वॉशिंगटनः उत्तर कोरिया के ट्रैक पर आने के संकेत के बाद अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नई मुसीबत सामने आ गई है। उ.कोरिया के किंग किम जोंग उन के परमाणु परीक्षणों पर रोक के बयान के बाद राहत महसूस कर रहे अमरीका के लिए अब ईरान परेशानी का सबब बना हुआ है। ईरान और अमरीका के बीच तनाव का अहम कारण दोनों देशों के बीच 2015 में हुआ परमाणु करार है, जिससे ट्रंप पीछे हटने की बात कर चुके हैं।
ट्रंप ने इस करार को न सिर्फ गलत बताया है बल्कि इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति को भी आड़े हाथों लिया है। उन्होंने इसको दुनिया के कुछ सबसे खराब समझौतों में से एक बताया है। ट्रंप ने इसके लिए अल्टीमेटम देते 12 मई का दिन भी निधार्रित कर लिया है। वहीं दूसरी तरफ ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि परमाणु समझौते से अमरीका के हटने का जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ईरान की परमाणु एजेंसी इसके लिए अपेक्षित और अप्रत्याशित कदम उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
रूहानी ने सरकारी टेलीविजन पर दिए भाषण में यह बात कही। हालांकि उन्होंने इस संबंध में की जाने वाली कार्रवाई का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इस भाषण में रुहानी ने अ ट्रंप के अगले महीने समझौते से अलग होने के संभावित फैसले का जिक्र किया। रूहानी ने कहा कि उनकी सरकार अमरीका के समझौते से हटने के बाद विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को रोकना चाहती है। इसीलिए ईरान के केंद्रीय बैंक ने इस महीने बाजार पर नियंत्रण लगा दिया।
बता दें कि इसी वर्ष जनवरी में ट्रंप ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी से अमरीका द्वारा समझौते में पाई गड़बड़ियों पर सहमति जताने को कहा था। इसके अलावा 2 दिन पहले ही अमरीका के निरस्त्रीकरण राजदूत रॉबर्ट वुड ने कहा था कि अमरीका समझौते से हटने की 12 मई की समय सीमा को लेकर यूरोपीय सहयोगियों से गहन चर्चा कर रहा है, जबकि ईरान का कहना है कि जब तक अन्य पक्ष समझौते का सम्मान करेंगे, वह इससे जुड़ा रहेगा। लेकिन अमरीका के हटने पर वह समझौते को तोड़ देगा।
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