनाओं को गंभीरता से लेकर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
जिसे लेकर डीजीपी ने जिलों के एसपी को निकली गई खामियों को भेजते हुए इसे दूर करने के निर्देश दिए हैं। इन दिशा-निर्देशों का कितना पालन किया गया इसकी समीक्षा डीजीपी द्वारा दो माह बाद की जाएगी। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कई मर्तबा महिला अपराधों को लेकर पुलिस अधिकारियों को चेता चुके हैं। हालही में पुलिस अकादमी भोपाल में हुए दीक्षांत समारोह में भी मुख्यमंत्री ने महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ की घटना पर फोकस करते हुए इसे रोकने तथा कार्रवाई करने के लिए कहा था।
वर्ष 2016 में 55 हजार से अधिक मामले
प्रदेश में महिला अपराध की स्थिति क्या है इस बात को यह आंकड़े ही बयां करते हैं। वर्ष 2016 में पूरे प्रदेश में 55 हजार से अधिक मामले महिला अपराध के हुए हैं। जिसमे सबसे ज्यादा छेड़छाड़ के थे, सबसे खास बात यह है कि राजधानी भोपाल इस मामले में सबसे आगे रही हैं। सूत्रों का कहना है कि यह अपराधों का आंकड़ा तो और बढ़ सकता था लेकिन कई मामलों में युवतियां डर के चलते शिकायत ही नहीं की हैं।
डीजीपी ने तीन भागों में गिनाई खामियां
पुलिस महानिदेशक ने सभी पुलिस अधीक्षकों को महिला अपराधों की खामियां तीन भागों में गिनाई हैं। सबसे पहले उन्होंने वाहन से चलते समय छेड़छाड़ की घटना में वैधानिक कार्रवाई न होना , ऐसे स्थानों पर सादे कपड़ों में महिला पुलिस कर्मी तैनात नहीं होना , चिन्हित स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी का न होना हैं।
इसी तरह दूसरे भाग में बीट प्रभारी को शिकायत मिलने पर प्रभावी कार्रवाई न होना तथा घटनाओं पर वैधानिक कार्रवाई न होने के अलावा विवेचना में लेटलतीफी करने पर प्रकाश डाला हैं। डीजीपी ने अंतिम अर्थात तीसरे भाग में यह बताने का प्रयास किया है कि अपराध कायम होने के बाद जांच अधिकारी विवेचना के साथ प्रकरणों की समीक्षा नहीं करते , कोर्ट से जारी समन और वारंट को प्राथमिकता से तामील नहीं कराया जाना तथा अपराधियों की जमानत का विरोध नहीं होना आदि खामियां गिनाई हैं। जिसे दूर करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
इनका कहना है...
महिला अपराधों को लेकर समय -समय पर विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती हैं। पुलिस मुख्यालय द्वारा जो दिशा - निर्देश प्राप्त होंगे उस पर तत्काल अमल किया जाएगा।
राकेश जैन , एसपी बैतूल
महिला अपराधों को लेकर सख्त कार्रवाई के निर्देश शुरू से ही दिए गए हैं , अगर कोई कमी है तो इसे पुलिस मुख्यालय के निर्देश मिलने के बाद दूर किया जाएंगा।
ललित शाक्यवार , एसपी छतरपुर
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