TOC NEWS
कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों आतंकियों के मरने के बढ़ते आंकड़े ने पाकिस्तान और उसकी खुफिया संस्था आईएसआई को हिला कर रख दिया है। मरने वाले आतंकी कुछ बड़ा भी नहीं कर पा रहे हैं और यही दर्द पाकिस्तान को साल रहा है। इस दर्द को कम करने की खातिर उसने अब जैश-ए-मुहम्मद का सहारा लेना आरंभ किया है। जैश-ए-मुहम्मद के खाते में कश्मीर में होने वाले भयानक हमले जुड़े हुए हैं।
इसी कड़ी में तल्हा रशीद का कश्मीर में आना जुड़ा हुआ है। दरअसल जैश आतंकी तल्हा रशीद को जैश सरगना मसूद अजहर ने हमास की जगह लेने और अंसार गजवा उल हिंद व अन्य आतंकी संगठनों के साथ तालमेल बनाकर कश्मीर में आतंकवाद को हवा देने के लिए भेजा था। हमास इसी साल मई में सुरक्षा बलों द्वारा तैयार की गई मोस्ट वांटेड 12 आतंकियों की सूची में भी शामिल किया गया था।
अगर अधिकारियों पर विश्वास करें तो तल्हा रशीद को जैश की तरफ से हमास की जगह लेने के लिए भेजा गया था। हमास अगस्त में जैश को छोड़ जाकिर मूसा की अगुआई वाले संगठन अंसार गजवा उल हिंद के साथ चला गया था। इससे जैश की गतिविधियां और काडर प्रभावित हो रहा था।
अधिकारियों ने बताया कि जैश को जाकिर मूसा से कोई परेशानी नहीं है और जब जाकिर ने हिज्ब से बगावत की थी तो जैश से जुड़े लोगों ने ही दक्षिण कश्मीर में एक स्थान विशेष पर बहावी विचारधारा से संबंधित कुछ मजहबी नेताओं के साथ उसकी बैठक का बंदोबस्त करते हुए कई विदेशी आतंकियों को जमा कर उसके अल कायदा से जुड़ने की जमीन तैयार की थी, लेकिन हमास का जैश में अपने कुछ साथियों के साथ मतभेद था। उसने जाकिर मूसा के साथ जाने का ऐलान कर दिया था।
हमास के जाने के बाद मसूद अजहर ने तल्हा रशीद को कश्मीर में जिहादी मिशन पर भेजा था। अधिकारियों ने बताया कि अक्तूबर की शुरुआत में श्रीनगर एयरपोर्ट पर हुए आत्मघाती हमले में शामिल जैश के आतंकी भी तल्हा के साथ ही सरहद पार से आए थे। तल्हा को दक्षिण कश्मीर में जैश के काडर को एकजुट करने और हिज्ब के काडर और अंसार गजवा उल हिंद व लश्कर के बीच समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
हालांकि तल्हा रशीद के बारे में सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व अन्य एजेंसियों के अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं, लेकिन संबंधित सूत्रों ने बताया कि तल्हा रशीद जो कथित तौर पर जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भतीजा था, सितंबर में उत्तरी कश्मीर के रास्ते कश्मीर में दाखिल हुआ था। उसके साथ जैश के लगभग 15-16 आतंकियों ने दो से तीन गुटों में घुसपैठ की थी।
कहा जाता है कि पिछले महीने बड़गाम जिले के अरिजाल इलाके में जाकिर मूसा की लश्कर और जैश के आतंकियों के साथ बैठक भी तल्हा रशीद के सौजन्य से ही हुई थी। इसी बैठक में जाकिर मूसा को एक हथियारों की खेप के साथ लश्कर व जैश के कुछ आतंकियों को सौंपा गया था।
ऐसे में जबकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान अपने दर्द को कम करने की खातिर खतरनाक हमलों को अंजाम देने वाले जैश-ए-मुहम्मद का सहारा लेने लगा है, केरिपुब के आईजीपी की वह चेतावनी इसी ओर इशारा करती थी जिसमें वे कहते थे कि आने वाले दिनों में कश्मीर में आतंकी भयानक हमलों को अंजाम दे सकते हैं। हालांकि अब तो आतंकियों के कब्जे से बरामद अमेरीकी एम-4 राइफल ने सुरक्षा बलों के होश उड़ा दिए हैं क्योंकि ऐसे हथियारों का मुकबाला करने में वे सुरक्षा बल उतने निपुण नहीं हैं जो कश्मीर में आतंकवादरोधी अभियानों में जुटे हुए हैं।
कश्मीर के आईजीपी मुनीर खान कहते थे कि कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद को फिर से पांव पसारने का मौका हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा ने ही दिया है। इन दोनों संगठनों के सरगनाओं व उनकी संरक्षक पाकिस्तानी सेना को लगने लगा था कि अब हिज्ब व लश्कर के लिए स्थानीय युवकों की भर्ती आसान नहीं रही है और उनके मौजूदा कैडर का मनोबल गिरा हुआ है। इस कमी को पूरा करने के लिए ही जैश-ए-मोहम्मद को आगे किया गया और स्थानीय आतंकी कश्मीर में जैश की गतिविधियों को फिर से गति देने के लिए सरहद पार से आए आतंकियों की पूरी मदद कर रहे हैं।
मुनीर अहमद खान ने कहा कि हमारे पास कोई पक्की जानकारी नहीं है। लेकिन, विभिन्न सूत्रों से उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर कह सकते हैं कि कश्मीर में जैश के लगभग तीन दर्जन आतंकी थे। जिनमें से लगभग 11 मारे जा चुके हैं। इसलिए अब करीब दो दर्जन आतंकी बचे हुए हैं, हम उन्हें भी जल्द ही मार गिराएंगे।
No comments:
Post a Comment