TOC NEWS // BHOPAL अवधेश पुरोहित
भोपाल। भले ही मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यह कहकर सनसनी मचाने की कोशिश कर रहे हों कि संजय पाठक को हमने करोड़ों रुपए कमवाए लेकिन जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और उनका धंधा बंद होने लगा तो वह भाजपा का दामन थामकर कांग्रेस से चले गए, भाजपा में जाने के पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि भैया मुझे धंधा करने दो जब कभी भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो मैं वापस आ जाऊँगा? तो वहीं संजय पाठक यह कहकर दिग्विजय सिंह के इस बयान को गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हों कि दिग्विजय सिंह की बातों में ही नहीं बल्कि देश का कोई व्यक्ति गंभीरता से नहीं लेता और वह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि मैंने कांग्रेस में रहते हुए अपना महत्वपूर्ण समय खराब किया है। खैर यह तो संजय पाठक और दिग्विजय सिंह जानें कि दोनों के द्वारा दिये गये बयानों में कितनी सत्यता है, लेकिन हकीकत तो यही है कि दिग्विजय सिंह के शासनकाल में संजय पाठक ने अपने खनिज कारोबार को किस तरह बढ़ाया यह तो कटनी की जनता या खनिज का कारोबारी ही बता सकते हैं। यदि ऐसा नहीं था तो फिर जैसा कि कांग्रेसी नहीं भाजपा के नेता यह चर्चा करते नजर आते हैं कि संजय पाठक ने ३० करोड़ रुपए देकर मंत्री पद हासिल किया है? तो वहीं लोग चर्चा करते नजर आते हैं कि कांग्रेस शासनकाल में दिन-दूना रात चौगुना जिस खनिज कारोबार को संजय पाठक ने तैयार किया था अब तो केवल भाजपा में उसके संरक्षण के लिये आये हैं?
लेकिन इसी बीच कटनी में खुलासा हुआ कि हवाला कांड के तार संजय पाठक की ओर ही बढ़ते नजर आ रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो संजय पाठक ने इस हवाला कांड के बाद एक के बाद एक सतीश सरावगी और महेन्द्र गोयनका से जुड़ी कंपनियों से अपना और अपने परिवार को डायरेक्टर पद से क्यों अलग करने में लगे हुए हैं, कटनी हवाला कांड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाथ लगे दस्तावेज की ज्यों-ज्यों जांच आगे बढ़ रही है, त्यों-त्यों संजय पाठक सतीश सरावगी और महेन्द्र गोयनका जिन कंपनियों में डायरेक्टर हैं उनमें से मंत्री संजय पाठक और उनके परिजन अपने आपको अलग करने में लगे हुए हैं। देश में सबसे अधिक सम्पत्ति वाले मंत्रियों की सूची में १४१ नम्बर के स्थान पर काबिज सबसे अधिक पैसे वाले विधायक संजय पाठक कटनी के हवाला कांड के हवाला होने की भनक लगने से पहले और उसके बाद महेन्द्र गोयनका और सतीश सरावगी से जुड़ी कंपनियों से एक के बाद एक नाता तोड़ते नजर आ रहे हैं और अभी तक सात कंपनियों के डायरेक्टर के पदों से अपने आपको पृथक करने में कामयाबी प्राप्त कर ली है।
इससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि कहीं न कहीं तो इस हवाला कांड से संजय पाठक के तार जुड़े हैं वह भले ही इस बात से इन्कार करते नजर आ रहे हों और अपने आपको सतीश सरावगी और महेन्द्र गोयनका से जुड़ी कंपनियों से कोई संबंध न होने की बात का दावा करते हों लेकिन अभी तक हुई जांच में सरावगी बंधुओं और महेन्द्र गोयनका के साथ पाठक परिवार के लिंक मिले हैं, अभी तक हुई जांच में फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) इनकम टैक्स और ईडी की जांच में पला चला कि फर्जी कंपनियों से हवाला २००८-०९ से २०१५-१६ के बीच हुआ है। मामले में रजनीश तिवारी ने इनकम टैक्स का नोटिस मिल ने के बाद कटनी पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। इसी बीच जांच एजेंसियों द्वारा खातों की जुटाई जा रही जानकारी को भनक लगते ही संजय पाठक ने कंपनियों के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो १३ से २१ अगसत २०१५ के बीच नौ दिनों में पाठक ने सात कंपनियों से इस्तफा दिया। जबकि इससे पहले एक अप्रैल २०१२ को ही स्नोव्हील सप्लायर नाम की कंपनी एक ही कंपनी से इस्तीफा दिया था।
अभी पाठक सिर्फ एनएम पब्लिकेशन में ही डायरेक्टर हैं। कटनी हवाला कांड की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है और इस खुलासे के बाद जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच आगे बड़ रही है तो उसमें संजय पाठक से जुड़े होने के कई प्रमाण मिल रहे हैं तो वहीं १९ जनवरी २०१७ को प्रवेशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट (पीएमएएल) के तहत ईसीआईआर दर्ज करने के बाद ही निर्मला पाठक और निधि पाठक ने कागजी कंपनियों से किनारे की तैयारी शुरू कर ली और २१ जनवरी को ईडी ने कटनी में छापा मारकर जो कार्यवाही की, ३० जनवरी को निर्मला पाठक और निधि पाठक ने डायरेक्टर शिवर से इस्तीफा स्वीकार करते हुए अफेयर्स डिपार्टमेंट ने कंपननियों से निर्मला पाठक-निधि पाठक का नाम हटा दिया, कटनी के हवाला कांड की जांच ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रही है उसमें कटनी से लेकर दिल्ली तक तो छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर के साथ-साथ मुंबई, कलकत्ता सहित अन्य देश के महानगरों से ही नहीं बल्कि इसके तार दुबई से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं शायद यही वजह है कि ज्यों-ज्यों ईडी की जांच आगे बढ़ रही है संजय पाठक और उनका परिवार महेन्द्र गोयनका और सतीश सरावगी सहित इस मामले से जुड़े अन्य कंपनियों से अपने आपको अलग धीरे-धीरे अलग करने के प्रयास मेें लगे हुए हैं।
हवाला कांड के सौ दिन गुजर जाने के बाद पाठक द्वारा सात कंपनियों से अपने आपको पृथक करने को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं तो वहीं इस दौरान संजय पाठक ओर उनके परिवार द्वारा उनसे जुड़ी कंपनियों जिनमें यश लाजिस्टिक प्रालि १६ जनवरी २०१६, १३ अगस्त २०१५, सयना एग्रीक्ल्चर प्रालि १६ अक्टूबर २०१०-१३, अगस्त २०१५, अतिशा कंस्ट्रक्शन प्रालि १६ जनवरी २००६-१३, अगस्त २०१५, सायना स्टील्स प्रालि १७ मार्च २००९, २१ अगस्त २०१५, सायना इंडस्ट्रीज प्रालि १३ अगस्त २००८, १६ अगस्त २०१५, निर्मल छाया नेचर रिसोर्ट २४ जुलाई २००७, १८ अगस्त २०१५, अभी सतीश सरावगी के सिर्फ तीन कंपनियों में डायरेक्टर हैं। महाकालेश्वर माइन्स एंड मेटल्स प्रालि, रेनाइसेंस माइनिंग एंड मिनिरल्स प्रालि और नीरनिधि मार्केटिंग प्रालि, इनके अलाव तिरुपति जेम्स प्रालि, नताली माइन्स एंड मिनिरल्स प्रालि, रेडरोज सप्लाई, शक्तिदाता मार्केटिंग प्रालि, मल्टीमोड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रालि में भी डायरेक्टर पद पर रहा है। इन सभी डायेक्टरशिप से २०१५ और २०१६ में इस्तीफा दिया है।
ईडी और आयकर ने एमबीए से संजय पाठक के चार (शांति भवन पाठक, वार्ड कटनी मप्र) के पते पर पंजीबद्ध एनएम पब्लिकेशन प्रालि, डिवाइन मार्अ इंटरनेशनल प्रालि, सायना स्टील्स प्रालि, सुख सागर फूड्स प्रालि, आकांक्षा कंसेप्ट ट्रेडिंग एंड मार्केटिंग यश लॉजिस्टिक की जानकारियां मांगी हैं। इसके साथ ही १४ सी महश्री देवेंद्र रोड दूसरी मंजिल कोलकाता, मुंबई, नागपुर, ठाणे और रायपुर के पतों पर पंजीबद्ध कंपनियों की विस्तृत जानकारी मांगी है। कटनी में उजागर हुए हवाला कांड के बाद संजय पाठक द्वारा सतीश सरावगी और महेन्द्र गोयनका से जुड़ी कंपनियों से एक के बाद एक अपने और अपने परिवार को अलग करने का सिलसिला देखना अब आगे कब तक चलेगा लेकिन अभी तक जिन कंपनियों से उन्होंने अपने और अपने परिवार को अलग किया है उससे यह साफ जाहिर हो जाता है कि कटनी हवाला कांड में कुछ तो है जिसको लेकर संजय पाठक परेशान हैं तभी तो वह इस सबसे बचने के लिये इस तरह से कंपनियों से अपने और अपने परिवार को पृथक करने में लगे हुए हैं देखना अब यह है कि आगे और कितनी महेन्द्र गोयनका और सतीश सरावगी से जुड़ी कंपनियों से वह नाता तोड़ते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने मुलायम सिंह यादव की उन बातों का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पारिवारिक कलह का लाभ बीजेपी को मिला है. अपर्णा से जब मुलायम सिंह के उस पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, 'उन्होंने कुछ कहा है, तो सोच समझ कर ही कहा होगा. बता दें कि ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप सबसे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने लगाया था. मायावती ने 11 मार्च को यूपी चुनाव के नतीजे आने के बाद आरोप लगाया था कि ईवीएम को मैनेज किया गया था. किसी भी चिन्ह के बटन के दबाने पर वोट बीजेपी को ही जा रहा था.
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मामले की जांच कराने की मांग की थी. वहीं दिल्ली के सीएम अराविंद केजरीवाल ने ईवीएम पर शक जताते हुए दिल्ली के एमसीडी चुनाव बैलेट से कराने की मांग की थी. आपको बता दे कि अपर्णा यादव सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव मैदान में थीं, लेकिन मुलायम और अखिलेश के जोरदार प्रचार के बावजूद वह अपनी सीट नहीं बचा सकीं। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार रीता बहूगुणा जोशी ने उन्हें करीब 34 हजार वोटों से मात दी थी.
भोपाल। भले ही मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यह कहकर सनसनी मचाने की कोशिश कर रहे हों कि संजय पाठक को हमने करोड़ों रुपए कमवाए लेकिन जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और उनका धंधा बंद होने लगा तो वह भाजपा का दामन थामकर कांग्रेस से चले गए, भाजपा में जाने के पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि भैया मुझे धंधा करने दो जब कभी भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो मैं वापस आ जाऊँगा? तो वहीं संजय पाठक यह कहकर दिग्विजय सिंह के इस बयान को गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हों कि दिग्विजय सिंह की बातों में ही नहीं बल्कि देश का कोई व्यक्ति गंभीरता से नहीं लेता और वह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि मैंने कांग्रेस में रहते हुए अपना महत्वपूर्ण समय खराब किया है। खैर यह तो संजय पाठक और दिग्विजय सिंह जानें कि दोनों के द्वारा दिये गये बयानों में कितनी सत्यता है, लेकिन हकीकत तो यही है कि दिग्विजय सिंह के शासनकाल में संजय पाठक ने अपने खनिज कारोबार को किस तरह बढ़ाया यह तो कटनी की जनता या खनिज का कारोबारी ही बता सकते हैं। यदि ऐसा नहीं था तो फिर जैसा कि कांग्रेसी नहीं भाजपा के नेता यह चर्चा करते नजर आते हैं कि संजय पाठक ने ३० करोड़ रुपए देकर मंत्री पद हासिल किया है? तो वहीं लोग चर्चा करते नजर आते हैं कि कांग्रेस शासनकाल में दिन-दूना रात चौगुना जिस खनिज कारोबार को संजय पाठक ने तैयार किया था अब तो केवल भाजपा में उसके संरक्षण के लिये आये हैं?
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मामले की जांच कराने की मांग की थी. वहीं दिल्ली के सीएम अराविंद केजरीवाल ने ईवीएम पर शक जताते हुए दिल्ली के एमसीडी चुनाव बैलेट से कराने की मांग की थी. आपको बता दे कि अपर्णा यादव सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव मैदान में थीं, लेकिन मुलायम और अखिलेश के जोरदार प्रचार के बावजूद वह अपनी सीट नहीं बचा सकीं। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार रीता बहूगुणा जोशी ने उन्हें करीब 34 हजार वोटों से मात दी थी.
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