देश के बड़े चैनल एबीपी न्यूज़ चैनल से एक एंकर और चैनल में 14 साल से काम कर रहे संपादक को निकाले जाने के बाद देश में एक बार फिर से मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी की बहस शुरू हो गई है।
बताया जा रहा है की एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी ने अपने शो मास्टर स्ट्रोक में दिखाया की किस तरह से पीएम मोदी के कार्यक्रम मन की बात आए किसानो से दिल्ली से आए अधिकारों ने अपनी आय दोगुणा बताने का झूट बोलने को कहा।
जिसके बाद कथित तौर पर सरकार से दबाव के कारण एंकर प्रसून जोशी और संपादक मिलिंद खान्देलकर की नौकरी चली गई थी। अपनी नौकरी छोड़ने के बाद प्रसून जोशी ने ट्विटर पर लिख कर कहा की एडिटर गिल्ड इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा ‘एडिटर गिल्ड कहता है…लिखित शिकायत मिलेगी तब लड़ाई लडेगें…’
इसके आलावा आपको बता दे की शुक्रवार को कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड्गे ने सदन में भी इस मुद्दे को उठाया था, जिस पर जोशी ने ट्वीट करते हुए कहा ‘सियासत/सत्ता/संसद का स्तर समझे…मीडिया पर चार शब्द सही तरीक़े से विपक्ष संसद के भीतर बोल नहीं पाता…मंत्री का जवाब तथ्य से परे ग़लतबयानी पर टिकता है…जब दख़ल नहीं तो क्या आदृश्य शक्तियों का बोलबाला है..खानापूर्ति करने के लिए संसद चलायी जाती है..सोचिए ज़रूर….. ‘
इसके अलावा सरकार का मीडिया पर दबाव बनाना और पत्रकारों को नौकरी से निकाले जाने पर दिल्ली के अधिकतर पत्रकार चुप है, सब ने बर्फ की सिल्ली जमी हुई है ।एक दो टीवी पत्रकारों को छोड़ दे तो किसी भी पत्रकार ने इस विषय पर कुछ भी नहीं बोला है ।
बताया जा रहा है की एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी ने अपने शो मास्टर स्ट्रोक में दिखाया की किस तरह से पीएम मोदी के कार्यक्रम मन की बात आए किसानो से दिल्ली से आए अधिकारों ने अपनी आय दोगुणा बताने का झूट बोलने को कहा।
जिसके बाद कथित तौर पर सरकार से दबाव के कारण एंकर प्रसून जोशी और संपादक मिलिंद खान्देलकर की नौकरी चली गई थी। अपनी नौकरी छोड़ने के बाद प्रसून जोशी ने ट्विटर पर लिख कर कहा की एडिटर गिल्ड इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा ‘एडिटर गिल्ड कहता है…लिखित शिकायत मिलेगी तब लड़ाई लडेगें…’
इसके आलावा आपको बता दे की शुक्रवार को कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड्गे ने सदन में भी इस मुद्दे को उठाया था, जिस पर जोशी ने ट्वीट करते हुए कहा ‘सियासत/सत्ता/संसद का स्तर समझे…मीडिया पर चार शब्द सही तरीक़े से विपक्ष संसद के भीतर बोल नहीं पाता…मंत्री का जवाब तथ्य से परे ग़लतबयानी पर टिकता है…जब दख़ल नहीं तो क्या आदृश्य शक्तियों का बोलबाला है..खानापूर्ति करने के लिए संसद चलायी जाती है..सोचिए ज़रूर….. ‘
इसके अलावा सरकार का मीडिया पर दबाव बनाना और पत्रकारों को नौकरी से निकाले जाने पर दिल्ली के अधिकतर पत्रकार चुप है, सब ने बर्फ की सिल्ली जमी हुई है ।एक दो टीवी पत्रकारों को छोड़ दे तो किसी भी पत्रकार ने इस विषय पर कुछ भी नहीं बोला है ।
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