नागरिक आपूर्ति निगम और सेवा सहकारी समितियों के अफसरों
ने मिलकर किया सवा चार करोड़ का गेहूं घोटाला
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भोपाल- खेती को लाभ का धंधा बनाने में प्रयासरत सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के लाख प्रयास के बाद भी खेती तो लाभ का धंधा नहीं बन सकी है, लेकिन गेहूं खरीदी अधिकारियों के लिए लाभ का धंधा जरूर बन गई है। जिले में अधिकारियों की मिलीभगत से सवा चार करोड़ रुपए कीमत का गेहूं कहा है किसी को पता नहीं है और अधिकारी गेहूं को डकार गए जिससे मामला जजागर होने के बाद इस पूरे मामले की जांच किए जाने की बात की जा रही है। समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद के लिए प्रदेश शासन एवं जिला प्रशासन द्वारा तैयारी पूर्ण कर ली गई है। लेकिन बीते वर्ष गेहूं खरीदी के दौरान घोटाले की परत दर परत नहीं खुल सकी है।ई पेपर बिच्छु डाट कॉम ७-०३-१३ में छपी खबर के अनुसार खरीदी का कार्य पूरा हो जाने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम में जमा किया गये गेहूं में 32 हजार क्विंटल गेहूं की हेराफेरी की गई है। जिस गेहूं की कीमत चार करोड़ 32 लाख 20 हजार रुपए है। हेराफेरी का मामला उजागर होने के बाद समितियों द्वारा सवा चार करोड़ का गेहूं सूख जाने का तर्क दिया गया, लेकिन यह तर्क हजम नहीं हुआ। क्योंकि जो गेहूं नागरिक आपूर्ति निगम को जमा किया गया, उसकी मात्रा बोरों के मान से निकाली गई है।यानि की उनको तोला नही गया है।इसलिए सूखने के आधार पर कम होने का तर्क निराधार है ।
इसी घोटाले को आधार बनाकर इस वर्ष प्रति बोरी एक किलो गेहू ज्यादा तोले जा रहे किसान को एक कुंटल पर दो किलो गेहू या ३० रूपये का नुकसान हो रहा है ।
राष्ट्रिय जागरण मंच मध्यप्रदेश ने प्रदेश के नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री पारस जैन को फेक्स द्वारा ज्ञापन भेजकर पुरे मामले की जाँच तत्काल आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से करवाने की मांग की है । साथ ही किसानो से प्रति ५० किलो एक किलो अधिक तोले गये गेहू की कीमत किसनो के खाते में जमा कराने की मांग भी की गयी है और आगे से अधिक गेहू न तोले जाये यह आदेश भी जारी करने का अनुरोध किया गया है ।मांगे पूरी न होने पर मंच ने आन्दोलन की चेतावनी दी है ।
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