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(लिमटी खरे)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ना जाने कितने नामों से जाना जाता है। शिवराज जब सांसद थे तब पांव पांव वाले भईया और जब देश के हृदय प्रदेश के निजाम बने तब वे बच्चों के मामा बन गए। मामा के राज में कानून और व्यवस्था की स्थिति इतनी गंभीर है कि उनकी भानजियां ही उनके राज में सुरक्षित नहीं हैं। शिव के राज में अबोध बालाओं के साथ दुराचार आम हो गया है। 17 अप्रेल को सिवनी जिले के आदिवासी विकासखण्ड घंसौर में जो कुछ हुआ वह देश का सर शर्म से झुकाने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। एक पांच वर्षीय अबोध बच्ची के साथ बिहार के रहने वाले फिरोज नामक व्यक्ति ने कथित तौर पर घृषित काम किया।
बच्ची अस्पताल भर्ती है और उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है।यह देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का कर्मचारी बताया जा रहा है। मजे की बात तो यह है कि इस बाहरी व्यक्ति की मुसाफिरी भी घंसौर थाने में दर्ज नहीं बताई जा रही है।
सत्तर के दशक की समाप्ति पर दिल्ली में गीता चौपड़ा संजय चौपड़ा हत्याकांड ने देश को हिलाकर रख दिया था। उस समय रंगा और बिल्ला को इसके आरोप में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। कालांतर में बलात्कार के मामले सामने आए पर वहशियाना तरीके से हुए बलात्कार के मामले कम ही प्रकाश में आए।
इक्क्ीसवीं सदी के पहले दशक में दिल्ली से सटे निठारी में हुए निठारी कांड ने लोगों की रूह कंपा दी थी। जिस वहशीयाना तरीके से बच्चो के साथ अप्राकृतिक तरीके से योनाचार किया गया और उन्हेें मौत के घाट उतार दिया गया वह वाकई देश के हुक्मरानों के लिए शर्मनाक ही था।
पिछले साल दिसंबर में दिल्ली में दामिनी के साथ चलती बस में हुए अमानवीय गेंग रेप ने देश को एक बार फिर दहला दिया। उस समय दिल्ली मानो ठहर गई थी। देश भर में दामिनी के लिए दुआएं हुईं पर दामिनी को काल ने हमसे छीन लिया। इस साल के आरंभ में देश भर में बलात्कार के जो मामले सामने आए।
हाल ही में दिल्ली में पांच साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की बात सामने आई है। इसके कथित आरोपी मनोज को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इस बच्ची के पेट में से मोमबत्ती और बोतल मिली है जो वाकई शोध का विषय है। यह वाकई दरिंदगी की हद है। पुलिस पर आरोप है कि उसने दो हजार में मामला सुलटाने का प्रयास किया था। एक एसीपी को तो न्यूज चेनल्स पर प्रोटेस्ट कर रही बाला पर थप्पड़ मारते तक दिखाया गया है।
इसी बीच खबर आई कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में एक पांच साल की बच्ची के साथ फिरोज नामक युवक ने कथित तौर पर दुराचार किया है। बच्ची घर से गायब थी। बाद में वह स्थानीय मरघट में बेहोश पाई गई। घायल बच्ची आज भी जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रही है।
इस संबंध में पुलिस के सूत्रों का कहना है कि उक्त फिरोज बिहार का रहने वाला है और वह देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड में काम करता था। मजे की बात तो यह है कि बिहार से आकर सिवनी में जीवोकापर्जन करने वाले फिरोज की मुसाफिरी भी घंसौर थाने मेें दर्ज नहीं है, जबकि सिवनी जिला अतिसंवेदनशील जिलों की फेहरिस्त में ना केवल शामिल है वरन् पिछले माह यहां कर्फ्यू लगा था और इसके उपरांत यहां बम और असलाह बरामद हुआ था।
मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का पावर प्लांट जबसे निर्मित होना आरंभ हुआ है तबसे यह विवादो में है। इसकी लोकसुनवाई गुपचुप तरीके से संपन्न हो जाती है और आदिवासियों के हितों पर कुठाराघात के आरोप लगते हैं। यह पावर प्लांट रक्षित वन में निर्मित हो रहा है। इस पावर प्लांट की चारदीवारी के अंदर एक हिरण मरा पाया जाता है। दो दर्जन के लगभग मजदूरोें की मौत हो जाती है। पर किसी को इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है।
वहीं दूसरी ओर मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के एडमिन विभाग में पदस्थ रविंद्र सिंह का कहना है कि उक्त आरोपी फिरोज मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का कर्मचारी नहीं है। प्लांट निर्माणाधीन अवस्था में है अतः यहां दो दर्जन से ज्यादा ठेकेदार काम कर रहे हैं, हो सकता है उनमें से किसी ठेकेदार के पास वह काम करता हो।
बहरहाल, एमपी गर्वमेंट के मुलाजिम जिला जनसंपर्क अधिकारी घनश्याम सिरसाम द्वारा मीडिया पर्सन्स को एक एसएमएस भेजा जाता है जिसकी इबारत कुछ इस प्रकार है - माय डियर फ्रेंड, घंसौर में हुई दुराचार की घटना में पीडित बच्ची के इलाज का सारा खर्च झाबुआ पावर प्लांट वाले वहन कर रहे हैं। यदि इलाज के लिए बच्ची को किसी बड़े हास्पिटल ले जाने की जरूरत हुई तो उसका खर्च भी प्लांट का मैनेजमेंट ही उठाएगा। इसके अलावा झाबुआ पावर प्लांट मैनेजमेंट पीडित बच्ची के पिता को (उसकी योग्यता के अनुसार प्लांट में ही) नौकरी भी देगा . . .।
जैसे ही यह एसएमएस पीआरओ के मोबाईल नंबर 9425391768 से मीडिया पर्सन्स के पास पहुंचा वे चौंक गए। अमूमन जिला जनसंपर्क अधिकारी का काम मध्य प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार का है। इस बार पीआरओ द्वारा एक निजी कंपनी जो सिवनी जिले में अपना व्यवसायिक हित साध रही है के बचाव में उसके द्वारा किए जाने वाले काम का प्रचार प्रसार करते नजर आ रहे हैं।
देखा जाए तो यह काम मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के जनसंपर्क अधिकारी का है, जिसका सिवनी या मध्य प्रदेश में अता पता ही नहीं है। सिवनी जिले में लगने वाले 1200 मेगावाट के पावर प्लांट का एक भी कार्यालय साईट आफिस बरेला को छोड़कर सिवनी जिले में नहीं है। जबलपुर में भी एक कार्यालय है जो इस संस्थान ने पत्राचार के पते के लिए रख छोड़ा है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड में काम करने वाले नेता नुमा ठेकेदारों के गुण्डों ने क्षेत्र में आतंक बरपाया हुआ है। जिले की घंसौर पुलिस इन आताताईयों का भी कुछ बिगाड़ने में स़क्षम नजर नहीं आती है।
मीडिया पर्सन्स के जेहन में अनेकों सवाल उपज रहे हैं, मसलन अगर वह कर्मचारी फिरोज मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का कर्मचारी नहीं है तो फिर मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड आखिर उस बाला के इलाज को आगे कैसे आ गई? अपने जनसंपर्क विभाग से इस खबर को फ्लेश करवाने के बजाए मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड ने आखिर मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क महकमे के जिला जनसंपर्क अधिकारी का उपयोग क्यों किया? (साई फीचर्स)
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