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भले ही राष्ट्रपति का चुनाव जुलाई में होना है, इस पर अटकलें अभी से शुरू गई हैं हो। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का तो भाजपा का एक खेमा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का नाम इसके लिए आगे बढ़ा रहा है। सूत्रों के अनुसार आरएसएस के दो बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले सुषमा को प्रोजेक्ट कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की भी इसे मौन स्वीकृति है। संघ का समर्थन आगे भी बना रहा तो संभव है कि सुषमा राष्ट्रपति बन जाएं। सुमित्रा महाजन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ बेहतर तालमेल है। राष्ट्रपति चुनाव में सभी सांसद और विधायक वोट देते हैं। भाजपा सूत्रों की मानें तो राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का फैसला यूपी और पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर निर्भर करेगा।
राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से अंकगणित अभी पूरी तरह भाजपा के पक्ष में नहीं है। विधानसभा चुनावों में उम्मीद के अनुसार नतीजे नहीं आए तो ऐसा उम्मीदवार लाना होगा, जिसके नाम पर विपक्ष सहमत हो। ऐसे में, सुषमा की दावेदारी और मजबूत होने की उम्मीद है। भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए अभी अपने दम पर राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में नहीं है।
सांसदों और विधायकों के वोट का आकलन 1971 जनगणना के आधार पर एक निश्चित रेशियो में होता है की। कुल 10.98 लाख वोटों में से जीत के लिए जरूरी मतों से अभी एनडीए करीब पौने दो लाख वोट से पीछे है। इसके पास करीब 457,342 मत हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे अहम रहेंगे। सुषमा को लेकर भाजपा के साथ ही अपोजिशन पार्टियां भी पॉजिटिव हैं।
मेरिट के आधार पर भी उन्हें नकारा नहीं जा सकता है। किडनी ट्रांसप्लान्ट के बाद हेल्थ उनकी बड़ी परेशानी है। ऐसे में, राष्ट्रपति का पद उनके लिए ज्यादा मुफीद रहेगा। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में बीजू जनता दल और अन्नाद्रमुक के सपोर्ट के बावजूद भाजपा कामयाब नहीं रही थी। इस बार इन दोनों के साथ ही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का समर्थन पाना भी चुनौती रहेगी।
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