जज लोया मामले पर फैसला आने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रशांत भूषण ने जो अहम बातें कही उसे लेकर अब चर्चा होने लगी है। दरअसल, प्रशांत भूषण ने कोर्ट से बाहर आते ही कहा कि, सुप्रीम कोर्ट उन चार जजों के बयान को आधार बनाया जिनके बयान का कोर्ट में कोई हलफनामा नहीं आया। उस पुलिस अधिकारी के बयान का कोई हलफनामा भी नहीं आया जिसके सामने चारों जजों ने बयान दिए थे। यह गलत फैसला है और मेरी राय में सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का काला दिन है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जज लोया की मौत को ‘प्राकृतिक’ मानते हुए मामले की स्वतंत्र जांच करवाए जाने संबंधी दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है। खबर के मुताबिक, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “मौत तक ले जाने वाले घटनाक्रम के संबंध में चार न्यायिक अधिकारियों श्रीकांत कुलकर्णी, श्रीराम मोदक, आर राठी और विजय कुमार बोर्डे द्वारा दिए गए बयानों तथा बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भूषण गवई व सुनील शुक्रे की टिप्पणियों पर अविश्वास करने की कोई वजह नहीं है।”
खंडपीठ ने आगे कहा “जज झूठ नहीं बोल सकते, उनके कहे पर अविश्वास करने की कोई वजह नहीं बनती। जजों पर सवाल उठाने वाला अवमानना के योग्य है।” याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे सुनवाई के दौरान कई बार ये बात कह चुके थें कि ‘इन चार जजों के बयान बिलकुल रटे हुए तोतों की तरह हैं….. अगर ये सच बोल रहे हैं तो इन्हें शपथपत्र दाखिल करने में क्या दिक्कत है? इनसे कहिये कि ये शपथपत्र में अपने बयान दें, फिर मैं इन्हें क्रॉस-एक्सामिन करूंगा….’
जिन बयानों को दुष्यंत दवे पहले दिन से ही ‘रटे हुए तोते के बयान’ बता रहे थे, उन्हीं बयानों को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम सत्य मान लिया। कोर्ट ने कहा कि जज ‘झूठ नहीं बोल सकते’
कोर्ट के इसी जवाब पर एक और सवाल खड़ा हो गया है कि अगर जज झूठ नहीं बोल सकते तब तो सुप्रीम कोर्ट के वो चार जज भी झूठ नहीं ही बोल रहे थें जिन्होंने 12 जनवरी को प्रेस कांफ्रेंस की थी।
गौरतलब है कि 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों (जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ़) ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन किया था। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ।
खबर के मुताबिक, इन जजों ने सर्वोच्च न्यायालय में चल रही अनियमितताओं को लेकर सवाल खड़े किए थें। जस्टिस जे चेलमेश्वर ने कहा था कि, “हम चारों इस बात पर सहमत हैं कि इस संस्थान को बचाया नहीं गया तो इस देश में या किसी भी देश में लोकतंत्र ज़िंदा नहीं रह पाएगा।’ इन जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर भी सवाल उठाए थें, तो क्या ये चारों जज भी झूठ नहीं बोल रहे थें?
खबर के मुताबिक, गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी इस सवाल को उठाते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है अगर ‘जज झूठ नहीं बोल सकते’ तो क्या हमे उन चार जजों की बात भी सुननी चाहिए जिन्हेंने जनवरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, नहीं??
न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार सुप्रीमकोर्ट के 4 जजों का प्रेस कांफ्रेंस
न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है नकी सुप्रीमकोर्ट के 4 जजों ने एकसाथ प्रेस कांफ्रेंस किया। जस्टिस जस्ती चम्लेश्वर के घर पर शुक्रवार दोपहर 12:15 बजे सुप्रीमकोर्ट के जजों ने प्रेस कांफ्रेंस किया है। बताया जा रहा है कि पिछले दो महीनों के बिगड़े हालात को ध्यान में रख कर यह प्रेस कांफ्रेंस बुलाया गया था।
- दिल्ली में जस्टिस जस्ती चम्लेश्वर घर पर सुप्रीमकोर्ट के चार जजों ने प्रेस कांफ्रेंस किया।
- शुक्रवार दोपहर 12:15 बजे पिछले दो महीनों के बिगड़े हालात को ध्यान में रख कर यह प्रेस कांफ्रेंस बुलाया गया था।
- प्रेस कांफ्रेंस में जस्टिस जस्ती चम्लेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस मदन भीमराव और जस्टिस रंजन गोगोई थे।
- जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि “चीफ जस्टिस को लिखी गयी चिट्ठी हम सार्वजनिक करेंगे।”
- दीपक मिश्र है सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस।
- दीपक मिश्र के CJI से तीन जज रिटायर होने वाले हैं।
- जिसके बाद जस्टिस रंजन गोगोई चीफ जस्टिस हो जायेंगे।
मीडिया को सौपी चिट्ठी
- प्रेस कांफ्रेंस के बाद जजों ने मीडिया को CJI के शिकायत वाली चिट्ठी सौप दी है।
- चिट्ठी में चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के मनमानी रवैये के बारे में लिखा है।
- इसके सन्दर्भ में जजों ने उन्हें समझाने कि कोशिश की थी।
- जिसमे वो विफल रहे, इसी कारण उन्हें मीडिया से रूबरू होने कि जरुरत पड़ गयी है।
क्या कहा जस्टिस ने
- सुप्रीमकोर्ट के नंबर 2 सीनियर जज जस्टिस जस्ती चम्लेश्वर ने मीडिया से बातचीत की।
- उन्होंने कहा, हमने चीफ जस्टिस को समझाने कि पूरी कोशिश की है।
- लेकिन समझाने में विफल रहे हैं, इसलिए कांफ्रेंस बुलाना पड़ा है।
- उन्होंने कहा, “न्यायपालिका के इतिहास में आज ताका इसा नहीं हुआ।”
- “सुप्रीमकोर्ट का प्रशासन ठीक नहीं चल रहा है।”
- “पिछले दो महीनों में हालात कुछ ठीक नहीं है।”
- “सब कुछ सही नहीं चल रहा है, इसलिए यह प्रेस कांफ्रेंस जरुरी था।”
- “हमने अपनी आत्मा बेच दी, कल को कोई ऐसा ना कहे।”
CJI कि अनियमतता कि शिकायत
- जस्टिस चम्लेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए CJI कि अनियमतता कि बात की।
- साथी जज जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि “चीफ जस्टिस को लिखी गयी चिट्ठी हम सार्वजनिक करेंगे।”
- “अनियामतताओं को लेकर लिखा था चीफ जस्टिस को चिट्ठी।”
- उन्होंने कहा कि, “हम नहीं चाहते की हमपर कोई आरोप लगे।”
- दीपक मिश्र है सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस।
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