TOC NEWS // By: Gulneet Kaur
चाणक्य नीति या चाणक्यनीतिशास्त्र, आचार्य चाणक्य द्वारा प्रदान किया गया एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें मनुष्य के जीवन में सुधार लाने हेतु सुझाव दिए गए हैं। इस ग्रंथ में बहुत सारे सूत्र शामिल किए गए हैं, जिनका यदि सही रूप से पालन किया जाए तो हमारा जीवन चमत्कारिक ढंग से बदल सकता है।
आचार्य चाणक्य महान कूटनीतिज्ञ थे, उन्हें जिंदगी के प्रत्येक दांव-पेंच आते थे। कौन किस समय क्या सोच रहा है और उसकी अगली चाल क्या होगी, यह आचार्य चाणक्य बखूबी भांप लेते थे। अपने इन्हीं प्रयोगों के बाद चाणक्य ने इस महान ग्रंथ की रचना की थी, जिसे पढ़ने पर हमें मनुष्य के विचित्र स्वभाव एवं उसकी सोच के बारे में पता चलता है।
चाणक्य नीति के द्वारा पुरुष, महिला, बच्चे, बूढ़े, सभी के स्वभाव के बारे में जाना जा सकता है। मित्र एवं शत्रु या किसी भी अन्य मानवीय रिश्ते की गहराई को समझा जा सकता है। इन सभी रिश्तों को जिस नजर से हम नहीं देख सकते, उस नजरिये को इस ग्रंथ में समझाया गया है।
आचार्य चाणक्य ने इस ग्रंथ में ढेर सारे नीति सूत्र दिए हैं, जिन्हें पढ़ने और समझने से हमें काफी फायदा होता है। आज इन्हीं सूत्रों में से हम कुछ आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जो महिलाओं से जुड़े हैं।
चाणक्य ने महिलाओं के बारे में काफी कुछ कहा है। उनका स्वभाव, उनकी फितरत, उनकी सोच और वे किस समय किस तरह से बर्ताव करती हैं, इन बातों पर खास अध्ययन किया है चाणक्य ने।
चाणक्य बताते हैं कि महिलाएं भरोसा करने लायक नहीं होतीं। यह पढ़कर शायद आपको गुस्सा आ रहा हो, लेकिन उनके ऐसा कहने के पीछे भी ठोस तथ्य शामिल हैं।
चाणक्य के अनुसार महिलाओं के स्वभाव में ही ऐसे लक्षण पाए जाते हैं जो उन्हें भरोसे लायक नहीं बनाते। ऐसा इसलिए क्योंकि वे कोई भी बात अपने तक अधिक समय तक सीमित नहीं रख पातीं। अपनी बात दूसरे तक ले जाना उनकी आदत होती है।
इसलिए आप उनसे जो भी बात बांटेंगे वह दूसरे व्यक्ति तक ना जाए, इसकी गारंटी कम होती है। इसलिए चाणक्य महिलाओं को भरोसेमंद नहीं मानते।
स्त्रियों के सामान्य लक्षण के अलावा चाणक्य ने उनकी कुछ ऐसी बातों को भी नीति शास्त्र में सामने रखा है, जो उन्हें शादी के लायक नहीं बनातीं। चाणक्य के अनुसार ऐसी कुछ स्त्रियां होती हैं, जिनसे भूलकर भी पुरुषों को शादी नहीं करनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं – “वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्। रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।“ इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने यह समझाने का प्रयास किया है कि ‘कैसी स्त्री से विवाह करना चाहिए और कैसी स्त्री से नहीं’।
आचार्य चाणक्य के अनुसार सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती। यदि कोई पुरुष केवल स्त्री की सुंदरता देखकर उसे परखता है और उसी के आधार पर उसे पसंद करके विवाह कर लेता है, तो उससे बड़ा मूर्ख इस पूरे जग में कोई नहीं है।
विवाह के लिए स्त्री के संस्कार, उसका स्वभाव, उसके लक्षण, उसके गुण-अवगुणों के बारे में जानना चाहिए। इन सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद ही स्त्री का विवाह के लिए चुनाव करना चाहिए। अन्यथा सुंदरता के आधार पर गलत चुनाव करने से वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता।
आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक में स्त्री के संस्कार पर खास महत्व दिया है। वे कहते हैं कि अच्छे संस्कारों वाली स्त्री घर को स्वर्ग बना देती है, वह पति और उसके पूरे परिवार का ख्याल रखती है लेकिन बुरे संस्कारों वाली स्त्री सब तहस-नहस कर देती है।
यदि स्त्री सुंदर नहीं है लेकिन उसके संस्कार अच्छे हैं तो पुरुष को उससे विवाह कर लेना चाहिए। क्योंकि यही वह स्त्री है जो उसके भविष्य को सुखद बनाएगी। ऐसी स्त्री उसे एक श्रेष्ठ परिवार देगी।
लेकिन इसके जगह यदि ऐसी स्त्री को चुन लिया जाए, जो संस्कारी नहीं है और परिवार की अहमियत नहीं समझती तो ना केवल शादी बल्कि सभी रिश्ते-नाते टूट जाते हैं।
ऐसी स्त्री अधार्मिक होती है, वह रिश्तों पर विश्वास नहीं करती। पल-पल वह रिश्तों को तोड़ने का विचार करती है। ऐसी स्त्री परिवार के सुख के बारे में विचार नहीं करती, बल्कि सभी को दुख पहुंचाती है।
ऐसे चरित्र वाली स्त्री ना केवल विवाह के रिश्ते को खराब करती है, बल्कि पूरे कुल का नाश करती है। वह उस पूरे परिवार को समाज के सामने बेइज्जत करती है। इसलिए विवाह के लिए हमेशा संस्कारी स्त्री का ही चुनाव करना समझदारी है, सुंदरता मन की देखनी चाहिए, तन की नहीं।
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