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राजस्थान के झुंझुनूं के मलसीसर में बना डैम शनिवार को टूट गया जिससे कई इलाकों में पानी भर गया। बांध में आठ करोड़ लीटर पानी था। बांध टूटने से अफरा-तफरी मच गई। प्रशासन ने पूरे जिले में अलर्ट घोषित कर दिया। कुंभाराम परियोजना के लिए बना डैम टूटा गया।
इससे कई इलाकों में पानी भर गया। पानी पास के गांव ककड़ेऊ में भर गया । पानी शहरी इलाके में तक नहीं पहुंचा। पास के फिल्टर प्लांट, मुख्य नियंत्रण भवन, प्रशासिक भवन भी आधे से ज्यादा पानी में डूब गए।
पुलिस व बचाव कर्मियों ने मजदूरों और कर्मचारियों को बिल्डिगों से निकाला। वहीं प्रशासन ने पूरे जिले में अलर्ट घोषित कर दिया। इस परियोजना का शुभारंभ सन् 2013 के अगस्त में हुआ था। जिसके बाद 30 जुलाई 2016 में इसका काम पूरा होना था, लेकिन करीब तीन माह पहले ही डैम का काम पूरा हुआ। दरअसल इस परियाजना के तहत पिछले तीन महिने से झुंझुनू में पानी की सप्लाई की जा रही थी। कुछ दिनों से मलसीसर कस्बे में भी यहां से पानी पहुंच रहा था। इस परियोजना के तहत मलसीसर, खेतड़ी, झुंझुनू और सीकर समेत 1473 गांवों को पानी दिया जाना था।
मलसीसर में 588 करोड़ रु. की लागत से बना बांध शनिवार को टूट गया, जिससे 8 करोड़ लीटर पानी बह गया। इससे ककडेऊ गांव में अफरा-तफरी मच गई। वॉटर प्लांट, थाने, तहसील और उप कोषागार में पानी भर गया। प्रशासन ने अलर्ट घोषित कर दिया। पीएचडी के प्रमुख सचिव रजत मिश्रा ने बताया कि मलसीसर में कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का बांध टूटने के मामले में हैदराबाद की निर्माता कंपनी नागार्जुन कंस्ट्रक्शन के खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा। तीन करोड़ की पेनल्टी और कंपनी को ब्लैक लिस्टेट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जनवरी में पूरा हुआ था काम
- 2013 में शुरू हुई थी परियोजना। 2016 में काम पूरा होना था, लेकिन बांध का काम 3 महीने पहले जनवरी 2018 में पूरा हुआ।।
- 1473 गांवों में पानी सप्लाई होना था, 3 महीने से झुंझुनू में हो रही थी पानी की सप्लाई।
सिर्फ बांध नहीं टूटा, बूंद-बूंद बह गई है उम्मीदें
- राजस्थान में पानी की हर बूंद जीवन जितनी ही कीमती है। जिसके संरक्षण और सदुपयोग के लिए करोड़ों राज्यवािसयों के टैक्स की कमाई यह बांध बनाया गया लेकिन निर्माण के तीन महीने बाद ही यह टूट गया।
- इस बांध के बहाव में सिस्टम की शर्म अौर नाकामी तो बही ही, लाखों लोगों को महीनों तक मिलने वाला जीवयदायिनी जल भी बर्बाद हो गया। इसके जिम्मेदारों पर सख्त से सख्त कार्यवाही तो होनी ही चाहिए।
- सरकार को इन्हें बर्खास्त कर यह मजबूत संदेश देना चाहिए कि लापरवाहों को बख्शा नहीं जाएगा। मांग तो यह भी होनी चाहिए कि इनपर जीवन देने वाले जल की लूट का अापराधिक मुकदमा चले।
जनवरी में पूरा हुआ था काम
- 2013 में शुरू हुई थी परियोजना। 2016 में काम पूरा होना था, लेकिन बांध का काम 3 महीने पहले जनवरी 2018 में पूरा हुआ।।
- 1473 गांवों में पानी सप्लाई होना था, 3 महीने से झुंझुनू में हो रही थी पानी की सप्लाई।
- 2013 में शुरू हुई थी परियोजना। 2016 में काम पूरा होना था, लेकिन बांध का काम 3 महीने पहले जनवरी 2018 में पूरा हुआ।।
- 1473 गांवों में पानी सप्लाई होना था, 3 महीने से झुंझुनू में हो रही थी पानी की सप्लाई।
सिर्फ बांध नहीं टूटा, बूंद-बूंद बह गई है उम्मीदें
- राजस्थान में पानी की हर बूंद जीवन जितनी ही कीमती है। जिसके संरक्षण और सदुपयोग के लिए करोड़ों राज्यवािसयों के टैक्स की कमाई यह बांध बनाया गया लेकिन निर्माण के तीन महीने बाद ही यह टूट गया।
- राजस्थान में पानी की हर बूंद जीवन जितनी ही कीमती है। जिसके संरक्षण और सदुपयोग के लिए करोड़ों राज्यवािसयों के टैक्स की कमाई यह बांध बनाया गया लेकिन निर्माण के तीन महीने बाद ही यह टूट गया।
- इस बांध के बहाव में सिस्टम की शर्म अौर नाकामी तो बही ही, लाखों लोगों को महीनों तक मिलने वाला जीवयदायिनी जल भी बर्बाद हो गया। इसके जिम्मेदारों पर सख्त से सख्त कार्यवाही तो होनी ही चाहिए।
- सरकार को इन्हें बर्खास्त कर यह मजबूत संदेश देना चाहिए कि लापरवाहों को बख्शा नहीं जाएगा। मांग तो यह भी होनी चाहिए कि इनपर जीवन देने वाले जल की लूट का अापराधिक मुकदमा चले।
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