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नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार के कानून मंत्री जीतेंद्र तोमर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. फर्जी डिग्री केस में जीतेंद्र तोमर को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. पुलिस तोमर को हौजखास थाने ले गई थी जहां उनसे पूछताछ की गई. पूछताछ में सहयोग नहीं करने के बाद तोमर को पुलिस वसंत विहार थाने ले गई. वसंत विहार थाने में ही डिग्री विवाद को लेकर केस दर्ज किया गया है.
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि बिना किसी नोटिस के तोमर को गिरफ्तार किया गया है. पार्टी मोदी सरकार पर सवाल उठा रही है. आम आदमी पार्टी इस गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी और शिक्षा राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया की डिग्री पर सवाल उठाते हुए गिरफ्तार करने की चुनौती दी है.
तोमर को मंत्रिमंडल से हटाने के सवाल पर आम आदमी पार्टी का रुख साफ नहीं है. पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने एबीपी न्यूज से कहा है कि कोर्ट के आदेश का इंतजार करेंगे क्योंकि डिग्री विवाद का ये केस कोर्ट में चल रहा है. तोमर पर लॉ और ग्रेजुएशन की फर्जी डिग्री लेने का आरोप है. तोमर ने बिहार के तिलका मांझी यूनिवर्सिटी भागलपुर से फर्जी डिग्री ले रखी है.
संजय सिंह ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर लिखा है, 'मंत्री जितन्द्र तोमर से बात हुई बगैर किसी नोटिस या पूर्व सूचना के दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया हौज खास थाने ले जाया जा रहा है.'
पुलिस कमिश्नर बस्सी ने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है. बीएस बस्सी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ''मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मैं एक मीटिंग में था, पूरी जानकारी लेने के बाद आपको बताऊंगा.''
संजय सिंह ने इस पर कहा है, "जीतेंद्र तोमर का पूरा मामला कोर्ट में हैं. विश्वविद्यालय की वजह से जवाब भी दाखिल किया गया है. मोदी सरकार हमें मुकदमें और थाने से डरा रही है. जिसे हम कुछ समझते नहीं हैं. वह थाने में हमें एक बार नहीं हज़ार बार भेजें. हमारी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी रखेंगे."
बीजेपी नेता बिजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि यह गिरफ्तारी बहुत पहले ही हो जानी चाहिए थी.
पांच धाराओं में केस दर्ज-
वसंत विहार थाने में जीतेंद्र सिंह तोमर पर धारा 420 (धोखाधड़ी करन) और धारा 467, 468, 471- (फर्जी दस्तावेज को सही बनाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. अगर तोमर पर लागए गए ये आरोप साबित होते हैं तो उन्हें कम से कम सात साल की सजा हो सकती है.
दिल्ली पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक केजरीवाल के मंत्री को सोमवार की शाम गिरफ्तार करने की योजना बनाई गई थी. सोमवार को पुलिस ने जब कानून मंत्री से फर्जी डिग्री मामले में पूछताछ की तो उन्होंने सहयोग नहीं किया.
इस बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद के जरीवाल को भी कोई जानकारी नहीं दी गई. सूत्रों के मुताबिक एलजी नजीब जंग की इसमें गुप्त सहमति थी.
सिसौदिया ने कहा- पुलिस ने माफिया की तरह से तोमर को गिरफ्तार किया
तोमर की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा है कि मोदी सरकार इमरजेंसी जैसे हालात पैदा कर रही है. सिसौदिया ने बताया कि उन्होंने कल ही सीएनजी फिटनेस घोटाले में जांच के आदेश दिए हैं इसके इसके बाद भ्रष्टाचारी डर गए हैं और इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो रहे हैं.
सिसौदिया ने कहा, "पुलिस ने माफिया की तरह से तोमर को गिरफ्तार किया है. तीस चालीस पुलिस वाले एमएलए हाउस आए और उन्हें घर ले जाने के बहाने में गाड़ी में बिठाकर ले गए. इसके बाद ड्राइवर को उतारकर पुलिस गाड़ी ड्राइव करके ले गई. हमें डराने की कोशिश हो रही है."
कौन हैं जिंतेंद्र सिंह तोमर
तोमर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की. 2013 में तोमर कांग्रेस छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी केउम्मीदवार से हार गए. इसके बाद 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में तोमर ने त्रिनगर विधानसभा क्षेत्र से जीते. जीतेंद्र सिंह तोमर को केजरीवाल ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया. इसके बाद से ही तोमर अपनी फर्जी डिग्री को लेकर विवादों में हैं.
पूरा विवाद जानें-
शपथ पत्र के मुताबिक, कानून की डिग्री उन्होंने तिलका मांझी, भागलपुर विश्वविद्यालय (बिहार) से ली है. उन पर लॉ की डिग्री को फर्जी लेने का आरोप है. इसे लेकर हाईकोर्ट में मामला भी चल रहा है.
हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली की बार काउंसिल ने इस मामले की जांच की और कहा कि तोमर की स्नातक और लॉ की डिग्री फर्जी हैं. बार काउंसिल ने बताया था कि उन्हें यूपी की डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से जानकारी मिली है कि तोमर ने वहां से स्नातक नहीं किया है.
दिल्ली बार काउंसिल ने जीतेन्द्र सिंह तोमर की स्नातक और वक़ालत की डिग्री को शुरूआती तौर पर की गयी जांच के बाद फर्जी माना है.
बार काउंसिल ऑफ़ दिल्ली ने जीतेन्द्र सिंह तोमर की बीएससी की डिग्री और मार्क शीट्स की जांच के लिए मार्च में डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी को एक खत भी लिखा था, जवाब में यूनिवर्सिटी ने जानकारी दी की तोमर की बीएससी डिग्री, मार्कशीट और रोल नंबर फर्जी हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही मामले की सुनवाई के दौरान बिहार की तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी की तरफ से दिए गए जवाब में जीतेन्द्र सिंह तोमर के उस प्रोविज़नल सर्टिफिकेट को फ़र्ज़ी बताया है जो उन्होंने बार कॉउंसिल में एनरोलमेंट के दौरान दिया था.
काउंसिल ने अपनी शिकायत में कहा है कि इससे साबित होता है कि तोमर ने जाली दस्तावेज़ों के आधार पर पर बार काउंसिल ऑफ दिल्ली का एनरोलमेंट हासिल किया.
इसके साथ ही बार काउंसिल ने दिल्ली पुलिस को एक शिकायत भी दी है जिसमें पुलिस से मामले में आईपीसी के तहत अपराधों की जांच करने की बात कही गई.
वसंत विहार थाने में जीतेंद्र सिंह तोमर पर धारा 420 (धोखाधड़ी करन) और धारा 467, 468, 471- (फर्जी दस्तावेज को सही बनाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. अगर तोमर पर लागए गए ये आरोप साबित होते हैं तो उन्हें कम से कम सात साल की सजा हो सकती है.
नियमों के मुताबिक़ बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया से एफिलिएटेड यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री और ग्रेजुएशन की डिग्री होना जरूरी होता है. लेकिन इस मामले में जीतेन्द्र सिंह तोमर की दोनों की डिग्रियां सवालों के घेरे में हैं.
आम आदमी पार्टी इस मामले में तोमर को क्लीन चिट दे चुकी है.
तोमर का कहना है कि उनके पास कोर्ट में पेश करने के लिए उनके पास पुख्ता सबूत है. तोमर का कहना है, "मेरे पास ठोस सबूत हैं जो मैंने आरटीआई से हासिल किया है और यह मुझे निर्दोष साबित करने के लिए पर्याप्त है. मैं जैसे ही यह सबूत अदालत में पेश करूंगा, भाजपा चुप हो जाएगी.’’
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