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जिला कलेक्टर को इस प्रकरण की सही जॉच कराना चाहिये
नौगॉव (छतरपुर ) नौगॉव उप पंजीयक कार्यालय में 9 जनवरी 2013 को महाराजपुर नगर पालिका व्दारा जारी प्रमाण पत्र क्र0 381/न0पा0/013 दिनांक 9 जनवरी 2013 के व्दारा भूमि नगर पालिका सीमा से बाहर होने का प्रमाण पत्र हाथ से लिखा प्रस्तुत हुआ जिस पर उप पंजीयक लिपिक ने हाथ से लिखा प्रमाण पत्र का संदेह करते हुये प्रमाण पत्र को अस्वीकार करने की बात की जिससे संपत्ति बैचने बाले की ओर से महाराजपुर से राजेष चौरसिया पिता श्री प्रीतम सिंह चौरसिया ने इसका बिरोध करते हुये प्रमाण पत्र सही होने की बात की , विवाद के चलते पंजीयन लिपिक श्री ए0वी0 त्रिपाठी ने 7 जनवरी 2013 को भीमसेन पिता श्री सुखनंदन चौरसिया नि0 महाराजपुर व्दारा पिं्रट प्रमाण पत्र दिखाकर कहा कि इसी प्रकार का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें , प्रमाण पत्र में प्रथक प्रथक नम्बर होने पर इसकी षिकायत राजेष चौरसिया ने नौगॉव अनुविभागीय अधिकारी श्री डी0पी0व्दिवेव्दी जी से करते हुये जॉच कराने की मॉग की गई ।एस0डी0एम ने प्रमाण पत्रों की जॉच कराई तो राजेष चौरसिया के पक्षकार व्दारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र सही पाया गया तथा भीम सेन चौरसिया का फर्जी पाया गया । इस प्रकार के प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नौगॉव ने 1 जनवरी 2012 से प्रमाण पत्रों की जॉच करने हेतू कार्यालय पत्र क्रमॉक 522/प्रवा0-2/2013 दिनांक 3-4-2013 के व्दारा महाराजपुर नगर पालिका अधिकारी को जॉच हेतू लिया जिस पर 9 पमाण पत्र नगर पालिका कार्यालय महाराजपुर से जारी होना नही पाये गये , जबकि कार्यालय की ष्षील मुहर व हस्ताक्षर थें , तीन प्रमाण पत्र रिकार्ड में दर्ज पाये गये । भीम सेन चौरसिया ने पीजी सेल में षिकायत दर्ज कराते हुये जॉच अधिकारी से अनुरोध किया कि जो प्रमाण पत्र उनके दस्तावेज में लगाया गया है वह नगर पालिका महाराजपुर के बाबू एवं तहसील में बैठने बाले एक अमुक व्यक्ति ने कूट रचित दस्तावेज तैयार किया है लेकिन उसकी जॉच में कोई अहमियत नही समझी गई । राजेष चौरसिया ने अपनी जॉच पुनः ष्षासन स्तर पर कराने केलिए लिखा जिसमें किसी भी पक्षकारों के व्यान न लिये जाना जॉच अधिकारी की जॉच पर संदेह करता है । इस प्रकरण मे राजनैतिक दवाव एवं रिष्वतखोरी को भी सहभागीदारी मानी जा सकती है क्योकि जॉच रिपोर्ट एक तरफा की गई है । अब पुलिस विभाग को प्रथम सूचना रिपोर्ट सौपकर जॉच कराई की बात की जा रही है ।
मध्य प्रदेष सरकार की मुख्य आय का स्त्रोत पंजीयन विभाग माना जाता है इस विभाग में अचल संपत्ति बिक्रय होने या सौदा करने पर विभाग में पंजीयन एक्ट के तहत राजस्व बसूली की जाती है, पंजीयन विभाग में दस्तावेज लिखने केलिए रजिस्ट्रेषन एक्ट में दस्तावेज लेखक की नियुक्ति जिला पंजीयक व्दारा की जाती है जिसका कार्य पक्षकारों व्दारा प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति का विवरण नियमानुसार दस्तावेज में लेख करें उसे दस्तावेज जॉचने एवं पूॅछने का अधिकार नही दिया गया है , संपत्ति बिक्रेता के कहे व बताये अनुसार मौजूदा दस्तावेजो के आधार पर तथा दो गवाहो के के समक्ष दस्तोवज लिखकर पंजीयन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, पंजीयन अधिकारी संपत्ति का मूल्य व बाजार मूल्य का मिलान करने के बाद पक्षकारों के ब्यान व फोटो का मिलान करता है साक्षीगण दस्तावेज के मुख्य गवाह होते है , पंजीयन अधिकारी संपत्ति मूल्य कम होने पर दस्तोवज को स्टाम्प एकट के तहत जप्त करता है । अनुविभागीय अधिकारी राजस्व व्दारा इन प्रमाण पत्रों के आधार पर नौगॉव उप पंजीयक का लिखित आदेष दिया कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर राजस्व कर की चोरी की गई तथा प़क्षकारों ने कूट रचित दस्तावेज के आधार पर बैनामा पंजीयन कराये है । नौगॉव अनुविभागीय अधिकारी भी स्वीकार करते है कि इस प्रकार के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने बाले एंव बनवाने बाले ही दोषी है इसकी सही जॉच पुलिस अपनी विवेचना में ही कर पायेगी । नगर पालिका महाराजपुर के बाबू की मिली भगत के दो प्रमाण पत्र ऐसे है जो एक ही तारीख में बिभिन्न तरह के है ।
उप पंजीयक नौगॉव एस0डी0एम0 की जॉच रिपोर्ट पर नौगॉव पुलिस को अपनी ओर से प्रथम सूचना रिपोर्ट सौपेगे । पुलिस के लिए जॉच का बिषय है िकइस प्रकार के प्रमाण पत्र नगर पालिका महाराजपुर के किसी बाबू कि मिली भगत से एक से जारी हुये जिसमें कार्यालय का जाबक पंजी रजिस्टर में दर्ज्र नही किये गये या राजस्व चोरी के लिए जिस व्यक्ति ने एक से लगातार नौ प्रमाण पत्र जारी किये है वह कहॉ व किसके व्दारा बनाये गये है, जॉच में यह भी बिषय है कि दस्तावेज की सम्पूर्ण कार्यावाही बैचने बाले की ओर से होती है जिसमें एक ष्षपथ पत्र बिक्रेता देता है कि जो संपत्ति बिक्रय हो रही है उसका मालिक मॅ हॅू तथा जो दस्तावेज लगाये जा रहे है वह मेरे व्दारा प्रस्तुत है उनकी सम्पूर्ण जुम्मेदारी बिक्रेता की है, इस कूट रचित दस्तावेज में संपत्ति बिक्रय करने बाला ही सर्वाधिक कानूनी रूपसे दोषी होता है फिर खरीददार, गवाहो व लेखक को संपंत्ति के बारे में पूर्ण जानकारी नही होती न ही उनकी सहमति होती है इसलिए इस प्रमाण के फजी दस्तावेजों में किसी भी रूपमें लेखक व गवाहो का कोई लोभ लालच या छल नही रहता है । पुलिस कोई भी अपराध दर्ज करने के बाद उसकी विवेचना करती है क्योकि अपराध सिध्द करने का दायित्व पुलिस विवेचना अधिकारी का ही होता है । इस प्रकार के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाला सर्वाधिक दोषी व अपराधी है जिसकी जॉच होना चाहिये साथ ही ऐसे व्यक्ति चाहे वह कर्मचारी हो या प्राइवेट नागरिक उनके बिरूध्द कठोर कानूनी कार्यावाही न्यायहित में आवष्यक है।
नौगॉव जनपद पंचायत क्षेत्र की जनता छतरपुर जिला कलेक्टर से आषा करती है इस इस ्रपकार के गंभीर मामलें में जिला कलैक्टर श्री राजेष बहुगुणा जी को रूचि लेकर सही जॉच कराई चाहिए जिससे निदोष झूठे फॅस न जाये तथा दोषी जिन्होने प्रमाण पत्र बनवाये व बनाये वह बचकर निकल न जावे ।
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