- भुगत रहा है देश ! 8 नवंबर को कांग्रेस पार्टी मनाएगी ‘काला दिवस’-देश के हर जिले और राज्य मुख्यालय में मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
नोटबंदी इस सदी का सबसे बड़ा घोटाला- है ‘मोदी निर्मित आपदा’
नोटबंदी और जीएसटी की दोहरी मार ने किया व्यापार ठप्प, खत्म हुईं नौकरियां
TOC NEWS // BHOPAL
नोटबंदी इस सदी का सबसे बड़ा घोटाला है। भारत की अर्थव्यवस्था आज भी इसके दुष्प्रभावों के शिकंजे से नहीं निकल पाई है। भुगत रहा है देश। कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने नोटबंदी की भयंकर भूल की पहली सालगिरह पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने और इस दिन देश में ‘काला दिवस’ मनाने का निर्णय लिया है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता देश के हर जिले और राज्य मुख्यालय में सड़कों पर उतरकर लोगों के कष्ट, पीड़ा व रोष को प्रदर्शित करेंगे। दुख तो इस बात का है कि सत्ता के नशे में चूर और आंखों पर अहंकार की पट्टी बांधे श्री नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार भारत की अर्थव्यवस्था पर हुई ‘सर्जिकल स्ट्राईक’ का जश्न मना रही है। इस देश की जनता भाजपा को कभी माफ नहीं करेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को तार-तार करने वाले नोटबंदी के भयावह फरमान ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को भारत के इतिहास में मुहम्मद बिन तुगलक की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने इसे ‘सुनियोजित लूट और लोगों की जेब पर डाका’ की संज्ञा दी है।
केंद्र की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को देश की जनता को निम्नलिखित प्रश्नों के जबाव देने होंगे:-
1. काला धन आखिर कहां गया:-
आरबीआाई की मानें तो 8 नंवबर, 2016 को नोटबंदी के समय चलन में 15.44 लाख करोड़ रू. में से 15.28 लाख करोड़ रू. वापस आ चुके हैं। इसका मतलब है कि केवल 16000 करोड़ रू. अब तक वापस नहीं आए।
इसके विपरीत प्रधानमंत्री जी और वित्तमंत्री जी ने दावा किया था कि नोटबंदी के चलते 3 से 5 लाख करोड़ रू. का कालाधन जमा ही नहीं कराया जाएगा। 10 दिसम्बर, 2016 को एटॉनी जनरल, श्री मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ‘सरकार को 15 लाख करोड़ रू. में से 10 या 11 लाख करोड़ रू. आने का अनुमान है।’
क्या मोदी जी बताएंेगे कि जब सारा धन वापस बैंकों में जमा करा दिया गया तो आखिर कालाधन गया कहां?
2. ‘जाली करेंसी’ कहां है? क्या यह भी एक ‘जुमला’ है?:-
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि नोटबंदी का असली कारण जाली करेंसी का पता लगाना था। यहां तक वित्त मंत्रालय ने भी दिनांक 8 नवम्बर, 2016 की अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया था कि नोटबंदी जाली करेंसी पकड़ने के लिए की गई थी।
आरबीआई रिपोर्ट के इस दावे को भी खोखला साबित कर दिया। वापस आए 15.28 लाख करोड़ नोटों में से केवल 41 करोड़ करेंसी नोट ही जाली पाए गए, यानि केवल 0.0013 प्रतिशत। जब 99.998 प्रतिशत करेंसी असली है, तो प्रधानमंत्री जी का पूरा दावा झूठा साबित हो जाता है।
500 रू./ 2000 रू. के नए नोटों में भी जाली करेंसी पकड़ी जा चुकी है। एक मामले मंे बच्चे 2000 रू. के नए नोटों की फोटोकॉपी करके उन्हें चलाते हुए पकड़े गए।
3. क्या आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगी?:-
प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी का एक कारण और दिया था कि इसका लक्ष्य आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाना था। आंकड़े इस दावे को भी झूठा साबित कर देते हैं। नोटबंदी के बाद अकेले जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की 50 बड़ी घटनाएं हुई हैं, जिनमें सेना के 80 जवान शहीद हुए और 51 नागरिक मारे गए।
नोटबंदी के बाद 17 बड़े नक्सली हमले हुए, जिनमें 69 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 86 नागरिक मारे गए। ये आंकडे़ साफ करते हैं कि प्रधानमंत्री जी के दावों में कितनी सच्चाई है।
4. ‘नई करेंसी’ के नोट छापने का खर्चा ‘बचत’ से बहुत ज्यादा - नोटबंदी बनी एक तुगलकी भूल:-
आरबीआई ने बताय कि 16000 करोड़ रू. वापस बैंकों में नहीं आए। आरबीआई ने यह भी बताया कि नए नोटों की प्रिंटिंग / लॉजिस्टिक्स में 25.391 करोड़ रू. का खर्च आया। क्या मोदी जी 16000 करोड़ रू. बचाने के लिए 25.391 करोड़ रू. खर्च करने का गणित समझा पायेंगे?
5 क्या भारत ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था’ की ओर बढ़ा ?:-
प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का आखिरी कारण डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना बताया था। लेकिन उनका यह तर्क भी निराधार साबित हो गया। नवंबर 2016 (नोटबंदी से पहले) में हमारी अर्थव्यवस्था में 94 लाख करोड़ रू. का डिजिटल लेन-देन होता था। नोटबंदी के बाद जुलाई, 2017 में 104 लाख करोड़ रू. का डिजिटल लेन-देन हुआ। यानि नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन में केवल 10 लाख करोड़ रू. का ही उछाल आया।
सच्चाई यह है कि डिजिटल लेन-देन में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी कांग्रेस शासन के दौरान हुई। 2011-12 से लेकर 2012-13 के बीच डिजिटल लेन-देन में 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2012-13 से लेकर 2013-14 के बीच डिजिटल लेन-देन में एक बार फिर 49 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। इन आंकड़ों को देखें तो प्रधानमंत्री जी के दावों की हवा निकल जाती है।
आरबीआाई की मानें तो 8 नंवबर, 2016 को नोटबंदी के समय चलन में 15.44 लाख करोड़ रू. में से 15.28 लाख करोड़ रू. वापस आ चुके हैं। इसका मतलब है कि केवल 16000 करोड़ रू. अब तक वापस नहीं आए।
इसके विपरीत प्रधानमंत्री जी और वित्तमंत्री जी ने दावा किया था कि नोटबंदी के चलते 3 से 5 लाख करोड़ रू. का कालाधन जमा ही नहीं कराया जाएगा। 10 दिसम्बर, 2016 को एटॉनी जनरल, श्री मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ‘सरकार को 15 लाख करोड़ रू. में से 10 या 11 लाख करोड़ रू. आने का अनुमान है।’
क्या मोदी जी बताएंेगे कि जब सारा धन वापस बैंकों में जमा करा दिया गया तो आखिर कालाधन गया कहां?
2. ‘जाली करेंसी’ कहां है? क्या यह भी एक ‘जुमला’ है?:-
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि नोटबंदी का असली कारण जाली करेंसी का पता लगाना था। यहां तक वित्त मंत्रालय ने भी दिनांक 8 नवम्बर, 2016 की अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया था कि नोटबंदी जाली करेंसी पकड़ने के लिए की गई थी।
आरबीआई रिपोर्ट के इस दावे को भी खोखला साबित कर दिया। वापस आए 15.28 लाख करोड़ नोटों में से केवल 41 करोड़ करेंसी नोट ही जाली पाए गए, यानि केवल 0.0013 प्रतिशत। जब 99.998 प्रतिशत करेंसी असली है, तो प्रधानमंत्री जी का पूरा दावा झूठा साबित हो जाता है।
500 रू./ 2000 रू. के नए नोटों में भी जाली करेंसी पकड़ी जा चुकी है। एक मामले मंे बच्चे 2000 रू. के नए नोटों की फोटोकॉपी करके उन्हें चलाते हुए पकड़े गए।
3. क्या आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगी?:-
प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी का एक कारण और दिया था कि इसका लक्ष्य आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाना था। आंकड़े इस दावे को भी झूठा साबित कर देते हैं। नोटबंदी के बाद अकेले जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की 50 बड़ी घटनाएं हुई हैं, जिनमें सेना के 80 जवान शहीद हुए और 51 नागरिक मारे गए।
नोटबंदी के बाद 17 बड़े नक्सली हमले हुए, जिनमें 69 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 86 नागरिक मारे गए। ये आंकडे़ साफ करते हैं कि प्रधानमंत्री जी के दावों में कितनी सच्चाई है।
4. ‘नई करेंसी’ के नोट छापने का खर्चा ‘बचत’ से बहुत ज्यादा - नोटबंदी बनी एक तुगलकी भूल:-
आरबीआई ने बताय कि 16000 करोड़ रू. वापस बैंकों में नहीं आए। आरबीआई ने यह भी बताया कि नए नोटों की प्रिंटिंग / लॉजिस्टिक्स में 25.391 करोड़ रू. का खर्च आया। क्या मोदी जी 16000 करोड़ रू. बचाने के लिए 25.391 करोड़ रू. खर्च करने का गणित समझा पायेंगे?
5 क्या भारत ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था’ की ओर बढ़ा ?:-
प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का आखिरी कारण डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना बताया था। लेकिन उनका यह तर्क भी निराधार साबित हो गया। नवंबर 2016 (नोटबंदी से पहले) में हमारी अर्थव्यवस्था में 94 लाख करोड़ रू. का डिजिटल लेन-देन होता था। नोटबंदी के बाद जुलाई, 2017 में 104 लाख करोड़ रू. का डिजिटल लेन-देन हुआ। यानि नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन में केवल 10 लाख करोड़ रू. का ही उछाल आया।
सच्चाई यह है कि डिजिटल लेन-देन में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी कांग्रेस शासन के दौरान हुई। 2011-12 से लेकर 2012-13 के बीच डिजिटल लेन-देन में 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2012-13 से लेकर 2013-14 के बीच डिजिटल लेन-देन में एक बार फिर 49 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। इन आंकड़ों को देखें तो प्रधानमंत्री जी के दावों की हवा निकल जाती है।
6. क्या कालाधन पकड़ा गया ?:-
प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री जेटली नंवबर, 2016 से मई, 2017 तक यह घोषणाएं करते रहे कि कुल 17.526 करोड़ रू. की ‘‘छिपी हुई आय’’ (अनडिस्क्लोज्ड इंकम) का पता लगाया गया। वो यह बताना भूल गए कि कांग्रेस की यूपीए सरकार के अंतिम दो सालों में 5 गुना ज्यादा कालाधन पकड़ा गा। (नीचे सारणी देंखे)
वर्ष ब्लैक मनी (करोड. रू. में)
2012-13 29,630
2013-14 1,01,183
2014-15 23,108
2015-16 20,721
2016-17 29,211
यह सारणी साफ करती है कि कालाधन पकड़े जाने में कमी आई है।
प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री जेटली नंवबर, 2016 से मई, 2017 तक यह घोषणाएं करते रहे कि कुल 17.526 करोड़ रू. की ‘‘छिपी हुई आय’’ (अनडिस्क्लोज्ड इंकम) का पता लगाया गया। वो यह बताना भूल गए कि कांग्रेस की यूपीए सरकार के अंतिम दो सालों में 5 गुना ज्यादा कालाधन पकड़ा गा। (नीचे सारणी देंखे)
वर्ष ब्लैक मनी (करोड. रू. में)
2012-13 29,630
2013-14 1,01,183
2014-15 23,108
2015-16 20,721
2016-17 29,211
यह सारणी साफ करती है कि कालाधन पकड़े जाने में कमी आई है।
यदि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया हर दावा झूठ साबित हो गया, तो भारत के 125 करोड़ नागरिक प्रधानमंत्री जी से निम्नलिखित प्रश्नों के जबाव चाहते हैं:-
1. बैंकों की कतारों में लगभग 150 आम नागरिकों की मौत का जिम्मेदार कौन है?
2. आरबीआई द्वारा 135 बार नोटबंदी के नियमों में बदलाव करने से हुई अफरा-तफरी और नुकसान का जिम्मेदार कौन है?
3. नोटबंदी के चलते अकेले एमएसएमई सेक्टर में खत्म हुई 3.72 करोड़ से अधिक नौकरियों के नुकसान का जिम्मेदार कौन है?
4. करोड़ों घरेलू महिलाओं द्वारा बचाई गई जिंदगी भर की बचत का नुकसान करने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
5. छोटे दुकानदारों और छोटे एवं मध्यम व्यापारियों के नोटबंदी की वजह से बंद हुए कारोबार की जिम्मेदारी किसकी है?
6. सबसे बड़ी बात यह कि जीडीपी में 9.2 प्रतिशत से 5.7 प्रतिशत तक हुई गिरावट का जिम्मेदार कौन है, जिसकी वजह से देश को 3 लाख करोड़ रू. से ज्यादा का नुकसान हुआ?
1. बैंकों की कतारों में लगभग 150 आम नागरिकों की मौत का जिम्मेदार कौन है?
2. आरबीआई द्वारा 135 बार नोटबंदी के नियमों में बदलाव करने से हुई अफरा-तफरी और नुकसान का जिम्मेदार कौन है?
3. नोटबंदी के चलते अकेले एमएसएमई सेक्टर में खत्म हुई 3.72 करोड़ से अधिक नौकरियों के नुकसान का जिम्मेदार कौन है?
4. करोड़ों घरेलू महिलाओं द्वारा बचाई गई जिंदगी भर की बचत का नुकसान करने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
5. छोटे दुकानदारों और छोटे एवं मध्यम व्यापारियों के नोटबंदी की वजह से बंद हुए कारोबार की जिम्मेदारी किसकी है?
6. सबसे बड़ी बात यह कि जीडीपी में 9.2 प्रतिशत से 5.7 प्रतिशत तक हुई गिरावट का जिम्मेदार कौन है, जिसकी वजह से देश को 3 लाख करोड़ रू. से ज्यादा का नुकसान हुआ?
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