भय्यू महाराज के रिवाल्वर के लायसेंस को लेकर खोजबीन... |
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इंदौर। भय्यू महाराज ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में पुलिस हर बिंदु पर जांच कर रही है। पुलिस ने भय्यू महाराज की रिवाल्वर के रिकार्ड को खंगाला तो उसका लाइसेंस महाराष्ट्र के वाशिम जिले से जारी होना पाया गया। इस मामले में पुलिस के सामने एक नया पेंच आ गया है कि भय्यू महाराज लेफ्ट हेंडर थे तो उन्होने राईट हेंड से कनपटी पर खुद को गोली क्यों मारी?
भय्यु महाराज ने खुद को मारने के लिए एक विदेशी निर्मित रिवाल्वर का इस्तेमाल किया था.जिस रिवाल्वर से उन्होंने खुद को गोली मारी उसके लायसेंस के बारे में पुलिस ने जांच की तो पता चला कि वह महाराष्ट्र के वाशिम जिले में 2002 में बना था। दस साल बाद उन्हें महाराष्ट्र के एक अन्य जिले से वेब्ली एंड स्कॉट द्वारा किए गए रिवाल्वर के लिए आल इंडिया का लाइसेंस मिला था। रिवॉल्वर (वेब्ली एंड स्कॉट द्वारा निर्मित) का पहला लाइसेंस 2002 में महाराष्ट्र के वाशिम जिले से भय्यू महाराज के नाम पर जारी किया गया था। 2012 में, उन्होंने महाराष्ट्र में भी बुलढाणा जिले से आल इंडिया लाइसेंस के लिए आवेदन किया और उन्हें अपने मिला भी था। पुलिस ने बताया कि भय्यु महाराज सामाजिक कार्य करते थे और अक्सर महाराष्ट्र के दो जिलों में जाते थे, क्योंकि वहां उनके कई रिश्तेदार रहते थे। पुलिस ने आत्महत्या में उपयोग की गई रिवाल्वर जब्त कर, बुलेट भी घटना स्थल से बरामद किया और उन्हें फोरेंसिक परीक्षण के लिए भेजा है।
लेफ्ट और राइट का मामला
इस मामले की जांच कर रहे सीएसपी मनोज रत्नाकर के मुताबिक भय्यू महाराज की आत्महत्या को लेकर जांच कर रही पुसिल के सामने उनके सामान्य जीवन के क्रिया कलापों को शामिल किया गया, तो उसमें पता चला कि वे लेफ्ट हेंडर थे। ऐसा है तो उन्होंने राईट हेंड से कनपटी पर गोली क्यों मारी? पुलिस ने इस बिंदु को भी गंभीरता से लिया है और मामले की सूक्ष्मता से जांच के लिए मौके से प्राप्त साक्ष्यों और उनके फ्रिंगर प्रिंट आदि को जांच के लिए सागर लेब में परीक्षण के लिए भेजा है। जहां से इस बात का खुलासा होगा कि क्या लेफ्ट हेंडर राईट हेंड से खुद को गोली मार सकता है? यदि संभव है तो उसके गोली मारने के दौरान किस प्रकार की स्थिति बनती है।
डीआईजी इंदौर हरिनारायण चारी मिश्रा के अनुसार पुलिस भय्यू महाराज की मौत को लेकर होने वाली जांच में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती! इसलिए इंदौर पुलिस ने आत्महत्या नोट में जिन शक्तियों, संपत्तियों और बैक खातों का उल्लेख किया है, उस मामले में महाराज के करीबी रहे विनायक दुधाडे से भी पूछताछ की है। पुलिस इसके साथ ही महाराज के बारे में अन्य राज्यों से भी जानकारी एकत्र कर रही है। 21 मार्च 1999 को महाराज ने एक ट्रस्ट स्थापित किया था और उसमें 11 ट्रस्टी भी बनाएं थे। वे सभी ट्रस्टी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के थे। इस ट्रस्ट का कार्य कृषि और जल संरक्षण के क्षेत्रों सहित अन्य कल्याण के कार्यक्रम करना था।
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