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नई दिल्ली, 15 दिसंबर 2016 : नशाबंदी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनते हुये राष्ट्रीय राज्यमार्गों के पास 500 मीटर के दायरे में शराब की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। न्यायालय ने यह आदेश अराइव सेफ नाम के एनजीओ की याचिका पर दिया है। बता दें की 1 लाख 40 हजार लोग हर साल सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। इनमें से अधिकतर हादसों की वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, सभी राज्यों में राष्ट्रीय राज्यमार्गों पर या उसके आसपास पड़ने वाली शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस खत्म कर दिए जाएंगे। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि ये दुकान लाइसेंस में दिए गए वक्त तक शराब बेच सकेंगे। हालांकि, उनके लाइसेंस का नवीकरण नहीं होगा। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अगुआई वाली बेंच ने यह फैसला दिया है।
न्यायालय ने गत अगस्त में इस मामले में केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया था। न्यायालय ने साफ किया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 से हर नागरिक को मिला जीवन का अधिकार बेहद अहम है। राज्यों को इसका सम्मान करते हुए अपनी नीति में बदलाव करना होगा।
एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा था कि हाइवे पर आसानी से शराब की उपलब्धता नशे में गाड़ी चलाने को बढ़ावा देता है। बता दें कि राज्यमार्गों पर शराब की दुकानों को खोलने के लिए लगातार जारी होती निविदाओं को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने सरकार की मंशा पर पहले ही सवाल खड़े किए थे। न्यायाधीश ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दुकानों की संख्या बढ़ाने से बेहतर है कि लोगों के घर तक ही शराब पहुँचा दी जाए।
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