रामानुजगंज:- बलरामपुर
रामानुजगंज जिले में पशु तस्करी का अवैध कारोबार रूकने का नाम नही ले रही है, आए दिन हो रही पशु तस्करी को लेकर जिले के आला पुलिस अधिकारी भी गंभीर नही हैं। जिसके कारण पशुओं की बड़े पैमाने पर संबंधित थाना क्षेत्रों की पुलिस की सह पर पशुओं की तस्करी का सिलसिला जारी है।
पशुओं को भूखे-प्यासे मीलों तक रातों रात चलाने का काम पशु तस्कर करतें हैं। साथ ही कई मर्तबा पशुओं को वाहनों में ठूंस-ठूंस कर नियम विरूद्व तरीके से ले जाने का काम करते हैं। इसके लिए हर प्वाईंट पर उनके आदमी संपर्क में जुड़े रहते हैं। जिनका काम किसी प्रकार की बाधा होने पर सूचित करते रहना और मैनेज कर पशुओं के परिवहन को आगे बढ़ाना होता है। जिले में पशु तस्करी कोई नया मामला नहीं है ब.पुर-रामानुजगंज जिले के साथ मध्य प्रदेश के सीधी जिलों से होते हुए छत्तीसगढ़ की सीमा से पशुओं को अवैध तरीके से बिहार, झारखण्ड के बुचड़खाने ले जाने का काम वर्षो से किया जा रहा है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस बात की जानकारी पुलिस को भी है, पर वे इसकी रोकथाम करने की दिशा में कोई रूचि नही दिखाते हैं बल्कि ऐसे कार्यो में पशु तस्करों का लेन-देन कर पूरा सहयोग प्रदान करते हैं। ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पशु तस्करों जिन थाना क्षेत्र से पशुओं को ले जाने का काम करते हैं उस थाना क्षेत्र के पुलिस को मैनेज कर लिया जाता है और उसके बदले में जितनी पशुओं की संख्या होगी उसके हिसाब से पुलिस को रूपये देते है ऐसे में उन्हें और किसका डर होगा। वन विभाग का भी यही हाल है विभागीय बीट गार्ड के साथ परिक्षेत्र अधिकारियों की मिलीभगत भी शामिल है। जिस कारण जिले से अवैध रूप से पशु तस्करी का काम बेखौफ जारी है। जब तक दोनो विभागों के आला अधिकारी इस दिशा में कार्यवाही नहीं करेगें अवैध तस्करी का खेल चलता रहेगा। साथ ही कई सामाजिक संगठनों को भी ऐसे अवैध कारोबारों को रोकने के लिए विभागों पर दबाव बनाने की जरूरत होगी तभी जाकर जिले से पशुओं की अवैध परिवहन को रोका जा सकता है। सरकार के द्वारा पशुओं के अवैध परिवहन से संबंधित नियम तो बनाये गये हैं लेकिन अधिकारी ही नियमों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नही छोड़ रहें हैं।
तस्करी का प्रमुख केन्द्र हैः-
पुलिस थाना रघुनाथनगर के अन्तर्गत स्थित पुलिस चौकी बलंगी एवं उक्त थाना के सिमा क्षेत्र ग्राम सरना, केनवारी, नवगईं होते हुए पण्डरी, रामनगर होते हुए बसंतपुर थाना क्षेत्र पशु तस्करी का मुख्य केन्द्र बिन्दु है। तथा पुलिस चौकी वाड्रफनगर एवं मढ़ना का जंगल से होते हुए थाना त्रीकुण्डा होते हुए पुलिस चौकी बिजयनगर से चिनीया-छतवा का जंगल होते हुए कन्हर नदी के रास्ते पशु की तस्करी निर्वाध रूप से लगातार हो रही है। विजय नगर पुलिस चौकी व रामानुजगंज थाना क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम गड़गोड़ी, बगरा व लोधा होते हुए छतवा चिनियां व फुलवार के रास्ते कन्हर पार कर दुधवल झारखण्ड सीमा में प्रवेश कर गढ़वा के ग्राम कल्याणपुर व कोरवाडीह चले जाते हैं। ग्राम गड़गोड़ी में डौका नदी के पास ये तस्कर पशुओं के साथ दिन भर पड़ाव डालते हैं। इस रूट से प्रत्येक दिन दो तीन सौ की संख्या में पार होते हैं। व सप्ताह के हर शनिवार, रविवार, सोमवार को हजारों की संख्या में पार होता है।
थाना प्रतापपुर व डौंरा चौकी क्षेत्र से हो कर ग्राम कुदौरा, झींगों, बलरामपुर थाना क्षेत्र के मेन रोड होते हुए चांदो पहुंचते हैं इस रूट में पीकअप व ट्रक में पशुओं को ठूंस ठूंस कर परिवहन किया जाता है। इनका समय रात 10-11 बजे से परिवहन शुरू हो जाता है। प्रत्येक दिन 8 से 10 गाड़ी पशु पार किया जाता है। सप्ताह के हर शनीवार, रविवार, सोमवार को 40 से 50 गाड़ी भर कर मवेशी अवैध तरीके से पार किया जाता है। गौरतलब हो कि उक्त क्षेत्रों में कई वर्षों से अवैध रूप से झारखण्ड के तस्कर पहुंचकर अवैध रूप से पशुओं को ले जाने का काम करते हैं जो क्षेत्र के वाड्रफनगर, त्रीकुण्डा, रामचन्द्रपुर, रामानुजगंज व पस्ता प्रभारी सहित एक एडीशनल एस.पी. को भी बकायदा मिलाकर रखा है। जिसके कारण पशु तस्करों का काम आसान हो गया है। इन क्षेत्रों में बड़े पुलिस अधिकारियों का दौरा कभी कभार ही होता है। ऐसे में यह क्षेत्र पशु तस्करी के लिए स्वर्ग बन गया है। आये दिन इन क्षेत्रों से पशु तस्करी का कार्य होता रहता है।
खेती हो रही बर्बाद:-
पशुओं की तस्करी एक सामाजिक बुराई होने के साथ ही क्षेत्र के किसानों के लिए दिन प्रतिदिन एक गंभीर समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। दरअसल जंगल व खेतों के रास्तें तस्करों द्वारा पशुओं को झारखंड ले जाते हैं। ग्रामीण सूत्रों के अनुसार तस्कर अधिकतर रात्री के समय पशुओं को ले जाने का काम करते हैं जो कि धान के खेतों के बीच से होकर भी भारी संख्या में पशुओं को ले जाने का काम करते हैं इस कारण खेतों में पड़े धान की बालियों को भारी नुकसान पहुंचा हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुलिस चाह जाये तो पशुओं की तस्करी को रोका जा सकता है लेकिन पुलिस वाले ही पैसा ले रहें है तो फिर यह अवैध कारोबार कैसे रूकेगी।
पेण्डारी उपसरपंच है सक्रिय दलालः-

अंतरराज्यीय गिरोह है शामिल:-
पशुओं की तस्करी में कोई छोटे मोटे लोग शामिल नही है बल्कि जिस हिसाब से गिरोह का कारोबार अवैध तरीके से आसानी से चल रहा है उसे देख कर ऐसा लगता है कि अवैध तस्करी के कारनामों में बड़े पहुंच वाले लोगों का पूरा हाथ है। इस बात का खुलासा तो जांच में ही पता चल सकेगा। परंतु अभी तक आम जन मानस के समक्ष जांच किये जाने की बात तो दूर, हमारे पुलिस प्रशासन का आम जनमानस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में भी उन्हे हिचक महसुस होती है। इसके साथ-साथ गौ वंश प्रकोष्ट के सरगुजा संभागीय अध्यक्ष राकेश सिंह सिसौदीया को भी पशु तस्कर का सक्रिय दलाल रविशचंद कुशवाहा के द्वारा प्रति नग 30 रू0 के हिसाब से डील की जाती है। इससे छत्तीसगढ़ शासन के गौवंश रक्षकों पर भी एक प्रश्न चिन्ह उत्पन्न हो जाता है।
No comments:
Post a Comment