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छतरपुर:-मध्य प्रदेष सरकार किसानों के हितों के लिए कितने ही कानून बनाकर प्रषासनिक अधिकारियों को पालन करने केलिए कहे लेकिन राजस्व विभाग में हल्का पटवारियों की तानाषाही आज भी बरकरार है जिसका जीता जागता उदाहरण नौगॉव तहसील के रानीपुरा, सरसेड़ हल्का पटवारी की काली करतूत को उजागर करते किसानों के देा ऐसे प्रकरण है जिसका राजस्व अभिलेख में नामान्तरण होने के बाद भी आज तक खसरा-कम्प्यूटर में दर्ज नही है । जबकि यह सर्वविदित है कि जो भी नामान्तरण पंजी में नामान्तरण हल्का पटवारी करते है एक हजार से अधिक राषि बसूली करने के बाद भी नामान्तरण पंजी में नामान्तरण करते है, नामान्तरण करने के बाद नामान्तरण पंजी का रिकार्ड प्रमुख्य खसरा में दर्ज न करने के बाद सरकार की मंषा के अनुसार कम्प्यूटर में दर्ज नही है , जबकि छतरपुर जिला कलेक्टर राजस्व अधिकारियों एवं हल्का पटवारियों को बार बार चेतावनी दे चुके है कि जो भी नामान्तरण दर्ज हो उसका तत्काल राजस्व अभिलेख में दर्ज किया जावे लेकिन ऐसा नही हो रहा है ।
नोगॉव तहसील के रानीपुरा ग्राम के जुम्मन , जुग्गन आदि ने एक आवासीय प्लाट श्रीमती आषा पत्नि बिजय कुमार सक्सेना निवासी हरपालपुर को 18 फरवरी 1991 में बिक्रय किया था जिसका नामान्तरण पंजी बर्ष 1991-92 क्र0 35 आदेष दिनांक 6-5-1991 को नामान्तरण कर दिया जिसका हाथ से लिखा आराजी 228 का जुज रकवा0.014आरे का खसरा भी जारी किया गया लेकिन जब उसे रू0 की आवष्यकता हुई तो वह प्लाट बैचने तहसील आकर कम्प्यूटर से खसरा चाहा तो उसका रिकार्ड ही नही मिला इस संबंध में उसने राजस्व रिकार्ड की तालाष की तो पता चला कि जो नामान्तरण पंजी पर रिकार्ड दर्ज किया वह पटवारी की लापरवाही से दर्ज नही हुआ है , अब श्रीमती आषा सक्सेना को अपनी हक की भूमि को रिकार्ड दर्ज कराने केलिए ए से जेड तक की न्यायालीन कार्यावाही करने की बात की जा रही है । इसी प्रकार ग्राम सरसेड़ मौजा में आराजी सर्वे नम्बर 4725 का जुज रकवा 0.006 आरे भूमि श्रीमती अनारती बाला पत्नी सुजान कुमार नि0 हरपालपुर ने भूमि खरीद कर हल्का पटवारी से नामान्तरण कराया तथा अनुविभागीय अधिकारी नौगॉव की न्यायालय से प्रकरण क्रमॉक 340/अ-2/2009-10 आदेष दिनांक 8-7-2010 के व्दारा भूमि परिवर्तन कराने के बाद आज तक उसका रिकार्ड में कहीं नाम नही मिल रहा है ।
मध्य प्रदेष सरकार के मुखिया एक आरे महिलाओं की सुरक्षा उनके अधिकारों की बात करते है वही भारी रिष्वत देने के बाद भी उनके साथ राजस्व विभाग में किस प्रकार से अन्याय हो रहा है यह किसकी गल्ति है राजस्व विभाग अपने हल्का पटवारियों को बचाने केलिए तरह तरह की नजीने पैष करते है लेकिन यह जॉच का विषय नही है कि यदि हल्का पटवारी नामान्तरण दर्ज करते है तो उसकी रिकार्ड तुरन्त खसरा एवं कम्प्यूटर ष्षाखा मे क्यो दर्ज नही कराते है यदि ऐसा कानून के बिरूध्द कार्य कर रहे है तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व हल्का पटवारियों को दण्डित क्यो नही करते है । बल्कि पक्षकारों को अधिबक्ता लगाने एवं कानून की प्रक्रिया समझाने की बात करते है । यदि राजस्व विभाग ईमानदारी से किसानों के नामान्तरण बारसान, सीमॉकन करने लगे तो आपसी विवादों की जड़े समाप्त हो सकती है लेकिन जन सुनवाई, जन चौपालें लगाकर सरकार की नीतिओं को बताने के अलावा अधिकारी कुछ नही कर रहे है ।
नौगॉव तहसील के ऐसे दो प्रकरण राजस्व विभाग के लिए नजीर व चुनौती है यदि इन्ही प्रकरणों की सही जॉच कराई जाकर हल्का पटवारियों की लापरवाही पर तत्कालीन एव बर्तमान पटवारियों की हाजरी लेकर उनके बिरूध्द विभागीय कार्यावाही कर दी जावे तो आगे इस प्रकार की गल्ति अन्य हल्का पटवारी नही कर सकेगे । छतरपुर जिला के सबसे योग्य अनुभवी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नौगॉव में ही पदस्थ है यदि उनके समय दोनो महिलाओं को न्याय नही मिला तो हो सकता है कि जिला में हमें न्याय की आषा ही नही करना चाहिेए ।
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