संभव द्धारा माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर
संभव स्वयंसेवी संस्था द्धारा जिले के किसानो के हित मे ओलावृष्टि एवं मिलने वाले मुआवजे के संबंध में नरसिहपुर के ओलापीडीत किसानो की ओर से उन्हे वैधानिक क्षतिपूर्ति दिलाने तथा मुआवजा राशि के पुर्ननिर्धारण एवं वैज्ञानिक पद्धति से क्षतिपूर्ति आंकलन बाबद माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका क्रमांक 6191/2013 दायर की गयी है।इसे संज्ञान में लेते हुये माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्धारा याचिकाकर्ता को मौजूदा मुआवजा दरो से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने बाबद आदेशित किया गया है जिससे मुआवजा राशि की पर्याप्तता का निर्धारण किया जा सके ।ओलाग्रस्त फसलो के बरबाद होने से नरसिहपुर जिले के किसानो के समक्ष अकाल एवं बेरोजगारी की विस्तृत समस्या एवं उनके शोषण को देखते हुये याचिका दस्तावेज प्रस्तुति के तत्काल बाद सुुनवाई हेतु रखे जाने के लिये आदेशित किया गया है।संभव संस्था के द्धारा यह तर्क दिया गया है कि मध्यप्रदेश शासन के द्धारा आबकारी पंजीयन के शुल्क बढाये गये है कोर्ट फीस आदि मदो में देय शुल्क कई गुना बढा दिया गया है।जबकि प्राकृतिक आपदा में हुयी कृषि क्षति का पुर्ननिर्धारण बाजार मूल्य के अनुरूप नही किया गया है। संभव द्धारा यह तर्क भी दिया गया कि अन्य देशो में कृषि क्षति का आकलन सेटेलाईट या वैज्ञानिक पद्धति से किया जाता है जबकि मध्यप्रदेश में क्षतिपूर्ति का आकलन पटवारी द्धारा अपनी मर्जी से लिखा जाता है।जिसका कोई प्रमाण नही होता ।याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि शासन द्धारा प्रत्येक पंचायत की ग्राम सभा को क्षति आंकलन के अधिकार दिये गये है कितु ग्राम खंचारी माल्हनवाडा आदि के द्धारा शासन को प्रेषित वास्तविक क्षतिपूर्ति के आकलन प्रतिवेदन पर भी कोई कार्यवाही नही की गयी है। याचिकाकर्ता श्रीमती सरिता कौरव ने बताया संस्था किसानो के हक की लडाई लडते रहेगी ।
संभव स्वयंसेवी संस्था द्धारा जिले के किसानो के हित मे ओलावृष्टि एवं मिलने वाले मुआवजे के संबंध में नरसिहपुर के ओलापीडीत किसानो की ओर से उन्हे वैधानिक क्षतिपूर्ति दिलाने तथा मुआवजा राशि के पुर्ननिर्धारण एवं वैज्ञानिक पद्धति से क्षतिपूर्ति आंकलन बाबद माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका क्रमांक 6191/2013 दायर की गयी है।इसे संज्ञान में लेते हुये माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्धारा याचिकाकर्ता को मौजूदा मुआवजा दरो से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने बाबद आदेशित किया गया है जिससे मुआवजा राशि की पर्याप्तता का निर्धारण किया जा सके ।ओलाग्रस्त फसलो के बरबाद होने से नरसिहपुर जिले के किसानो के समक्ष अकाल एवं बेरोजगारी की विस्तृत समस्या एवं उनके शोषण को देखते हुये याचिका दस्तावेज प्रस्तुति के तत्काल बाद सुुनवाई हेतु रखे जाने के लिये आदेशित किया गया है।संभव संस्था के द्धारा यह तर्क दिया गया है कि मध्यप्रदेश शासन के द्धारा आबकारी पंजीयन के शुल्क बढाये गये है कोर्ट फीस आदि मदो में देय शुल्क कई गुना बढा दिया गया है।जबकि प्राकृतिक आपदा में हुयी कृषि क्षति का पुर्ननिर्धारण बाजार मूल्य के अनुरूप नही किया गया है। संभव द्धारा यह तर्क भी दिया गया कि अन्य देशो में कृषि क्षति का आकलन सेटेलाईट या वैज्ञानिक पद्धति से किया जाता है जबकि मध्यप्रदेश में क्षतिपूर्ति का आकलन पटवारी द्धारा अपनी मर्जी से लिखा जाता है।जिसका कोई प्रमाण नही होता ।याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि शासन द्धारा प्रत्येक पंचायत की ग्राम सभा को क्षति आंकलन के अधिकार दिये गये है कितु ग्राम खंचारी माल्हनवाडा आदि के द्धारा शासन को प्रेषित वास्तविक क्षतिपूर्ति के आकलन प्रतिवेदन पर भी कोई कार्यवाही नही की गयी है। याचिकाकर्ता श्रीमती सरिता कौरव ने बताया संस्था किसानो के हक की लडाई लडते रहेगी ।
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