सोनम ने जितेन्द्र के साथ जीने-मरने की कसम सच साबित की। पति की मौत के बाद सोनम ने भी खुद को खत्म कर लिया। जितेंद्र और सोनम के शवों को एक ही चिता पर लिटाने के बाद अंतिम संस्कार किया गया। ये दृश्य देख सभी की आंखें नम थींं। ये अत्यन्त दुखद मामला यूपी के कानपुर जिले का है।
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घाटमपुर थानाक्षेत्र के चतुरीपुर गांव निवासी एक युवक की हादसे में मौत के बाद उसकी पत्नी ने भी फांसी लगाकर जान दे दी। घटना से पूरे गांव में मातम का माहौल है। लोग यह कहते दिखे कि मृतका ने शादी के मंडप में फेरों के दौरान लिए गए साथ मरने और साथ जीने के वचन का निर्वाह किया। गांव निवासी जीतेंद्र यादव (24) पुत्र रतीराम यादव शहर में किसी निजी कंपनी में काम करता था। उसकी शादी बीते वर्ष (अप्रैल 2016) में ग्राम अलौलापुर (खजुरिहा) थाना चकेरी कानपुर निवासी राजासिंह यादव की पुत्री सोनम (22) के साथ हुई थी। वह चार भाइयों में सबसे छोटा था।
सड़क दुर्घटना ने ले ली थी जितेन्द्र की जान
बुधवार की देर शाम जीतेंद्र गांव से बाइक लेकर अपने किसी दोस्त को घाटमपुर छोड़ने आया था। यहीं से वापस लौटते समय कसबे के कानपुर रोड पर तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आ जाने से गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे बेनीसिंह अवस्थी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (घाटमपुर) में भर्ती कराया गया। जहां से डाक्टरों ने देर रात हैलट अस्पताल (कानपुर) रेफर कर दिया। लेकिन, कानपुर ले जाते समय जीतेंद्र की रास्ते में ही मौत हो गई। गुरुवार को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया।
मवती सिर्फ दो दिन कॉलेज आई थी। 16 जनवरी को क्लास करने के बाद 19 जनवरी को आई। इस दिन उसकी तबियत ज्यादा खराब थी। डॉक्टरों ने जब जांच की तो उसे हेपेटाइटिस बी निकला। तत्काल डॉक्टरों ने उसे भर्ती कराया। इसके बाद उसके परिवारीजन घर लेकर चले गए।
सोनम कह रही थी जितेन्द्र के बिना नहीं रह सकती
जीतेंद्र की मौत की खबर पाकर उसके रिश्तेदार और अन्य लोग चतुरीपुर गांव में जमा थे। पोस्टमार्टम के बाद शव वापस गांव आने की प्रतीक्षा की जा रही थी। महिलाएं जीतेंद्र की पत्नी सोनम को ढांढस बंधा रही थीं। लेकिन, वह बार-बार एक ही बात कह रही थी कि पति के बिना वह जीवित नहीं रह सकती है। दोपहर करीब दो बजे के आसपास सोनम बहाने से उठी और कमरे के भीतर घुस गई। वहीं पर उसने नायलान की रस्सी गले में कसकर फांसी लगा ली। जबतक वहां मौजूद लोग कुछ समझ पाते उसकी मौत हो गई।
एक ही चिता में दोनों की अंतिम विदाई, गांव में मातम
पोस्टमार्टम से जीतेंद्र का शव शाम को गांव पहुंचा। इधर, उसकी पत्नी का शव रखा हुआ था। सोनम के मायके और ससुराल वालों ने मिलकर तय किया कि अब सोनम के शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं जाने देंगे। जिसके चलते उन्होंने पुलिस को भी हादसे की जानकारी नहीं दी।
शाम को जीतेंद्र और सोनम के शवों को एक ही चिता पर लिटाने के बाद अंतिम संस्कार किया गया। उनका अंतिम संस्कार गांव के बाहर उनके खेतों पर ही किया गया। इस दौरान सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा थी और हर व्यक्ति की आंखें नम थीं।
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