*---प्रेस विज्ञप्ति---*
*करोडों का रोड-शो केवल दिखावा साबित हुआ*
*निवेशकों का पता नहीं निवेश के लिये हजारों हेक्टेयर जमीन कर ली तैयार*
*पहले भी सैकडों कंपनियों को जमीन तो दे दी पर नहीं लगा उद्योग*
*पुराने एमओयू को नहीं मिला आकार,सरकार चली करने नए करार*
पिछले दस सालों में मप्र में औद्योगिक निवेश करने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी टीम ने कई देशों और बड़े शहरों में रोड शो पर करोडों रूपए फूंक दिए हैं, लेकिन प्रदेश में कोई बड़ा निवेश नहीं हो सका, देश के बाहर हुए सभी दौरे केवल छुट्टियां मनाने का उपक्रम साबित हुए हैं। हालांकि विदेशों में सरकार ने निवेशकों को लुभाने के लिए जहां हवाई किले खूब बनाए, वहीं निवेशकों ने भी हवाई सपने दिखाकर अपना उल्लू सीधा किया है। हैरानी की बात यह है कि इसका खुलासा होने के बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया है और एक बार फिर इन्वेस्टर मीट की तैयारी में भी जुट गई है। पुराने एमयू को भले ही आकार नहीं मिला ,मुख्यमंत्री नए करार के लिए अपने मंत्री एवं अफसरों के साथ अमेरिका की सैर कर आए हैं। हद तो यह है कि अक्टूबर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए अभी एक भी निवेशक सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार ने निवेश के लिए हजारों हेक्टेयर जमीन तैयार कर ली है। जबकि इससे पहले सरकार ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कई कंपनियों को जमीन दी है पर उनपर उद्योग नहीं लग सका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़ी उम्मीद और दावों के साथ उद्योगमंत्री राजेन्द्र शुक्ला, मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ अधिकारियों के साथ अमेरिकी सैर तो कर आये परन्तु प्रदेश की जनता को दिखाने बताने के लिये वही पुराने झूठ।
विदेश यात्रा से जब मुख्यमंत्री भोपाल पहुंचे तो यात्रा की असफलता उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। लेकिन इसके बावजुद सरकार अन्य देशों की यात्रा के साथ ही, कई बड़े शहरों के जाने-माने उद्योगपतियों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए रोड-शो की तैयारी में जुट गई है। लेकिन इन यात्राओं का परिणाम क्या होगा यह सभी जानते हैं। क्योंकि पिछली इन्वेस्टर मीट के पहले भी मुख्यमंत्री ने कई विदेशी दौरे किए थे, लेकिन एक भी बड़ा निवेशक विदेशी नहीं मिल सका।
हकीकत में भाजपा सरकार ने पिछले दस वर्षों में इन्वेस्टर मीट के नाम पर राज्य के खजाने से अरबों की धनराशि खर्च कर केवल अपना प्रचार प्रसार किया है।
एक तो आर्थिक मंदी, उस पर शासन के तमाम विभागों के जटिल कायदे-कानून और सरकारी अनुमतियों को मिलने में होने वाले विलंब एवं प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते भी कई अच्छे निवेशक भाग खड़े हुए।
विश्व की प्रतिष्ठित कंपनियों में रिलायंस, सहारा, इंडिया बूल्स, जिन्दल, लेनको, टोरेन्ट पावर, जिन्दल पाईप जैसी बड़ी कंपनियों ने या तो अरूचि दिखाई या एमओयू निरस्त कर दिया। पावर सेक्टर में ३४ बड़ी कंपनियों ने एमओयू साईन किये थे, जिनकी लागत १,१५,६८७ हजार करोड़ थी मगर उद्योग जगत की अरूचि के चलते लगभग सारे करार निरस्त हो गये। जैसे ओपीजी एनर्जी प्रा.लि. ४००० करोड़, जेएसडब्ल्यू एनर्जी लि. ५५०० करोड़, जेएन एनर्जी लि. कोलकाता ४४०० करोड़, एसईडब्ल्यू थर्मल कार्पोरेशन प्रा.लि. ६३३६ करोड़, भीलवाड़ा एनर्जी लि. ७२०० करोड़, इंडिया बूल्स पावर सर्विस लि. १२००० करोड़, एमएसपी स्टील एंड पावर ४२०० करोड, आधुनिक इस्पात लि. ६००० करोड़, डीआरआय, पावर ५१२५ करोड़, अवंति एनर्जी ४५०० करोड़, ऐसे अधिसंख्य करार उद्योग जगत द्वारा निरस्त कर दिये गये। ऐसा क्यों हुआ?
वर्ष २००७ में इंदौर की ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का उद्घाटन करते हुए रिलायन्स इंडस्ट्रीज ने ५० हजार करोड़ के निवेश के करार पर हस्ताक्षर किये और यह कहा कि सीधी में एयरपोर्ट का निर्माण, भोपाल में टेक्निकल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना और सतना में सीमेंट प्लांट, साथ ही पावर प्रोजेक्ट की स्थापना, सासन और चितरंगी में आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने १ फरवरी २०१४ को फिर से रिलायंस कंपनी के प्रमुख को घर पर बुलाकर इस बात की घोषणा की कि रिलायंस मध्यप्रदेश में ५० हजार करोड़ का निवेश अगले ६ माह में करने जा रही है। जबकि ९ वर्ष बीत जाने के बावजूद भी कोई काम मध्यप्रदेश में नहीं हुआ और यह घोषणा फिर से कर दी गई। जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज का स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट ३ वर्ष के लिये हुआ था। जिसे बाद में दो वर्ष और आगे बढाया गया। मगर अब केबिनेट कमेटी इस स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट को जो कि २०१२ में समाप्त हो चुका है, आगे बढाने को तैयार नहीं है। ऐसा क्यों?इतना ही नहीं ग्लोबल इंवेस्टर मीट २०१४ इंदौर के लिये सरकार ने २०००० हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराने की बात कही है। मगर सच्चाई यह है कि अभी सिर्फ १०००० हेक्टेयर भूमि ही सरकार को उपलब्ध हो पायी है और इससे भी कड़वा सच यह है कि एक इंच भूमि भी विकसित नहीं है। इसलिये उद्योग जगत की अभिरूचि उद्योग लगाने के लिए नहीं होती।मध्यप्रदेश में स्पेशल इकानामी झोन (एसईझेड) २० इकानामी स्पेशल झोन में सिर्फ एक ही इंदौर एसईझेड चालू है। ऐसा क्यों? मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास बेहद संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है।
मै शिवराज जी से आग्रह करता हूँ नई इन्वेस्टर मीट के पहले पूर्व की सभी इन्वेस्टर मीट का लेखा-जोखा सार्वजनिक करें और विपक्ष को विश्वास में लेकर ही कोई निर्णय करें।
(जीतू पटवारी)
विधायक,
इंदौर
*करोडों का रोड-शो केवल दिखावा साबित हुआ*
*निवेशकों का पता नहीं निवेश के लिये हजारों हेक्टेयर जमीन कर ली तैयार*
*पहले भी सैकडों कंपनियों को जमीन तो दे दी पर नहीं लगा उद्योग*
*पुराने एमओयू को नहीं मिला आकार,सरकार चली करने नए करार*
पिछले दस सालों में मप्र में औद्योगिक निवेश करने एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी टीम ने कई देशों और बड़े शहरों में रोड शो पर करोडों रूपए फूंक दिए हैं, लेकिन प्रदेश में कोई बड़ा निवेश नहीं हो सका, देश के बाहर हुए सभी दौरे केवल छुट्टियां मनाने का उपक्रम साबित हुए हैं। हालांकि विदेशों में सरकार ने निवेशकों को लुभाने के लिए जहां हवाई किले खूब बनाए, वहीं निवेशकों ने भी हवाई सपने दिखाकर अपना उल्लू सीधा किया है। हैरानी की बात यह है कि इसका खुलासा होने के बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया है और एक बार फिर इन्वेस्टर मीट की तैयारी में भी जुट गई है। पुराने एमयू को भले ही आकार नहीं मिला ,मुख्यमंत्री नए करार के लिए अपने मंत्री एवं अफसरों के साथ अमेरिका की सैर कर आए हैं। हद तो यह है कि अक्टूबर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए अभी एक भी निवेशक सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार ने निवेश के लिए हजारों हेक्टेयर जमीन तैयार कर ली है। जबकि इससे पहले सरकार ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कई कंपनियों को जमीन दी है पर उनपर उद्योग नहीं लग सका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़ी उम्मीद और दावों के साथ उद्योगमंत्री राजेन्द्र शुक्ला, मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ अधिकारियों के साथ अमेरिकी सैर तो कर आये परन्तु प्रदेश की जनता को दिखाने बताने के लिये वही पुराने झूठ।
विदेश यात्रा से जब मुख्यमंत्री भोपाल पहुंचे तो यात्रा की असफलता उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। लेकिन इसके बावजुद सरकार अन्य देशों की यात्रा के साथ ही, कई बड़े शहरों के जाने-माने उद्योगपतियों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए रोड-शो की तैयारी में जुट गई है। लेकिन इन यात्राओं का परिणाम क्या होगा यह सभी जानते हैं। क्योंकि पिछली इन्वेस्टर मीट के पहले भी मुख्यमंत्री ने कई विदेशी दौरे किए थे, लेकिन एक भी बड़ा निवेशक विदेशी नहीं मिल सका।
हकीकत में भाजपा सरकार ने पिछले दस वर्षों में इन्वेस्टर मीट के नाम पर राज्य के खजाने से अरबों की धनराशि खर्च कर केवल अपना प्रचार प्रसार किया है।
एक तो आर्थिक मंदी, उस पर शासन के तमाम विभागों के जटिल कायदे-कानून और सरकारी अनुमतियों को मिलने में होने वाले विलंब एवं प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते भी कई अच्छे निवेशक भाग खड़े हुए।
विश्व की प्रतिष्ठित कंपनियों में रिलायंस, सहारा, इंडिया बूल्स, जिन्दल, लेनको, टोरेन्ट पावर, जिन्दल पाईप जैसी बड़ी कंपनियों ने या तो अरूचि दिखाई या एमओयू निरस्त कर दिया। पावर सेक्टर में ३४ बड़ी कंपनियों ने एमओयू साईन किये थे, जिनकी लागत १,१५,६८७ हजार करोड़ थी मगर उद्योग जगत की अरूचि के चलते लगभग सारे करार निरस्त हो गये। जैसे ओपीजी एनर्जी प्रा.लि. ४००० करोड़, जेएसडब्ल्यू एनर्जी लि. ५५०० करोड़, जेएन एनर्जी लि. कोलकाता ४४०० करोड़, एसईडब्ल्यू थर्मल कार्पोरेशन प्रा.लि. ६३३६ करोड़, भीलवाड़ा एनर्जी लि. ७२०० करोड़, इंडिया बूल्स पावर सर्विस लि. १२००० करोड़, एमएसपी स्टील एंड पावर ४२०० करोड, आधुनिक इस्पात लि. ६००० करोड़, डीआरआय, पावर ५१२५ करोड़, अवंति एनर्जी ४५०० करोड़, ऐसे अधिसंख्य करार उद्योग जगत द्वारा निरस्त कर दिये गये। ऐसा क्यों हुआ?
वर्ष २००७ में इंदौर की ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का उद्घाटन करते हुए रिलायन्स इंडस्ट्रीज ने ५० हजार करोड़ के निवेश के करार पर हस्ताक्षर किये और यह कहा कि सीधी में एयरपोर्ट का निर्माण, भोपाल में टेक्निकल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना और सतना में सीमेंट प्लांट, साथ ही पावर प्रोजेक्ट की स्थापना, सासन और चितरंगी में आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने १ फरवरी २०१४ को फिर से रिलायंस कंपनी के प्रमुख को घर पर बुलाकर इस बात की घोषणा की कि रिलायंस मध्यप्रदेश में ५० हजार करोड़ का निवेश अगले ६ माह में करने जा रही है। जबकि ९ वर्ष बीत जाने के बावजूद भी कोई काम मध्यप्रदेश में नहीं हुआ और यह घोषणा फिर से कर दी गई। जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज का स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट ३ वर्ष के लिये हुआ था। जिसे बाद में दो वर्ष और आगे बढाया गया। मगर अब केबिनेट कमेटी इस स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट को जो कि २०१२ में समाप्त हो चुका है, आगे बढाने को तैयार नहीं है। ऐसा क्यों?इतना ही नहीं ग्लोबल इंवेस्टर मीट २०१४ इंदौर के लिये सरकार ने २०००० हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराने की बात कही है। मगर सच्चाई यह है कि अभी सिर्फ १०००० हेक्टेयर भूमि ही सरकार को उपलब्ध हो पायी है और इससे भी कड़वा सच यह है कि एक इंच भूमि भी विकसित नहीं है। इसलिये उद्योग जगत की अभिरूचि उद्योग लगाने के लिए नहीं होती।मध्यप्रदेश में स्पेशल इकानामी झोन (एसईझेड) २० इकानामी स्पेशल झोन में सिर्फ एक ही इंदौर एसईझेड चालू है। ऐसा क्यों? मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास बेहद संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है।
मै शिवराज जी से आग्रह करता हूँ नई इन्वेस्टर मीट के पहले पूर्व की सभी इन्वेस्टर मीट का लेखा-जोखा सार्वजनिक करें और विपक्ष को विश्वास में लेकर ही कोई निर्णय करें।
(जीतू पटवारी)
विधायक,
इंदौर
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