राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने इंदौर में श्री अरबिन्दो इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस परिसर में सौम्स-जियो विश्वविद्यालय के भूमि-पूजन समारोह को सम्बोधित किया। |
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भोपाल : बुधवार, जून 20, 2018, राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज इंदौर में श्री अरविन्दो इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस परिसर में सैम्स-जियो (जैन इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन) विश्वविद्यालय का भूमि-पूजन किया। इस विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान के अलावा कानून और वाणिज्य की भी शिक्षा दी जायेगी। इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा का तेजी से विकास हो रहा है। अब हमें संस्कारवान नई पीढ़ी तैयार करना है। इस काम में शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि शासन का उद्देश्य हर व्यक्ति को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध करना है। मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य है। प्रदेश में हर साल नये कॉलेज और विश्वविद्यालय खुल रहे हैं। किसी भी विश्वविद्यालय में रैगिंग नहीं होना चाहिये, बल्कि ऐसी परम्परा शुरू की जाये, जिससे किसी भी शैक्षणिक संस्थान में पुराने विद्यार्थी नये विद्यार्थियों का आत्मीय स्वागत करें। उन्होंने कहा कि रैगिंग भी कुसंस्कार का परिणाम है।
वर्तमान युग में रोजगारमूलक शिक्षा जरूरी
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि वर्तमान युग में शिक्षा के मायने बदल गये हैं। 'सा विद्या या विमुक्तये' अर्थात असली शिक्षा वही है, जो हमें मुक्ति प्रदान करे। आजकल व्यवसायिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उसी शैक्षणिक संस्थान को सबसे अच्छा माना जाता है, जहाँ सबसे ज्यादा प्लेसमेंट हो। विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान और औद्योगिक कम्पनियों में सघन प्रशिक्षण दिलाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि शासन ऐसे प्रयास करें कि गाँव की महिलाओं को भी उच्च शिक्षा मिल सके। शैक्षणिक संस्थान, समाजसेवी और व्यवसायी एक-एक गाँव को गोद लेकर आदर्श प्रस्तुत करें। राज्यपाल ने कहा कि गाँव भारतीय सभ्यता और संस्कृति के केन्द्र रहे हैं। गाँवों के विकास से ही देश का विकास होगा। शासन की मंशा भी है कि सबका साथ-सबका विकास हो।
केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर
उन्होंने कहा कि राज्य और केन्द्र सरकार महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है। केन्द्र और राज्य शासन की मंशा है कि महिलाएँ शिक्षित हों, स्वयं का रोजगार स्थापित करें, नौकरी के क्षेत्र में भी आगे आयें। आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बनें। केन्द्र और राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना शुरू की है, जिससे महिलाओं के जीवन में हो रहे क्रान्तिकारी बदलाव दिखाई देने लगे हैं। इन योजनाओं के दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे। उन्होंने आह्वान किया कि विद्यार्थी वर्ग अपनी ऊर्जा का रचनात्मक उपयोग करें और समाज में शांति और सद्भाव कायम रखने में योगदान दें।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने क्षय रोग से पीड़ित 2 हजार 200 बच्चों को गोद लिया है। वे उन्हें पोषण आहार और समय पर दवा देने में मदद कर रहे हैं। शासन की मंशा है कि सन 2022 तक भारत क्षय रोग से मुक्त हो जाये। राष्ट्रीय स्तर पर महिला-पुरूष लिंगानुपात में सुधार आ रहा है। महिलाओं केकल्याण के लिये शासन द्वारा अनेक योजनाएँ शुरू की गई हैं और विभिन्न स्तर पर आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि परम्परागत पढ़ाई के साथ-साथ शोध पर भी विशेष जोर दें। नई-नई बीमारियों के नये-नये टीके का आविष्कार करें। इस अवसर पर श्रीमती पटेल ने इन्स्टीट्यूट ऑफ रिजनरेटिव मेडिसिन एण्ड ट्रान्सप्लांट, इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर एण्ड न्यूक्लियर मेडिसिन और इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल लॉ की आधारशिला रखी।
जैनमुनि पद्मसागर जी महाराज ने कहा कि विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और समाजसेवा की भावना पैदा करना जरूरी है। पूरी दुनिया में एक ही धर्म है- मानव धर्म और एक ही जाति है- मानव जाति। हमें धर्म और जाति के बंधन से ऊपर उठकर काम करना होगा।
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