नई दिल्ली।। दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली कैंट में 1984 में हुए सिख दंगा केस में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया है। कोर्ट ने बाकी 5 आरोपियों को दफा 302 के तहत दोषी करार दिया। इस फैसले से पीड़ित परिवारों में भारी आक्रोश है। इसकी झलक कोर्ट रूम में भी देखने को मिली। जज ने जैसे ही सज्जन कुमार को बरी करने का फैसला सुनाया, वहां मौजूद पीड़ित पक्ष के लोग भड़क गए। फैसले से नाखुश एक शख्स ने जज की तरफ जूता उछाल दिया। फैसला सुनने के बाद सज्जन कुमार बेहद भावुक हो गए और रोने लगे।
सज्जन कुमार पर हमले की कोशिशः कोर्ट रूम में पीड़ित परिवार के एक शख्स ने सज्जन कुमार पर हमले की कोशिश भी की, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उसका हाथ पकड़ लिया। बाद में सज्जन कुमार को कोर्ट से उस रास्ते से निकाला गया, जिस रास्ते से जज बाहर जाते हैं। पीड़ित परिवारों का कहना है कि कड़कड़डूमा कोर्ट के फैसले के खिलाफ वे हाई कोर्ट में अपील करेंगे। कोर्ट के बाहर भी पीड़ित परिवारों ने खूब हंगामा किया। उन्होंने कांग्रेस पर सिख दंगों के दाग से बचने के कोर्ट के फैसले को प्रभावित करने का आरोप लगाया।
क्या-क्या हुआ कोर्ट में: इस अहम फैसले को सुनने के लिए कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था। इसमें काफी लोग दंगा पीड़ित भी थे। मामले के 5 आरोपी कठघरे में, जबकि सज्जन कुमार उनके पास खड़े थे। जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 5 आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है और सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में बरी किया जाता है। जज का यह कहना था कि हंगामा शुरू हो जाता है। पीड़ित परिवार का एक शख्स सज्जन कुमार की तरफ बढ़ता है और उन पर हाथ चलाने की कोशिश करता है, वहां खड़े सुरक्षाकर्मी उसे रोक देते हैं। इसके बाद वह नारे लगाने लगता है। इस बीच चंडीगढ़ से आया करनैल सिंह नाम का व्यक्ति जज पर जूता उछाल देता है।
जज पर जूता उछाले वाला हिरासत में: पुलिस ने जज पर जूता उछालने वाले करनैल सिंह को हिरासत में ले लिया है। पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि उन्होंने करनैल सिंह से बात की है। उनके मुताबिक करनैल सिंह ने उन्हें बताया कि उसने जूता जज को मारने के लिए नहीं, बल्कि फैसले के विरोध में उछाला था। उसने जानबूझकर जज को बचाते हुए जूता फेंका।
क्या था पूरा मामला: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे फैले थे। इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस दंगे की भेंट चढ़े केहर सिंह इस मामले की शिकायतकर्ता जगदीश कौर के पति थे, जबकि गुरप्रीत सिंह उनके बेटे थे। इस घटना में मारे गए अन्य सिख दूसरे गवाह जगशेर सिंह के भाई थे।
सीबीआई ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार, कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआइ ने सभी आरोपियों के खिलाफ 13 जनवरी 2010 को आरोपपत्र दाखिल किया था।
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