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सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। जिला अस्पताल की ट्रामा यूनिट में कल लगभग 3 बजे प्रसव के दौरान महिला और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत हो जाने पर मृतिका के परिजनों के गुस्से को देखकर अस्पताल में भर्ती मरीज और डाक्टर भाग खडे हुये। परिजनों का आरोप था कि महिला की मौत के बाद उसे आक्सीजन लगाया गया है।
पुलिस से भी परिजनों अभद्रता की वे डाक्टर पुष्पा धुर्वे को मौके पर बुलाने की मांग पर अडे थे लगभग 7.30 बजे एसडीएम श्री कामेश्वर चौबे ने मौके पर पहुचकर उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया तब आक्रोशित भीड शांत हुई लगभग 4 घण्टे तक अस्पताल में अफरातफरी का माहौल बना रहा सारी व्यवस्था ठप्प रही।
कोतवाली के अंतर्गत बोदा गांव निवासी प्रसुत सोमवती 32 वर्ष पति द्वारकाप्रसाद लिल्हारे को बुधवार शाम करीब 6 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था उसके साथ आशाकार्यकर्ता कुसुम भी थी रात में डाक्टर पुष्पा धुर्वे ने परिजनों से नार्मल डिलेवरी होने की बात कही थी गुरूवार को सुबह भी जांच के दौरान नार्मल डिलेवरी होने की बात परिजनों से की लगभग 11 बजे प्रसव के लिये सोमवती को प्रसव कक्ष में ले जाया गया जहां उसकी गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।
मृतिका सोमवती की बहन शांतिबाई ने आरोप लगाया की 11 बजे ही उसकी बहन की मौत हो गई थी जबकि डाक्टर ने 2.45 पर उसकी मौत होना बताया उसने आरोप लगाया की मृत हो जाने के बावजूद डाक्टरों ने सच्चाई छुपाने के लिये उसे आक्सीजन लगा दिया। सिविल सर्जन डाक्टर ए के जैन के अनुसार महिला की मौत बीपी बढने से हुई है यदि परिजन डाक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करते है तो जांच के बाद कार्यवाही की जायेगी।
एसडीएम कामेश्वर चौबे के अनुसार महिला तथा उसके बच्चे की मौत होने की शिकायत परिजनों की है जिसके आधार परिजनों के बयान दर्ज कराये गये है जांच पश्चात कार्यवाही की जायेगी।
आज सबेरे से ही परिजन डाक्टर पुष्पा धुर्वे को निलम्बित करने की मांग को लेकर आक्रोशित है तथा आवागमन बाधित करने के लिये कटिबद्ध दिखाई दिये उन्होने मृतिका का पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया है अस्पताल परिसर में तनाव की स्थिति है।
यह उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में अव्यवस्था के चलते अराजक स्थिति बन गई है 6 शिशु तथा अन्य 2 प्रसुति महिलाओं की मौत हो जाने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन जिला प्रशासन की ओर से कोई कारगर कदम नही उठाये गये है। अस्पताल के डाक्टर डयूटी के बजाये अपने नर्सिंग होम/निजि दवाखाने में व्यस्त रहते है। उन्हें मरीजों की कोई चिंता नही रहती इस लिये आये दिन ऐसी घटनायें घट रही है।
सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। जिला अस्पताल की ट्रामा यूनिट में कल लगभग 3 बजे प्रसव के दौरान महिला और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत हो जाने पर मृतिका के परिजनों के गुस्से को देखकर अस्पताल में भर्ती मरीज और डाक्टर भाग खडे हुये। परिजनों का आरोप था कि महिला की मौत के बाद उसे आक्सीजन लगाया गया है।
पुलिस से भी परिजनों अभद्रता की वे डाक्टर पुष्पा धुर्वे को मौके पर बुलाने की मांग पर अडे थे लगभग 7.30 बजे एसडीएम श्री कामेश्वर चौबे ने मौके पर पहुचकर उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया तब आक्रोशित भीड शांत हुई लगभग 4 घण्टे तक अस्पताल में अफरातफरी का माहौल बना रहा सारी व्यवस्था ठप्प रही।
कोतवाली के अंतर्गत बोदा गांव निवासी प्रसुत सोमवती 32 वर्ष पति द्वारकाप्रसाद लिल्हारे को बुधवार शाम करीब 6 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था उसके साथ आशाकार्यकर्ता कुसुम भी थी रात में डाक्टर पुष्पा धुर्वे ने परिजनों से नार्मल डिलेवरी होने की बात कही थी गुरूवार को सुबह भी जांच के दौरान नार्मल डिलेवरी होने की बात परिजनों से की लगभग 11 बजे प्रसव के लिये सोमवती को प्रसव कक्ष में ले जाया गया जहां उसकी गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।
मृतिका सोमवती की बहन शांतिबाई ने आरोप लगाया की 11 बजे ही उसकी बहन की मौत हो गई थी जबकि डाक्टर ने 2.45 पर उसकी मौत होना बताया उसने आरोप लगाया की मृत हो जाने के बावजूद डाक्टरों ने सच्चाई छुपाने के लिये उसे आक्सीजन लगा दिया। सिविल सर्जन डाक्टर ए के जैन के अनुसार महिला की मौत बीपी बढने से हुई है यदि परिजन डाक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करते है तो जांच के बाद कार्यवाही की जायेगी।
एसडीएम कामेश्वर चौबे के अनुसार महिला तथा उसके बच्चे की मौत होने की शिकायत परिजनों की है जिसके आधार परिजनों के बयान दर्ज कराये गये है जांच पश्चात कार्यवाही की जायेगी।
आज सबेरे से ही परिजन डाक्टर पुष्पा धुर्वे को निलम्बित करने की मांग को लेकर आक्रोशित है तथा आवागमन बाधित करने के लिये कटिबद्ध दिखाई दिये उन्होने मृतिका का पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया है अस्पताल परिसर में तनाव की स्थिति है।
यह उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में अव्यवस्था के चलते अराजक स्थिति बन गई है 6 शिशु तथा अन्य 2 प्रसुति महिलाओं की मौत हो जाने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन जिला प्रशासन की ओर से कोई कारगर कदम नही उठाये गये है। अस्पताल के डाक्टर डयूटी के बजाये अपने नर्सिंग होम/निजि दवाखाने में व्यस्त रहते है। उन्हें मरीजों की कोई चिंता नही रहती इस लिये आये दिन ऐसी घटनायें घट रही है।
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