कठुआ मामले में ऐक्शन में आई महबूबा सरकार ने मामले में आरोपी सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कठुआ रेप केस के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनना चाहिए। इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए देश के लोग जिस तरह से आगे आए उससे व्यवस्था में विश्वास बहाल होगा। आपको बता दें कि बच्ची को कठुआ के रासना गांव के एक मंदिर में रखकर लगातार 7 दिनों तक गैंगरेप करने के बाद मार दिया गया था। ये वारदात 10 से 17 जनवरी के बीच की है।
मुफ्ती सरकार ने ये फैसला बीजेपी के दो मंत्रियों चौधरीलाल सिंह और चंद्रप्रकाश गंगा के इस्तीफे के बाद लिया।
ये दोनों मंत्री कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या मामले के खिलाफ हो रही प्रदर्शन रैलियों में शामिल हुए थे, जिसपर मेहबूबा मुफ्ती ने कड़ी नाराजगी जताई थी। मुफ्ती ने कठुआ मामले में मुख्य न्यायाधीश से भी फास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू करने का अनुरोध किया है। यह जम्मू-कश्मीर में पहली फास्ट ट्रैक कोर्ट होगी। कठुआ मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट 90 दिन में अपना ट्रायल पूरा करेगी।
क्या है मामला?
क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में कहा गया है कि पूर्व राजस्व अधिकारी संजी राम ने पुलिसकर्मियों को मामला दबाने के लिए 1.5 लाख रुपये की रिश्वत भी दी। इतना ही नहीं मामले को रफा दफा करने के लिए बीजेपी के विधायकों और वरिष्ठ मंत्रियों के अलावा महबूबा मुफ्ती सरकार पर भी दबाव डाला गया।
दरिंदगी की हद तक गए आरोपी
चार्जशीट में दरिंदगी की एक और बानगी दिखती है। इसके मुताबिक जब सभी आरोपी मासूम से बारी-बारी से रेप कर रहे थे, तब नाबालिग ने मेरठ में पढ़ने वाले अपने चचेरे भाई को फोन करके कहा कि अगर वह 'मजा लूटना चाहता' है तो आ जाए। इतना ही नहीं चार्जशीट के मुताबिक, बच्ची को मारने से ठीक पहले एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें कुछ देर के लिए रोका, क्योंकि वह अंतिम बार फिर से रेप करना चाहता था। इसके बाद दूसरों ने भी फिर से बच्ची का रेप किया।
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